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Tuesday, September 7, 2021

Vidyarthi Jivan essay in hindi

 

विद्यार्थी जीवन

निबंध हिंदी
Students Life essay in Hindi


विद्‌यार्थी जीवन किसी भी व्यक्ति के जीवन का महत्त्वपूर्ण काल होता है । इसी काल पर व्यक्ति का संपूर्ण भविष्य निर्भर करता है । इस काल का सदुपयोग करने वाले विद्‌यार्थी अपने शेष जीवन को आरामदायक और सुखमय बना सकते हैं । इस काल को व्यर्थ के कार्यों में नष्ट करने वाले विद्‌यार्थी अपने भविष्य को अंधकारमय बना देते हैं । विद्‌यार्थी जीवन में ही व्यक्ति के चरित्र की नींव पड़ जाती है । अत: इस जीवन में बहुत सोच-समझकर कदम उठाने की जरूरत होती है । विद्‌यार्थियों को इस अवधि में अपनी शिक्षा स्वास्थ्य खेल-कूद और व्यायाम का समुचित ध्यान रखना चाहिए । उन्हें परिश्रमी और लगनशील बनना चाहिए । इस काल में स्वाध्याय को सफलता का मूलमंत्र मानना चाहिए । उन्हें हर प्रकार की बुरी संगति से बचना चाहिए । उन्हें नम्र बने रहकर विद्‌या ग्रहण करने का प्रयास करना चाहिए । उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखकर विद्‌यार्थी जीवन को सफल बनाया जा सकता है ।


Wednesday, August 25, 2021

Senapati Tantya Tope

सेनापति तात्या टोपे 

कक्षा 6 पाठ 12

प्रश्न अभ्यास
बोध और सराहना

1. 18 अप्रैल 1859 ईस्वी को शिवपुरी के आसपास ग्रामीणों की भीड़ पहाड़ियों पर क्यों बढ़ती जा रही थी
क) पहाड़ी पर टिड्डी दल की तरह बिखरे गोरी पलटन के हजारों सिपाहियों को देखने के लिए।
ख) न्याय का नाटक खेलने वाले भाई त्रस्त अंग्रेज अधिकारियों को देखने के लिए।
ग) स्वतंत्रता संग्राम के अजय योद्धा तात्या टोपे के अंतिम दर्शन करने के लिए।

उत्तर (ग)स्वतंत्रता संग्राम के अजय योद्धा तात्या टोपे के अंतिम दर्शन करने के लिए।

2. प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सूर्यास्त से लेखक का क्या तात्पर्य है?
उत्तर. तात्या टोपे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अग्रिम स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। तात्या टोपे एक वीर कुशल और स्वामी भक्त सेना नायक थे। जब तात्या टोपे को फांसी दी गई तो इसे लेखक ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सूर्यास्त का नाम दिया।

3. फांसी के तख्ते पर पहला कदम रखते ही वीर तात्या टोपे ने सबसे पहले क्या काम किया और क्यों?

उत्तर. फांसी के तख्ते पर पहला कदम रखने से पूर्व वह झुके। धरती मां की पवित्र माटी से अपने माथे पर तिलक लगाया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया कि वह धरती माता को प्रणाम करके उनसे क्षमा याचना की कि वह अंग्रेजों से भारत माता  की रक्षा नहीं कर पाए और भारत माता की रक्षा करते करते शहीद हो गए।

Saturday, July 31, 2021

Sandhi Hindi Vyakaran For class 6th

संधि 

कक्षा 6 हिंदी व्याकरण 

संधि का अर्थ है-मेल। जब दो वर्णों मेल से उनके मूल रूप में जो परिवर्तन या विकार आ जाता है, वह संधि कहलाता है; जैसे-

नर + ईश = नरेश

विद्या + अर्थी = विद्यार्थी

उपर्युक्त उदाहरणों में पहले शब्द के अंतिम वर्ण तथा दूसरे शब्द के पहले वर्ण के मेल में परिवर्तन आ गया है। यही परिवर्तन संधि है।


संधि विच्छेद – संधि का अर्थ है-मिलना, विच्छेद का अर्थ है-अलग होना। दो वर्णों के मेल से बने नए शब्द को वापस पहले की स्थिति में लाना संधि विच्छेद कहलाता है; जैसे–

