Thursday, November 5, 2020

Munshi Premchand -upanyas samraat essay in hindi

 

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद  पर निबंध


एक हिंदी पाठ- चन्दर उदय सिंह द्वारा

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Munshi Premchand

(जन्म- 31 जुलाई, 1880, मृत्यु- 8 अक्टूबर, 1936)


 


प्रस्तावना :     मुंशी प्रेमचंद भारत के उपन्यास सम्राट माने जाते हैं जिनके युग का विस्तार सन् 1880 से 1936 तक है। प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। जन्म और विवाह : प्रेमचंद का जन्म वाराणसी से लगभग चार मील दूर, लमही नाम के गांव में 31 जुलाई, 1880 को हुआ। प्रेमचंद के पिताजी मुंशी अजायब लाल और माता आनंदी देवी थी। प्रेमचंद का बचपन गांव में बीता था। उनके पिता, मुंशी अजायब लाल, डाकमुंशी थे और उनका वेतन लगभग पच्चीस रुपए मासिक था। उनकी मां आनंद देवी सुंदर, सुशील और सुघड़ महिला थीं।

जब प्रेमचंद पंद्रह वर्ष के थे, उनका विवाह हो गया। सन 1905 के अंतिम दिनों में आपने शिवरानी देवी से शादी कर ली। शिवरानी देवी बाल-विधवा थीं। यह कहा जा सकता है कि दूसरी शादी के पश्चात् इनके जीवन में परिस्थितियां कुछ बदली और आय की आर्थिक तंगी कम हुई। इनके लेखन में अधिक सजगता आई। प्रेमचंद की पदोन्नति हुई तथा यह स्कूलों के डिप्टी इन्सपेक्टर बना दिए गए।

शिक्षा :    गरीबी से लड़ते हुए प्रेमचंद ने अपनी पढ़ाई मैट्रिक तक पहुंचाई। जीवन के आरंभ में ही इन्हें गांव से दूर वाराणसी पढ़ने के लिए नंगे पांव जाना पड़ता था। इसी बीच में इनके पिता का देहांत हो गया। प्रेमचंद को पढ़ने का शौक था, आगे चलकर वह वकील बनना चाहते थे, मगर गरीबी ने इन्हें तोड़ दिया। प्रेमचंद ने स्कूल आने-जाने के झंझट से बचने के लिए एक वकील साहब के यहां ट्यूशन ले लिया और उसी के घर में एक कमरा लेकर रहने लगे।

इनको ट्यूशन का पांच रुपया मिलता था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य, पर्सियन और इतिहास विषयों से स्नातक की उपाधि द्वितीय श्रेणी में प्राप्त की थी।

साहित्यिक जीवन : प्रेमचंद उनका साहित्यिक नाम था और बहुत वर्षों बाद उन्होंने यह नाम अपनाया था। उनका वास्तविक नाम 'धनपत राय' था। जब उन्होंने सरकारी सेवा करते हुए कहानी लिखना आरंभ किया, तब उन्होंने नवाब राय नाम अपनाया। बहुत से मित्र उन्हें जीवनपर्यंत नवाब के नाम से ही संबोधित करते रहे। जब सरकार ने उनका पहला कहानी-संग्रह, 'सोजे वतन' जब्त किया, तब उन्हें नवाब राय नाम छोड़ना पड़ा। बाद का उनका अधिकतर साहित्य प्रेमचंद के नाम से प्रकाशित हुआ।

साहित्य की विशेषताएं : प्रेमचंद की रचना-दृष्टि, विभिन्न साहित्य रूपों में, अभिव्यक्त हुई। वह बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार थे। प्रेमचंद की रचनाओं में तत्कालीन इतिहास बोलता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में जन साधारण की भावनाओं, परिस्थितियों और उनकी समस्याओं का मार्मिक चित्रण किया। 

