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Monday, May 24, 2021

Aise-Aise class6th Hindi path

पाठ 7

ऐसे-ऐसे

 विष्णु प्रभाकर

 पाठ-परिचय –

प्रस्तुत एकांकी विष्णु प्रभाकर जी की रचना है। इस एकांकी के माध्यम से उन्होंने बताया है कि जब बच्चों का विद्यालय का कार्य पूरा नहीं होता तो वह कैसे-कैसे बहाने करते हैं। इस एकांकी में एक बच्चा काम पूरा न होने पर पेट दर्द का बहाना करता है। डॉक्टर, वैद्य सभी उसको देखने आते हैं। अपनी-अपनी राय बता कर चले जाते हैं। अंत में अध्यापक आकर उसकी बीमारी को पकड़ता है।

एकांकी के प्रमुख पात्र –

 ‘ऐसे-ऐसे’ एक एकांकी है। इस एकांकी के प्रमुख पात्र हैं - मोहन एक विद्यार्थी, दीनानाथ एक पड़ोसी. मोहन की माँ, मोहन के पिता, मास्टर जी, वैद्य जी, डॉक्टर और एक पडोसिन।

पाठ का सारांश

इस एकांकी में मोहन एक विद्यार्थी हैं जो तीसरी कक्षा में पढ़ता है। उसकी उम्र लगभग 9 साल है। उसके पेट में दर्द है। माता-पिता के पूछने पर वह बस यही कहता है कि ऐसे-ऐसे हो रहा है। उसके पेट में ऐसे-ऐसे क्यों हो रहा है यह किसी को भी समझ में नहीं आता। उसकी माँ उसे सेंक लेने को कहती है तथा डॉक्टर को बुलाती है।

 पड़ोस के दीनानाथ जी उसे देखने आते हैं और मोहन के पेट की जाँच कर बताते हैं कि वात का प्रकोप है, इसलिए पेट में दर्द है। एक पुड़िया देते है और आधे-आधे घंटे बाद गर्म पानी से देने को कहते हैं। वैद्य जी ने बताया कि दो-तीन दस्त होंगे और सब ठीक हो जाएगा।

 कुछ देर में डॉक्टर भी मोहन के इलाज के लिए आ जाता है। वह उसके चेहरे को देखकर कहते हैं कि इसे काफ़ी दर्द हो रहा है। डॉक्टर साहब जी मोहन के पेट में कब्ज ही बताते हैं। वह कहते हैं कि मैं अभी दवाई भिजवाता हूँ, एक खुराक पीने के बाद तबीयत सुधर जाएगी। वह कहते हैं कि कभी-कभी पेट में हवा रुक जाती है, वहाँ फंदा डाल लेती है। इसलिए दर्द होता है। मोहन के पिता डॉक्टर साहब को 10 देते हैं। तभी पड़ोसन भी मोहन को देखने आती है। वह भी चिंतित है। पड़ोसिन कहती है कि लगता है कोई नई बीमारी है।माँ कहती है कि इसने तो कुछ भी नहीं खाया।

मास्टर जी को भी पता चलता है कि मोहन के पेट में ऐसे-ऐसे हो रहा है। वह भी मोहन के घर आ पहुँचते हैं। मोहन के पास आकर उससे कहते हैं- चेहरा उतरा हुआ है। वह कहते हैं – दादा, कल तो स्कूल जाना है। तुम्हारे बिना कक्षा में रौनक नहीं रहेगी। वे बताते हैं कि मोहन की दवा वैद्य और डॉक्टर के पास नहीं है। वह मोहन से कहते हैं कि बेशक कल विद्यालय मत आना पर विद्यालय का काम पूरा कर लिया है न ? मोहन बताता है कि उसके कुछ सवाल रह गए हैं। मास्टर जी समझ गए कि दर्द का बहाना यही बात है। यह ऐसे-ऐसे काम न करने का डर है।

 मोहन मुँह छिपा लेता है। मास्टर हँसकर बताते हैं कि मोहन ने महीना भर मौज-मस्ती की। स्कूल का काम बिछड़ गया, डर के मारे इसके पेट में ऐसे-ऐसे होने लगा। मास्टर जी उसे कहते हैं तुम्हें 2 दिन की छुट्टी मिलेगी। उसमें काम पूरा कर लो और तुम्हारा ऐसे-ऐसे दूर हो जाएगा। उसी समय पिताजी दवा लेकर आते हैं। मां मोहन को डांट रही है कि तेरे चक्कर में 15-20 खर्च हो गए। वह पिताजी को सच्चाई बताती है। पिताजी चौक पड़ते हैं। दवा की शीशी हाथ से छूट कर गिर जाती है। उसी क्षण मोहन उठ खड़ा होता है। एक क्षण तक सभी मोहन को देखते रहते हैं। फिर हंस पड़ते हैं। माँ उसे ठगी सी देखती है।


पाठ  7 – ऐसे-ऐसे

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास


एकांकी से

प्रश्न 1. ‘सड़क के किनारे एक सुंदर फ्लैट में बैठक का दृश्य। उसका एक दरवाज़ा सड़क वाले बरामदे में खुलता है ……. उस पर एक फोन रखा है। इस बैठक की पूरी तस्वीर बनाओ।

उत्तर: बैठक में फ़र्श पर कालीन बिछा है। इसके ऊपर सोफा सेट रखा है। कोने में तिपाही पर फूलदान सज़ा है। दूसरे कोने में टेबल लैंप रखा है। कमरे के बीच में शीशे की मेज़ रखी है। मेज़ पर अखबार और पत्रिकाएँ रखी हैं। दीवार पर दो सुंदर पेंटिंग टॅगी हुई है।

छात्र दिए गए विवरण के आधार पर चित्र बनाएँ।छात्र स्वयं चित्र बनाये। 


प्रश्न 2. माँ मोहन के ऐसे-ऐसे कहने पर क्यों घबरा रही थी ?

