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Thursday, June 17, 2021

Mera Priye Adhyapak for class 6th

 My Favourite teacher 

essay in hindi for Class 6th

मेरा प्रिय शिक्षक ( निबंध )

अध्यापक हमारे जीवन में एक ऐसा व्यक्ति है जो अच्छी शिक्षा के साथ कई महत्वपूर्ण चीजें प्रदान करता है। एक शिक्षक अपने छात्रों के लिए बहुत मायने रखता है। वह विकास के आरंभिक वर्षों से लेकर परिपक्व होने तक हमारे जीवन में असाधारण भूमिका निभाता है। वे हमें और हमारे भविष्य को उसी के अनुसार ढालते हैं ताकि हमें देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनाया जा सके।

मेरा पसंदीदा शिक्षक मेरी कक्षा शिक्षिका है। उसका नाम रौशनी शर्मा  है। वह हमारी उपस्थिति लेती है और हमें हिंदी, गणित और कला विषय पढ़ाती है। वह अच्छी तरह से शिक्षित है और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से उच्च अध्ययन किया है। वह हमें सभी विषयों को पढ़ाने के लिए बहुत आसान और प्रभावी शिक्षण रणनीतियों का पालन करती है। मैं कभी उसकी क्लास मिस नहीं करता और रोज अटेंड करता हूँ।

मुझे उसका तरीका पसंद है जैसे  वह हमें सिखाती है और  हमें उस विषय पर फिर से घर पर अध्ययन करने की आवश्यकता नहीं होती। हम उस विषय के बारे में बहुत स्पष्ट हो जाते हैं जो वह हमें कक्षा में पढ़ाती है। विषय की अवधारणा को साफ़ करने के बाद, वह हमें कक्षा में कुछ अभ्यास करवाती है और घर के लिए घरेलू काम भी करवाती है। अगले दिन, वह कल के विषय से संबंधित प्रश्न पूछती है और फिर दूसरा विषय शुरू करती है।

विषयों के अलावा वह हमें अच्छी नैतिकता सिखाती है और शिष्टाचार भी हमें चरित्र से मजबूत बनाती है। हालांकि वह अगली कक्षा में हमारी शिक्षिका नहीं होगी; उसकी शिक्षाएँ हमेशा हमारे साथ रहेंगी और हमें कठिन परिस्थितियों का रास्ता दिखाएंगी। वह स्वभाव से बहुत ही केयरिंग और प्यार करने वाली है। वह विश्वविद्यालय में स्वर्ण पदक विजेता रही हैं और उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की है। वह हमेशा मेरी सबसे अच्छी शिक्षक रहेंगी।




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Monday, June 29, 2020

Mera Priye Adhyapak (my favourite teacher hindi essay )

हिंदी निबंध
A hindi lesson by- Chander Uday Singh



मेरे प्रिय अध्यापक


हमें संसार मे कुछ लोग औरों से बहुत अच्छे लगते है। मानव स्वभाव ही ऐसा होता है। जिससे वो अपने मन मे उनके रहते थोड़ी राहत अनुभव करता है उसके प्रति आकर्षित होता है। और उनकी आवश्यकता अनुभव करता है।

महत्व:- ओर हमारे विद्यार्थी जीवन को बनाने और सँवारने में उसके अध्यापक की भूमिका सबसे बड़ी होती है। कबीर दास जी ने कहा है।

गुरु कुम्हार शिष्य कुम्भ है, गढी-गढ़ी काढ़े खोट,
अंतर हाथ सहार दे, बाहर बाहे चोट।

इसका मतलब है। गुरु कुम्हार के समान होता है। जो कच्चे घड़े को आकार देने के लिए उसे अंदर से सहारा देता है। और बहार से हाथ से पीटता  है।  ठीक उसी प्रकार अधयापक बाहर से कठोर रहकर भी भीतर से अपने विद्यार्थी के भविष्य की अच्छी कामना करता है।