प्रेमचंद की कृतियां भारत के सर्वाधिक विशाल और विस्तृत वर्ग की कृतियां हैं। उन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक,  आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सृष्टि की, किंतु प्रमुख रूप से वह कथाकार हैं। उन्हें अपने जीवन काल में ही उपन्यास सम्राट की पदवी मिल गई थी। उन्होंने कुल 15 उपन्यास, 300 से कुछ अधिक कहानियां, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल-पुस्तकें तथा हजारों पृष्ठों के लेख, संपादकीय, भाषण, भूमिका, पत्र आदि की रचना की।

जिस युग में प्रेमचंद ने कलम उठाई थी, उस समय उनके पीछे ऐसी कोई ठोस विरासत नहीं थी उस समय बंकिम बाबू थे, शरतचंद्र थे और इसके अलावा टॉलस्टॉय जैसे रुसी साहित्यकार थे। उन्होंने गोदान जैसे कालजयी उपन्यास की रचना की जो कि एक आधुनिक क्लासिक माना जाता है।

पुरस्कार : मुंशी प्रेमचंद की स्मृति में भारतीय डाक विभाग की ओर से 31 जुलाई, 1980 को उनकी जन्मशती के अवसर पर 30 पैसे मूल्य का एक डाक टिकट जारी किया। गोरखपुर के जिस स्कूल में वे शिक्षक थे, वहां प्रेमचंद साहित्य संस्थान की स्थापना की गई है। इसके बरामदे में एक भित्तिलेख है। यहां उनसे संबंधित वस्तुओं का एक संग्रहालय भी है। जहां उनकी एक आवक्षप्रतिमा भी है।

प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी देवी ने प्रेमचंद घर में नाम से उनकी जीवनी लिखी और उनके व्यक्तित्व के उस हिस्से को उजागर किया है, जिससे लोग अनभिज्ञ थे। उनके ही बेटे अमृत राय ने 'कलम का सिपाही' नाम से पिता की जीवनी लिखी है। उनकी सभी पुस्तकों के अंग्रेजी व उर्दू रूपांतर तो हुए ही हैं, चीनी, रूसी आदि अनेक विदेशी भाषाओं में उनकी कहानियां लोकप्रिय हुई हैं।

उपसंहार :     प्रेमचंद ने अपने जीवन के कई अद्भुत कृतियां लिखी हैं। तब से लेकर आज तक हिंदी साहित्य में ना ही उनके जैसा कोई हुआ है और ना ही कोई और होगा।

अपने जीवन के अंतिम दिनों के एक वर्ष को छोड़कर उनका पूरा समय वाराणसी और लखनऊ में गुजरा, जहां उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया और अपना साहित्य-सृजन करते रहे। 8 अक्टूबर, 1936 को जलोदर रोग से उनका देहावसान हुआ।


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Wednesday, November 4, 2020

Bhai ko samay Kay sadupyog karne ke liye patr

अपने भाई को समय के सदुपयोग करने  के लिए पत्र लिखिए !




A hindi lesson by Chander Uday Singh



प्रीय अनुज ;                                                                                                                   दिनाँक 25 जून 2020 



यहाँ सब कुशल मंगल है और आशा है कि घर पर भी सब अच्छे होंगे। आज मेरे पत्र लिखने का मुख्य उदेश्य तुम्हें समय के सदुपयोग  से अवगत कराना है। समय के सही ढंग से उपयोग ही जीवन के सफलता की कुंजी है । अगर तुमने समय का मूल्य करना सीख लिया तो तुम सफलता की ऊंचाइयों को छु सकते हो। विद्यार्थी जीवन मे तो समय का सदुपयोग और भी आवश्यक है । कुछ ही महीनो मे तुम्हारी वार्षिक परीक्षाएँ आने वाली है इसलिए मेरी यही सलाह है की तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो और अपनी दिनचर्या मे ज़्यादा से ज़्यादा समय पढ़ाई के लिए समर्पित करो। कठिन परिश्रम , दृढ़ निश्चय और समय के उचित प्रबंधन से निश्चित रूप से इस वर्ष भी अच्छे अंको से उतीर्ण होगे। 

मेरा आशीर्वाद और बहुत सी शुभकामनाएं !

