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Friday, May 29, 2020

Jammu ki chitrkla Part 2, hindi 10th JKBOSE

File:Krsna Takes Rukmini Away from Devi Shrine.jpg - Wikimedia Commons

जम्मू की चित्रकला

Jammu ki chitrkala

A hindi  lesson by-  

Chander Uday Singh

जम्मू की चित्रकला

 

 प्रश्न अभ्यास भाग-2 


प्रश्न 6. 18 वीं शताब्दी का उत्तरार्धजम्मू कलम’ का स्वर्णिम काल क्यों कहा जाता है?
उत्तर. राजा ध्रुव देव, जिसका राज्यका 1702 ईस्वी से 1730 ईस्वी तक  रहा, अपने समय का शक्तिशाली शासक था। उसके उपरांत जम्मू के शासक रंजीत देव के समय के पहाड़ी चित्र उपलब्ध हुए 18 वीं शताब्दी का उत्तरार्ध 'जम्मू-कलम' का स्वर्णिम काल माना जाता है। उस काल में बहुत से चित्रकार हुए और उनके सृजन का स्तर भी ऊंचा रहा उनका प्रेरणा स्रोत जम्मू के सुप्रसिद्ध राजा रंजीत देव का छोटा भाई बलवंत देव था।


प्रश्न 7. पंडित संसार चंद ने जम्मू कलम को  जीवित रखने में क्या योगदान दिया?
उत्तर. जगतराम छुनिया  के शिष्य पंडित संसार चंद थे। पंडित संसार चंद बहुत ही प्रतिभा संपन्न थे उन्होंने एक ओर  'जम्मू-कलम' अथवा 'पहाड़ी कलम' की शैली को जीवित रखा, तो दूसरी ओर पुरानी और नई शैली के मिश्रण के चित्र बनाए हैं। आपके इन प्रयोगों की बड़ी प्रशंसा हुई है और देश-विदेश में यह चित्र देखें, खरीदे सराहे गए हैं। प्रकृति चित्रण में आप सिद्धहस्त थे। 'डोगरा आर्ट गैलरी' के निर्माताओं में से थे तथा गैलरी के प्रथम संग्रह पाल (क्यूरेटर) भी रहे थे।


प्रश्न 8. 'जम्मू-कलम' के प्रसिद्ध समकालीन चित्रकारों के नाम लिखें।
उत्तर. पंडित संसार चंद की कला परंपरा को आगे बढ़ाने में उनके 3 शिष्यों .पीशर्मा सारथी, देवदास तथा गिरधारी लाल कार्यरत हैं यह सभी चित्रकार समकालीन हैं तथा वर्तमान में कला का निखार कर रहे हैं


प्रश्न 9. पहाड़ी चित्रकला की विशेषता के बारे में 3 वाक्य लिखें
उत्तर.पहाड़ी चित्रकला (कलम) की कई विशेषताएं हैं। सबसे बड़ी विशेषता यह है कि डेढ़ सौ साल बीत जाने पर भी इनके रंग ऐसे ताजा हैं कि जान पड़ता है कि अभी लगाए गए हैं इन में प्रयुक्त रंग बहुदा मिट्टी से बनाए जाते थे पूर्णविराम कुछ एक वनस्पति और पुष्पों से भी निर्मित करते थे 
 दूसरी विशेषता रेखा को और नख-शिख चित्रण की है रेखाएं पूर्ण रूप से सजी हुई हैं और नक्श एक बहुत ही सूक्ष्म और बारीक रेखाओं से बनाए गए हैं।
 इनमें वनस्पति, फूल, वृक्षों का चित्रण बहुत बारीकी और कलात्मकता के साथ किया गया है वस्त्रों का चित्रण पारदर्शी तथा मोहक है महलों, मुंडेरों, मेहराबों तथा द्वारों पर बेल बूटे का बारीक कार्य देखते ही बनता है इन्हीं गुणों के कारण इन चित्रों ने देश-विदेश में ख्याति अर्जित की है और भारत का नाम संसार भर में उजागर किया है






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Thursday, May 28, 2020

Jammu ki chitrkla Part 1, hindi 10th JKBOSE

Fourteen Basohli Paintings - 50 Watts


जम्मू की चित्रकला

Jammu ki chitrkla


A hindi  lesson by- Chander Uday Singh

जम्मू की चित्रकला

 

 प्रश्न अभ्यास

बोध और सरहाना

प्रश्न 1. ललित कलाएं कितने प्रकार की हैं। उनके नाम क्या है?

उत्तर. ललित कलाएं पांच हैं साहित्य कलासंगीत कला, मूर्तिकला, चित्रकला तथा नृत्य कला। महामुनि कपिल कहते हैं:-

साहित्य संगीत कला विहीन :

साक्षात पशु पुच्छ विषाण हीन:

अर्थात वह व्यक्ति जो साहित्य, संगीत, नृत्य आदि कलाओं को नहीं जानता वह बिना सींग तथा पूंछ के पशु है इससे स्पष्ट है कि कला जानने वाला ही मनुष्य कहलाने का अधिकारी है।

प्रश्न 2. मानव की प्राचीनतम लिपि कौन सी है?

उत्तर. मानव की प्राचीनतम लिपि चित्रों की लिपि है, जिसे चित्र- लिपि कहते हैं। 

प्रश्न 3. चित्रकला को विश्वव्यापी कला क्यों कहते हैं?

उत्तर. चित्र देखने में सरल होता है और सामान्यता हर व्यक्ति देख कर किसी सीमा तक समझ सकता है उदाहरण के तौर पर विविध भाषाओं में पक्षी, तामर, परिंदा लिख दिया जाए, तो यह नाम वही आदमी पढ़ सकता है, जो वह भाषा जानता हो परंतु इन सब के स्थान पर यदि एक पक्षी का चित्र बना दिया जाए, तो सभी समझ सकते हैं कि पक्षी बना है। इसी कारण चित्रकला को विश्वव्यापी भाषा कहा जाता है

प्रश्नजम्मू की चित्रकला का जन्म किस शताब्दी में हुआ?

उत्तर. उत्तर भारत में चित्रकला का एक केंद्र जम्मू भी रहा है। जम्मू की कलाजम्मू कलम’ अथवाजम्मू पहाड़ी कला’ के नाम से जानी जाती है।जम्मू चित्रकला’ का भारतीय कला के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान है इस कला का जन्म लगभग 18वीं शताब्दी में हुआ

प्रश्न 5. कृपाल पाल का दरबारी चित्रकार कौन था तथा उसने कौनसी विश्व विख्यात चित्रकला चित्रित की?

उत्तर. 17 वीं शताब्दी में बसोली पर राजा कृपाल पाल का राज था वह कला प्रेमी तथा कला संकरक्षक था उसके प्रसिद्ध दरबारी चित्रकार देवदास ने बहुत से अनुपम चित्र बनाएं उसने रसमंजरी नामक विश्व विख्यात चित्रावली चित्रित करके राजा कृपाल पाल को भेंट की थी। यह काल बसोहली चित्रकला का स्वर्णिम काल था



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