यही नही हमारे धर्मो , हमारी सभ्यता और संस्कृति में गुरु के महत्व को ईशवर से भी बढ़कर स्थान दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि गुरु के ही द्वारा ईशवर का ज्ञान और दर्शन होता है। इसलिए ईशवर से पहले गुरु पूजनीय होते है। इस प्रकार गुरु की महिमा ईशवर के समान है। इस के लिए कबीरदास द्वारा कहा गया दोहा अत्यधिक प्रचलित माना जाता है।

गुरु गोविंद दोऊ खड़े,काके लागू पाय,।
बलिहारी गुरु आपने,गोविंद दियो बताय।।

मेरे प्रिय अध्यापक का नाम:- मेरी दसवीं क्लास में कई अनेक अधयापक आये पर मेरे संपर्क में मेरे विज्ञान के अध्यापक सचिन दास सर से में बहुत अधिक प्रभावित हुआ हूँ। क्योंकि उनके व्यक्तित्व का प्रभाव और उनके पढ़ाने का तरीका मेरे मन मे गहरा छाप छोड़ता है।

 

उनकी योग्यता:- पढ़ाने की दृष्टि से उनका कोई जबाव नही है। वो अपने विषय के बारे में इतनी गहराई ओर विस्तार से समझाते है। कि छत्रों को कहि अन्य जगह भटकने की आवश्यकता नही पड़ती । वो एक एक लेसन को बहुत ही अच्छी तरह से समझाकर विषय से हमे परिचित करवा देते है। मुझे उनका पढ़ाना बहुत भाता है।

उनकी महानता:- मेने उन्हें कभी भी क्रोध में उबलते या तीव्र स्वर में किसी भी विद्यार्थी को डांटते हुए नही देखा है। यदि उन्हें किसी की गलती पर क्रोध आ भी जाता है। तो छात्र को पहले आराम से गंभीरतापूर्वक समझाते है। तथा उसे सही गलत के बारे में बताते है। उनकी आँखों की स्नेह और गम्भीरता ही छात्र के लिए डांट का प्रयाय बन जाते है।

समय का महत्व:- उनका मानना है। कि प्रतेक कार्य के  लिए समय को अत्यधिक महत्व देना चाहिए। और वो समय के अत्यंत पाबंद है। कभी भी समय का दुरुपयोग नही करते है। समय पर कक्षा में आते है। तथा अपने विषय को गम्भीरता से पढ़ाते है। सबसे बड़ी बात यह है कि वो केवल अपने विषय तक ही सीमित नही रहते है। विद्यार्थी की अनेक व्यक्तिगत और मानसिक समस्याओं का समाधान भी करते है। मेने उन्हें कभी भी सिगरेट पीते या किसी विद्यार्थी को अपशब्द कहते नही सुना है। वह केवल एक पुस्तक पढ़ाने में ही विशवास नहीं रखते अपितु उसको प्रैक्टिकल करके भी बताते है। और लिखित कार्य को भी बहुत लगन ओर ध्यान से देखते है। तथा गलतियों का सुधार भी करवाते है।

 

उपसंहार:- इस प्रकार हमारे प्रिय अध्यापक महोदय सर्वक्षेष्ठ अध्यापको में से एक है। उनका कार्य और गुण न केवल मुझे ही प्रभावित करते है। अपितु पूरे स्कूल के अध्यापक ओर विद्यार्थियों को भी प्रभावित करते है। इस आधार पर हम कह सकते है। कि मेरे प्रिय अध्यापक एक ऐसे आदर्श अध्यापक है, जिन पर हम बहुत गर्व करते है। उनसे हमारा विद्यालय बहुत ही गर्वित ओर हर्षित होता है। इस प्रकार मेरे अध्यापक अत्यंत महान ओर प्रशंसनीय है इनसे निश्चय ही एक सफल और आदर्श बनने की प्रेरणा मिलती है।

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