स्नेह सहित तुम्हारा भाई;


रोहित सिंह ।


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Janamdin ki badhaee patar in hindi

 

अपने मित्र को उसके जन्मदिवस पर बधाई देने के लिए पत्र लिखिए !


A hindi lesson by Chander Uday Singh




माकन नंबर -27

सना 

सनासर 

दिनांक : 20.09.2020 


मित्रवर सतीश,


सप्रेम नमस्ते ।


जन्मदिवस के उपलक्ष्य में कल ही मुझे तुम्हारा निमंत्रण-पत्र प्राप्त हुआ । तुम्हारा जन्मदिवस हम सबके लिए भी अत्यंत हर्ष का दिन है । मेरी हार्दिक इच्छा थी कि मैं इस शुभ अवसर पर अवश्य पहुँचूँ । परंतु मेरी परीक्षाएँ अत्यंत निकट होने के कारण मैं स्वयं को असमर्थ पा रहा हूँ । मुझे उम्मीद है मेरी विवशता को ध्यान में रखते हुए मुझे क्षमा करोगे । 

तुम्हारे जन्मदिवस के शुभ अवसर पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई व समस्त मंगलकामनाएँ । मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि जीवन में वह सब कुछ तुम्हें प्राप्त हो जिसकी तुम कामना करते हो । अंकल और ऑन्टी जी को नमस्ते कहना। 


पुन: जन्मदिवस की समस्त शुभकामनाओं के साथ,

तुम्हारा अभिन्न मित्र

साहिल सिंह 


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Tuesday, November 3, 2020

An application to the Headmaster/ Principal for fee concessions in English for 7th class

 Application regarding fee concession 


To,


The Principal,

Govt. Higher Secondary  School,

Sanasar.


Subject : School fee concession

Respected Principal,

I, Mohit Kumar, reading in class 7th of your institute, beg you to grant me fee concession for these coming 5 months. My father works as a typist and his income is only 2,000 rupees per month. Our family consists of total 7 members. They even find difficult to meet our both ends.

My parents wish to educate me but they feel very sorry as they are not able to pay my school fee. I stood first in my class in the last annual examination. I hope you will be very kind enough and grant me fee concession for those months.


Yours obediently,


Mohit  Kumar

Roll no. 01

Class 7th


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Fees maafi ke liye prathna patar in hindi

 

प्रधानाध्यापक को स्कूल फीस माफ़ करने के  लिए प्रार्थना पत्र-

Application For waiver of School  fee in Hindi





एक हिंदी पाठ- चन्दर उदय सिंह द्वारा  

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सेवा में ,

श्रीमान प्रधानाचार्य महोदय

हायर सेकेंडरी स्कूल,

सनासर



विषय : फीस माफ़ी हेतु


महोदय,


सविनय नम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय का कक्षा 10  का छात्र हूं। मेरे पिताजी मजदूरी का काम करते है। इसलिए उनकी आय सीमित होने के साथ-साथ बहुत कम है जिससे हमारे परिवार का पालन पोषण होना भी कठिन है।

मेरे परिवार में मेरे तीन भाई बहन और है जिनके लालन-पालन में ही ज्यादातर धन खर्च हो जाता है। मैं अपनी कक्षा में  सबसे होनहार छात्र हूं। मैं हर वर्ष कक्षा में प्रथम आता हूं और अन्य प्रतियोगिताओं में भी भाग लेकर विद्यालय का नाम रोशन करता हूं।

अतः आपसे निवेदन है कि मेरी विद्यालय की पूर्ण फीस माफ करने की कृपा करें, जिससे कि मैं अपना आगे का अध्ययन जारी रख सकू. इसके लिए मैं आपका सदा आभारी रहूंगा।


सधन्यवाद


दिनांक : 20/10/2020 …


आपका आज्ञाकारी शिष्य

क ख ग

कक्षा 10


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