विद्यालय = विद्या + आलय

सूर्योदय = सूर्य + उदय

संधि के भेद – संधि के तीन भेद होते हैं।

(क) स्वर संधि

(ख) व्यंजन संधि

(ग) विसर्ग संधि।

(क) स्वर संधि – स्वर संधि यानी स्वरों का मेल। दो स्वरों के मेल से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं; जैसे– महा + आत्मा = महात्मा, हिम + आलय = हिमालय।

स्वर संधि के पाँच भेद होते हैं


दीर्घ संधि

गुण संधि

वृधि संधि

यण संधि

अयादि संधि

1. दीर्घ संधि – जब ह्रस्व या दीर्घ स्वर के बाद ह्रस्व या दीर्घ स्वर आएँ, तो दोनों के मेल से दीर्घ स्वर हो जाता है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं; जैसे

परम + अर्थ = परमार्थ

सार + अंश = सारांश

न्याय + अधीश = न्यायधीश

देह + अंत = देहांत

मत + अनुसार = मतानुसार

भाव + अर्थ = भावार्थ


अ + आ = आ


हिम + आलय = हिमालय

छात्र + आवास = छात्रावास

आ + आ = आ – विद्या + आलय = विद्यालय, शिव + आलय = शिवालय।

इ + इ = ई – अभि + इष्ट = अभीष्ट, हरी + इच्छा = हरीच्छा।

इ + ई = ई – हरि + ईश = हरीश, परि + ईक्षा = परीक्षा।

ई + इ = ई – शची + इंद्र = शचींद्र, मही + इंद्र = महेंद्र।

ई + ई = ई – रजनी + ईश = रजनीश, नारी + ईश्वर = नारीश्वर

उ + उ = ऊ – भानु + उदय = भानूदय, लघु + ऊर्मि = लघूर्मि

उ + ऊ = ऊ – लघु + ऊर्मि = लघूर्मि,

ऊ + ऊ = ऊ – भू+ उर्जा = भूर्जा, भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व


2. गुण संधि – अ/आ का मेल इ/ई से होने पर ए, उ + ऊ से होने पर ओ तथा ऋ से होने पर अर् हो जाता है। इसे गुण संधि कहते हैं; जैसे

अ/आ + इ + ई = ए – नर + इंद्र = नरेंद्र, नर + ईश = नरेश।

अ/आ + उ + ऊ = ओ – पर + उपकार = परोपकार, महा + उत्सव = महोत्सव।

अ/आ + ऋ + ऋ = अर – देव + ऋषि = देवर्षि, महा + ऋषि = महर्षि। 

3. वृधि संधि – वृधि संधि में अ या आ के बाद यदि ए या ऐ हो तो दोनों का ‘ऐ’ होगा। यदि अ या आ के बाद ओ या आ

आए तो दोनों का ‘ओ’ होगा; जैसे

अ + आ + ए/ऐ = ऐ

एक + एक = एकैक, सदा + एव = सदैव

अ/आ + ओ + औ = औ = वन + औषधि = वनौषधि, जल + ओध = जलौध। 

4. यण संधि – इ अथवा ई के बाद इ और ई को छोड़कर यदि कोई अन्य स्वर हो तो ‘इ’ अथवा ई के स्थान पर य् उ अथवा ऊ को छोड़कर कोई अन्य स्वर हो तो उनके स्थान पर ‘व’ और ‘ऋ’ को छोड़कर कोई अन्य स्वर हो तो उसके स्थान पर ‘र’ हो जाता है। इसे यणसंधि कहते हैं; जैसे

अति + अधिक = अत्यधिक, यदि + अपि = यद्यपि

5. अयादि संधि – यदि पहले शब्द के अंत में ए/ऐ, ओ/औ एक दूसरे के शब्द के आरंभ में भिन्न स्वर आए तो क्रमशः ए का अय, ऐ का आय, ओ का अव, तथा औ का आव हो जाता है। इसे अयादि संधि कहते हैं; जैसे

ने + अक = नायक, भो + अन = भवन

पौ + अक = पावक, भौ + अक = भावुक 

(ख) व्यंजन संधि – व्यंजन का व्यंजन से अथवा किसी स्वर से मेल होने पर जो परिवर्तन होता है, वह व्यंजन संधि कहलाता . है; जैसे