उत्तर: माँ का घबराना स्वाभाविक था क्योंकि मोहन कुछ बताता ही नहीं था बस ऐसे-ऐसे किए जा रहा था। माँ ने सोचा पता नहीं यह कौन-सी बीमारी है और कितनी भयंकर है। इसलिए मोहन की माँ घबरा गई थी।


प्रश्न 3. ऐसे कौन-कौन से बहाने होते हैं जिन्हें मास्टर जी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं ? ऐसे कुछ बहानों के बारे में लिखो।

उत्तर: ऐसे अनेक बहाने होते हैं जैसे आज स्कूल में कुछ नहीं होगा बस सफाई कराई जाएगी। कुछ छात्र कहते हैं कि मैं रात में पढ़ाई कर रहा था मेरी किताब और कापी वहीं छूट गई। कभी-कभी छात्र किसी दूर के रिश्तेदार की बीमारी का बहाना बना लेते हैं।


पाठ  7 – ऐसे-ऐसे

कक्षा 6

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. जब तुम्हारी तबीयत खराब होती है तो तुम्हारे घरवालों का व्यवहार तुम्हारे प्रति कैसा रहता है ? इसे शिक्षक को बताओ।

उत्तर: जब हमारी तबीयत खराब होती है तो हमारे घरवाले बेहद परेशान हो जाते हैं पहले तो वे घर में रखी कोई चीज देते हैं जिससे तबीयत ठीक हो जाए। वे तुरंत डॉक्टर को बुलाते हैं। वे कभी कुछ पूछते हैं कभी कुछ। जब तक आराम नहीं आ जाता वेखाना-पीना तक भूल जाते हैं।

प्रश्न 2. मान लो कि तुम मोहन की तबीयत पूछने जाते हो। तुम अपने और मोहन के बीच की बातचीत को संवाद के रूप में लिखो।

उत्तर: मैं : अरे मोहन! तुम्हारी कैसी तबीयत है ?

मोहन : मेरे पेट में बहुत दर्द है।

मैं : तुमने कल क्या खाया था ?

मोहन : कल तो मैंने कुछ भी नहीं खाया। 

मैं : जब कुछ भी नहीं खाया तो दर्द कैसे हो गया।

मोहन : पता नहीं कैसे हो गया यार। 

मैं : किसी डॉक्टर को दिखाया या नहीं ?

मोहन : हाँ डॉक्टर को दिखाया है वे दवाई दे गए हैं। 

मैं : चलो अच्छा है जल्दी ही ठीक हो जाओगे।

प्रश्न 3. ‘नाटक’ शब्द का आम जिंदगी में कब-कब इस्तेमाल किया जाता है ? सोचकर लिखो।

उत्तर: नाटक शब्द का आम जिंदगी में तब इस्तेमाल किया जाता है जब हमें कोई बहाना बनाना होता है।


प्रश्न 4. संकट के समय के लिए कौन-कौन से नंबर याद रखे जाने चाहिए। पुलिस, फायर ब्रिगेड और डॉक्टर से तुम कैसे बात करोगे?

उत्तर: संकट के समय पुलिस, फायर बिग्रेड़ और हॉस्पिटल एवं चिकित्सक के नंबर याद रखे जाने चाहिए। यदि कोई वारदात होती है तो पुलिस को जानकारी देंगे। यदि कहीं आग लगती है तो फायर बिग्रेड को खबर देंगे। यदि कोई बीमार है तो डॉक्टर को फोन करेंगे। हम पुलिस को कहेंगे कि अमुक स्थान पर कोई दुर्घटना हो गई है जल्दी पहुँचिए, फायर बिग्रेड को फोन करके घटना की जानकारी देंगे कि अमुक स्थान पर आग लगी है। रास्ता इधर-उधर से है जल्दी आ जाइए। डॉक्टर को कहेंगे कि मेरे अमुक रिश्तेदार की तबियत खराब है। आप जल्दी से जल्दी आकर उनकी हालत का जायजा लीजिए।


पाठ 7

ऐसे-ऐसे

भाषा की बात

(क) मोहन ने केला और संतरा खाया।

(ख) मोहन ने केला और संतरा नहीं खाया।

(ग) मोहन ने क्या खाया ?

(घ) मोहन केला और संतरा खाओ।

उपर्युक्त वाक्यों में से पहला वाक्य एकांकी से लिया गया है। बाकी तीन वाक्य देखने में पहले वाक्य से मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ अलग-अलग हैं। पहला वाक्य किसी कार्य या बात के होने के बारे में बताता है। इसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं। दूसरे वाक्य का संबंध उस कार्य के न होने से है, इसलिए उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। (निषेध का अर्थ नहीं या मनाही होता है।) तीसरे वाक्य में इसी बात को प्रश्न के रूप में पूछा जा रहा है, ऐसे वाक्य प्रश्नवाचक कहलाते हैं। चौथे वाक्य में मोहन से उसी कार्य को करने के लिए कहा जा रहा है। इसलिए उसे आदेशवाचक वाक्य कहते हैं। अगले पृष्ठ पर एक वाक्य दिया गया है। इसके बाकी तीन रूप तुम सोचकर लिखो –

बताना :         रुथ ने कपड़े अलमारी में रखे।

नहीं/मना करना :     रुथ ने कपड़े अलमारी में नहीं रखे।

पूछना :     क्या रुथ ने कपड़े अलमारी में रखे।

आदेश देना :     रुथ कपड़े अलमारी में रखो।

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