सम + कल्प = संकल्प, जगत+ ईश = जगदीश।

व्यंजन संधि के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं-

(क) कवर्ग का तृतीय वर्ण-वर्गों के प्रथम वर्ण से परे वर्गों का तृतीय, चतुर्थ वर्ण कोई स्वर अथवा य, र, ल, वे, ह आदि वर्गों में से कोई वर्ण हो तो पहले वर्ण को अपने वर्ग का तृतीय वर्ण हो जाता है; जैसे।

दिक् + अंबर = दिगंबर, सत् + धर्म = सद्धर्म ।

(ख) खवर्ग का पंचम वर्ग-वर्ग के प्रथम या तृतीय वर्ण से परे पाँचवा वर्ण हो, तो उसके स्थान पर उसी वर्ग का पाँचवा वर्ण हो जाता है; जैसे

वाक् + मय = वाङ्मय, सत् + मार्ग = सन्मार्ग

जगत् + नाथ = जगन्नाथ, चित् + मय = चिन्मय।

(ग) त के बाद ज या झ हो तो ‘त’ के स्थान पर ‘न’ हो जाता है; जैसे

सत् + जन = सज्जान, विपत् + जाल = विपज्जाल, जगत् + जननी = जगज्जननी

(घ) त् के बाद ङ या ढ़ हो तो ‘त्’ के स्थान पर ‘ड’ हो जाता है; जैसे

उत् + डयन = उड्डयन, वृहत + टीका = वृहट्टीका। 

(ङ) त् के बाद ल हो तो ‘त’ के स्थान पर ‘ल’ हो जाता है; जैसै

तत् + लीन = तल्लीन, उत् + लेख = उल्लेख

(च) त् के बाद श हो तो ‘त्’ के स्थान पर ‘च्’ और ‘श’ के स्थान पर ‘छ’ हो जाता है; जैसे

उत् + श्वास = उच्छवास, तत् + शिव = तच्छिव


(छ) यदि त्’ के बाद च्, छ हो तो ‘त्’ का ‘च’ हो जाता है; जैसे

उत् + चारण = उच्चारण, सत् + चरित्र = सच्चरित्र


(ज) त् के बाद ह हो तो ‘त्’ का ‘द्’ और ह का ‘ध’ हो जाता है; जैसे

उत् + हार = उद्धार, तत् + हित = तधित

 

(झ) ‘म’ के बाद कोई स्पर्श व्यंजन हो तो ‘म्’ का अनुस्वार या बाद वाले वर्ण के पंचम हो जाता है; जैसे

अहम् + कार = अहंकार, सम् + तोष = संतोष


(ज) “म्’ के बाद य, र, ल, व, स, श, ह हो, तो म् अनुस्वार हो जाता है; जैसे

सम् + योग = संयोग, सम् + वाद = संवाद, सम् + हार = संहार

अपवाद-यदि सम् के बाद ‘राट्’ हो तो म् का म् ही रहता है। जैसे

सम् + राट = सम्राट


(ट) “छ’ से पूर्व स्वर हो तो ‘छ’ से पूर्व ‘च’ आ जाता है।

परि + छेद = परिच्छेद, आ + छादन् = अच्छादन।


(ठ) ह्रस्व स्वर ‘इ’ उ के बाद यदि ‘र’ के बाद फिर ‘र’ हो तो ह्रस्व स्वर दीर्घ हो जाता है। ‘र’ का लोप हो जाता है; जैसे

निर + रस = नीरस, निर + रोग = नीरोग


(ड) न् का ‘ण’ होना–यदि ऋ र, ष के बाद ‘न’ व्यंजन आता है तो ‘न’ का ‘ण’ हो जाता है; जैसे

राम + अयन = रामायण, परि + नाम = परिणाम


(ढ) ह्रस्व के बाद ‘छ’ हो तो उसके पहले ‘च’ जुड़ जाता है। दीर्घ स्वर में विकल्प होता है।

परि + छेद = परिच्छेद, शाला + छादन = शालाच्छादन


कुछ अन्य उदाहरण


क् + ग् – वाक् + ईश = वागीश, दिक + अंत = दिगंत।

त् + ६ – तत् + भव = तद्भव, भगवत् + गीता = भगवदगीता ।

छ संबंधी नियम – स्व + छेद = स्वच्छेद, परि + छेद = परिच्छेद।

म संबंधी नियम – सम् + गति = संगति, सम् + तोष = संतोष।


(ग) विसर्ग संधि – विसर्ग का किसी स्वर या व्यंजन से मेल होने पर जो विकार (परिवर्तन) होता है वह विसर्ग संधि कहलाता है; जैसे 

(क) विसर्ग के पहले ‘अ’ हो और बाद में कोई घोष व्यंजन, वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवा वर्ण (य, र, ल, व, ह) हो तो ।

विसर्ग का ‘ओ’ हो जाता है। जैसे–

मनः + बल = मनोबल, मनः + रंजन = मनोरंजन, मनः + हर = मनोहर।


(ख) विसर्ग के बाद यदि च, छ हो, तो विसर्ग का ‘श’ हो जाता है; जैसे

निः + चिंत = निश्चित, निः + छल = निश्छल, दु: + चरित्र = दुश्चरित्र।


(ग) विसर्ग के बाद यदि ट, ठ हो तो विसर्ग का.ष हो जाता है; जैसे

धनुः + टंकार = धनुष्टंकार


(घ) विसर्ग के बाद यदि त, थ हो तो विसर्ग का ‘स’ हो जाता है; जैसे

दुः + तर = दुस्तर, नमः + ते = नमस्ते ।

(ङ) यदि विसर्ग के पहले ‘अ’ और ‘आ’ को छोड़कर कोई दूसरा स्वर आए और विसर्ग के बाद कोई स्वर हो या किसी वर्ग का तीसरा, चौथा या पाँचवा वर्ण हो या य, र, ल, व, ह हो तो विसर्ग के बाद कोई स्वर हो या किसी वर्ग का तीसरा, चौथा या पाँचवा वर्ण हो या य, र, ले,व, ह हो, तो विसर्ग के स्थान पर ‘र’ हो जाता है; जैसे

निः + बल = निर्बल, निः + लोभ = निर्लोभ, निः + विकार = निर्विकार।

 

(च) विसर्ग से परे श, ष, स हो तो विसर्ग के विकल्प से परे वाले वर्ण हो जाता है।

निः + संदेह = निस्संदेह, दु: + शासन = दुश्शासन

(छ) यदि विसर्ग के पहले इकार या उकार आए और विसर्ग के बाद का वर्ण क, ख, प, फ, हो तो विसर्ग का ष हो जाता है; जैसे

निः + कपट = निष्कपट, दुः + कर = दुष्कर।


(ज) यदि विसर्ग के बाद ‘अ’ न हो तो विसर्ग का लोप हो जाएगा; जैसे

अतः + एव = अतएव


Saturday, July 24, 2021

Desh Gaan, class6th hindi kavita

पाठ 11 . देश-गान  

कक्षा 6 हिंदी कविता                                 


देश-गान कक्षा 6 हिंदी कविता  

बोद्ध और सराहना

प्रशन 1 हमें अपने देश पर अभिमान है क्योंकि 

(क) भारत एक विशाल देश है। 
(ख )भारत को उपमहाद्वीप कहा जाता है। 
(ग )भारत एक धनवान देश है। 
(घ )भारत की प्रकृति और संस्कृति निराली है। 

 उत्तर. (घ )भारत की प्रकृति और संस्कृति निराली है।

प्रशन 2. भारत को महान बनाने में सागर, गंगा और हिमालय का क्या योगदान है?
उत्तर. भारत को महान बनाने के लिए सागर सदा ही भारत के चरण स्पर्श करता रहता है, गंगा का निर्मल जल करोड़ों लोगो की प्यास भुझाता है और किसानो की लहलहाती फसलों की सिंचाई के काम आता  है. हिमालय पर्वत सिपाही सा सदैव खड़ा रहता है और एक मुकुट के रूप में भारत देश की शान बढ़ाता है।  

प्रशन 3. कविता की किन पंक्तियों का आशय है 
भारत भूमि का कण-कण वर्षा और धूप से खिल उठता है?
उत्तर. कली कली के प्राण खोलता।  

प्रशन 4. देश का कोई एक उधारण देकर समझाएं की हमारे देश के लोग आदिकाल से ही ज्ञान के क्षेत्र में आगे रहे हैं
उत्तर. भारत देश प्राचीन काल से ही ज्ञान के क्षेत्र में आगे रहा है। विश्व का प्राचीनतम विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय भारत में ही था। भारत के ही विद्वानों ने 0 और दशमलव का दान विश्व को दिया।

प्रशन5. देश को छोटी बहू ओर कोटि प्रणाम क्यों कहा गया है 
6. भाऊ स्पष्ट कीजिए
जान किरण का बांध देश का
झुक झुक नव करता पद वंदन
उत्तर.
उत्तर.

Tuesday, July 13, 2021

An Ideal Teacher essay 150 words

An Ideal Teacher

 150 Words – Essay

Every person needs education because life without education is like an animal. The most important contribution to education is the teacher. It is the teacher who helps everyone to become a good citizen and can take the country to new heights. Children, who are the future of every country, only the teacher can secure their future. The ideal teacher is one who helps his disciples in every way possible and is skilled in his teacher work. The ideal teacher is always sure of time.

Any teacher should be courteous and discipline should be dear. Ideal teachers teach in such a way that all children understand easily. He treats children sweetly and his words are always clear. He considers the disciples like his children and never kills. They are restrained and they are not excited. In every child’s life, there is definitely an ideal teacher in his eyes, whose life he takes inspiration from. Ideal teachers create the future of children.

Tuesday, July 6, 2021

Lok geet class 6th Hindi




पाठ  10 लोकगीत

कक्षा 6 हिंदी 


लोकगीत पाठ का सार 


यह पाठ एक निबंध है जिसमें लेखक ने लोकगीत की उत्पत्ति, विकास और महत्व को विस्तार से समझाया है। लोकगीत जनता का संगीत है।  लोकगीत अपनी लोच, ताजगी और लोकप्रियता के कारण शास्त्रीय संगीत से अलग होता है। त्योहारों और विशेष अवसर पर ये गाए जाते हैं।  इन्हें साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि वाद्ययंत्रों की मदद से गाया जाता है। पहले ये शास्त्रीय संगीत से खराब समझा जाता था परन्तु बदलते समय ने लोकगीतों और लोकसाहित्य को उच्च स्थान दिया है।

लोकगीत कई प्रकार के होते हैं। आदिवासी मध्य प्रदेश, दकन, छोटा नागपुर में गोंड-खांड, ओराँव-मुंडा, भील-संथाल आदि क्षेत्रों में फैले हुए हैं और इनके संगीत बहुत ही ओजस्वी तथा सजीव होते हैं  पहाड़ियों के गीत भिन्न-भिन्न रूपों में होते हैं। गढ़वाल, किन्नौर, कांगड़ा आदि के अपने-अपने गीत हैं और उन्हें गाने की अपनी-अपनी विधियाँ हैं। विभिन्न होते हुए भी इन गीतों का नाम ‘पहाड़ी' पड़ गया है। चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि के लोकगीत मिर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रदेश के अन्य पूर्वी और बिहार के पश्चिमी जिलों में गाए जाते हैं। बंगाल में बाऊल और भतियाली, पंजाब में माहिया, हीर-राँझा, सोहनी-महिवाल संबंधी गीत और राजस्थान में ढोला मारु लोकगीत बड़े चाव से गाए जाते हैं। 

लोकगीत कल्पना पर आधारित नहीं होते हैं बल्कि देहाती जीवन के रोजमर्रा के विषय पर आधारित होते हैं। इनके राग भी साधारणत: पीलू, सारंग, दुर्गा, सावन आदि हैं। देहात में कहरवा, बिरहा, धोबिया आदि राग गाए जाते हैं। बिहार में ‘बिदेसिया' बहुत लोकप्रिय है। इनका विषय रसिका प्रेमी और प्रियाओं तथा परदेसी प्रेमी पर आधारित होता है। जंगल की जातियों में भी दल-गीत होते हैं जो बिरहा आदि पर गाए जाते हैं। बुंदेलखंड में आल्हा के गीत गाए जाते हैं। इनकी शुरुआत चंदेल राजाओं के राजकवि जगनिक द्वारा रचित आल्हा-ऊदल की वीरता के महाकाव्य से माना जाता है। धीरे-धीरे दूसरे देहाती कवियों ने इन्हें अपनी बोली में उतारा है। इन गीतों को नट रस्सियों पर खेल करते हुए गाते हैं।  

हमारे देश में स्त्रियों द्वारा गाए जाने वाले लोकगीतों की संख्या ज्यादा है। इनकी रचना भी वे ही करती हैं। भारत के लोकगीत अन्य देशों से भिन्न हैं क्योंकि अन्य देशों में स्त्रियों के गीत मर्द से अलग नहीं होते। हमारे देश में विभिन्न अवसरों पर विभिन्न गीत गाए जाते हैं - जैसे जन्म, विवाह, मटकोड़, ज्यौनार आदि जो स्त्रियाँ गाती हैं। इन अवसरों पर गाए जाने वाले गीतों का संबंध प्राचीन काल से है। बारहमासा गीत आदमियों के साथ-साथ स्त्रियाँ भी गाती हैं। स्त्रियों के गीत दल बनाकर गाए जाते हैं। इनके स्वरों में मेल नहीं होता है फिर भी अच्छे लगते हैं। होली, बरसात में गाई जाने वाली कजरी सुनने वाली होती है। पूर्वी भारत में अधिकतर मैथिल कोकिल विद्यापति के गीत गाए जाते हैं। गुजरात में 'गरबा' नामक नृत्य गायन प्रसिद्ध है। इस दल में औरतें घूम-घूम कर एक विशेष विधि से गाती हैं और नाचती हैं। ब्रज में होली के अवसर पर रसिया दल बनाकर गाया जाता है। गाँव के गीतों के अनेक प्रकार हैं । 


पाठ  10 लोकगीत कक्षा 6 हिंदी

भारत के मानचित्र में





कुछ करने को




प्रश्न 1निबंध में लोकगीतों के किन पक्षों की चर्चा की गई है? बिंदुओं के रूप में उन्हें लिखो।

उत्तर- इस निबंध में लोकगीतों के निम्नलिखित पक्षों की चर्चा हुई है-

लोकगीत प्रिय होते हैं।

लोकगीत का महत्त्व

लोकगीत और शास्त्रीय संगीत

लोकगीतों के प्रकार, गायन शैली, राग

सहायक वाद्य यंत्र, गायक समूह

लोकगीतों के साथ चलने वाले नृत्य

लोकगीतों की भाषा

लोकगीतों की लोकप्रियता।

लोकगीतों के प्रकार

बिना किसी बाजे की मदद के भी गया जाना।

प्रश्न 2. हमारे यहाँ स्त्रियों के खास गीत कौन-कौन से हैं?

उत्तर- हमारे यहाँ लोकगीत ऐसे हैं जिन्हें स्त्रियों के खास गीत कहा जा सकता है। ऐसे गीत में त्योहारों पर नदियों में नहाते समय के, नहाने जाते रास्ते के गीत, विवाह के अवसर पर गाए जाने वाले गीत, मटकोड, ज्यौनार के, संबंधियों के लिए प्रेमयुक्त गाली, जन्म आदि के गीत स्त्रियों के गीत हैं। इसके अतिरिक्त कजरी, गुजरात का गरबा और ब्रज का रसिया भी स्त्रियों द्वारा गाया जाने वाला गीत है।


प्रश्न 3. निबंध के आधार पर और अपने अनुभव के आधार पर (यदि तुम्हें लोकगीत सुनने के मौके मिले हैं तो) तुम लोकगीतों की कौन-सी विशेषताएँ बता सकते हो?

उत्तर- लोकगीत हमारी सांस्कृतिक पहचान है। इन गीतों में हमारी-अपनी सभ्यता-संस्कृति एवं संस्कार झलकते हैं। इनकी अनेक विशेषताएँ हैंलोकगीत गाँव के अनपढ़ पुरुष व औरतों के द्वारा रचे गए हैं। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती। लोकगीतों में लचीलापन और ताजगी होती है। ये आम जनता के गीत हैं। ये त्योहारों और विशेष अवसरों पर ही गाए जाते हैं। 

मार्ग या देशी के सामने इनको हेय समझा जाता था अभी तक इनकी उपेक्षा की जाती है, लेकिन साहित्य और कला के क्षेत्र में परिवर्तन होने पर प्रांतों की सरकारों ने लोकगीत साहित्य के पुनरुद्धार में हाथ बँटाया। वास्तविक लोकगीत गाँव व देहात में है। लोकगीत वाद्य यंत्रों की मदद के बिना गाए जा सकते हैं। वैसे साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी बजाकर भी गाए जाते हैं। इनके रचनाकार आम आदमी और स्त्रियाँ ही होते हैं?

प्रश्न 4. ‘पर सारे देश के … अपने-अपने विद्यापति हैं’-इस वाक्य का क्या अर्थ है? पाठ पढ़कर मालूम करो और लिखो।

उत्तर- इस वाक्य का यह अर्थ है कि विद्यापति जैसे लोकगीतों की रचना करने वाले अन्य क्षेत्रों में भी होते हैं। यानी जिस तरह मिथिला क्षेत्र में मैथिल कोकिल विद्यापति के गीत लोकप्रिय हैं, उसी प्रकार हर क्षेत्र में हर जगह पर कोई-न-कोई प्रसिद्ध लोकगीत रचनाकार पैदा हुआ है, जिसके गीतों की उस क्षेत्र में विशेष धूम रहती है। बुंदेलखंड के लोकगीत रचनाकार जगनिक का ‘आल्हा’ इसका उदाहरण है।


प्रश्न 1. क्या लोकगीत और नृत्य सिर्फ गाँवों या कबीलों में ही गाए जाते हैं? शहरों के कौन से लोकगीत हो सकते हैं? इस पर विचार करके लिखो।

उत्तर- लोकगीत और नृत्य गाँवों और कबीलों में बहुत लोकप्रिय होते हैं। शहरों में इन्हें बहुत कम देखा जा सकता है। शहरों में जो लोकगीत गाए जाते हैं वे भी किसी-न-किसी रूप में गाँवों से ही जुड़े हुए हैं। शहरों के लोग देश के अलग-अलग ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर बसे हुए होते हैं। अब शहरों के लोग भी इनमें रुचि ले रहे हैं। वे सामान्य संगीत से हटकर होते हैं। अतः आकर्षण के कारण बन जाते हैं। शहरों के लोकगीत हो सकते हैं-शहरिया बाबू, नगरी आदि।


प्रश्न 2. जीवन जहाँ इठला-इठलाकर लहराता है, वहाँ भला आनंद के स्त्रोतों की कमी हो सकती है। उद्दाम जीवन के ही वहाँ के अनंत संख्यक गाने प्रतीक हैं। क्या तुम इस बात से सहमत हो ? ‘बिदेसिया’ नामक लोकगीत से कोई कैसे आनंद प्राप्त कर सकता है और वे कौन लोग हो सकते हैं जो इसे गाते-सुनते हैं? इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर अपने कक्षा में सबको बताओ। 


उत्तर- हाँ, मैं इस बात से सहमत हूँ। लोकगीत गाँवों की उन्मुक्त चर्चा के प्रतीक हैं। किसी भी लोकगीत से आनंद प्राप्त किया जा सकता है यदि आप वहाँ की बोली से थोड़ा भी परिचित हों। जो लोग भोजपुरी के जानकार हैं। वे ‘बिदेसिया’ लोकगीत को सुनकर आनंद उठा सकते हैं। इन गीतों में रसिक प्रियों और प्रियाओं की बात रहती है। इससे परदेशी प्रेमी और करुणा का रस बरसता है।



प्रश्न 1. ‘लोक’ शब्द में कुछ जोड़कर जितने शब्द तुम्हें सूझे, उनकी सूची बनाओ। इन शब्दों को ध्यान से देखो और समझो कि उनमें अर्थ की दृष्टि से क्या समानता है। इन शब्दों से वाक्य भी बनाओ, जैसे-लोककला।

उत्तर. लोकहित- हमारे नेताओं को लोकहित में ध्यान रखकर काम करना चाहिए।

लोकप्रिय- डॉ० राजेंद्र प्रसाद हमारे लोकप्रिय नेता थे।

लोकप्रिय- लोक संगीत का अपना अलग की आनंद है।

लोकनीति- लोकनीति यदि सही है तो देश में समाज का विकास होगा।

लोकगीत- लोकगीतों की परंपरा का पालन केवल गाँवों तक सीमित रह गया है।

लोकनृत्य- लोकनीति ग्रामीण संस्कृति का प्रतीक है।

लोकतंत्र- भारत में लोकतंत्र है।

इनमें अर्थ की दृष्टि से यह समानता है कि शब्द लोक अर्थात जनता से संबंधित है।


प्रश्न 2. ‘बारहमासा’ गीत में साल के बारह महीनों का वर्णन होता है। नीचे विभिन्न अंकों से जुड़े कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें पढ़ो और अनुमान लगाओ कि इनका क्या अर्थ है और वह अर्थ क्यों है? इसी सूची में तुम अपने मन से सोचकर भी कुछ शब्द जोड़ सकते हो-


इकतारा

सरपंच

चारपाई

सप्तर्षि

अठन्नी

तिराहा

दोपहर

छमाही

नवरात्र

चौराहा

उत्तर


शब्द – अनुमान वाले अर्थ


इकतारा – एक तार वाला वाद्य यंत्र

सरपंच – पंचों में प्रमुख

तिराहा – जहाँ तीन रास्ते मिलते हैं।

दोपहर – दो पहर का मिलन

चारपाई – चार पायों वाली

छमाही – छह महीने में होने वाली

सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह

नवरात्र – नौ रात्रियों के समूह

अठन्नी – आठ आने का सिक्का

नवरत्न – नौ रत्नों का समूह

शताब्दी – सौ सालों का समूह

चतुर्भुज – चार भुजाओं से घिरी आकृति

प्रश्न 3. को, में, से आदि वाक्य में संज्ञा का दूसरे शब्दों के साथ संबंध दर्शाते हैं। ‘झाँसी की रानी’ पाठ में तुमने का के बारे में जाना। नीचे ‘मंजरी जोशी’ की पुस्तक ‘भारतीय संगीत की परंपरा’ से भारत के एक लोकवाद्य का वर्णन दिया गया है। इसे पढ़ो और रिक्त स्थानों में उचित शब्द लिखो।

तुरही भारत के कई प्रांतों में प्रचलित है। यह दिखने …….. अंग्रेज़ी के एस या सी अक्षर ………… तरह होती है। भारत ………. विभिन्न प्रांतों में पीतल या काँसे ………. बना यह वाद्य अलग-अलग नामों ……… जाना जाता है। धातु की नली ……… घुमाकर एस ………… आकार इस तरह दिया जाता है कि उसका एक सिरा संकरा रहे दूसरा सिरी घंटीनुमा चौड़ा रहे। फेंक मारने ……… एक छोटी नली अलग ………. जोड़ी जाती है। राजस्थान ……… इसे बर्ग कहते हैं। उत्तर प्रदेश ………. यह तूरी, मध्य प्रदेश और गुजरात ……….. रणसिंघा और हिमाचल प्रदेश ………… नरसिंघा …………. नाम से जानी जाती है। राजस्थान और गुजरात में इसे काकड़सिंघी भी कहते हैं।

उत्तर-

तुरही भारत के कई प्रांतों में प्रचलित है। यह दिखने में अंग्रेजी के एस या सी अक्षर की तरह होती है। भारत के विभिन्न प्रांतों में पीतल या काँसे का बना यह वाद्य अलग-अलग नामों से जाना जाता है। धातु की नली को घुमाकर एस का आकार इस तरह दिया जाता है कि उसका एक सिरा संकरा रहे और दूसरा सिरा घंटीनुमा चौड़ा रहे। फेंक मारने को एक छोटी नली अलग से जोड़ी जाती है। राजस्थान में इसे बर्गे कहते हैं। उत्तर प्रदेश में यह तूरी, मध्य प्रदेश और गुजरात में रणसिंघा और हिमाचल प्रदेश में नरसिंघा के नाम से जानी जाती है। राजस्थान और गुजरात में इसे काकड़सिंधी भी कहते हैं।


भारत के नक्शे में पाठ में चर्चित राज्यों के लोकगीत और नृत्य दिखाओ।




प्रश्न 1.अपने इलाके के कुछ लोकगीत इकट्ठा करो। गाए जाने वाले मौकों के अनुसार उनका वर्गीकरण करो।

उत्तर- मल्हार- सावन के महीने में गाया जाने वाला गीत।

विवाह गीत- विवाह के अवसर पर गाए जाने वाले गीत।

रागिणी- हरियाणा-दिल्ली का लोकगीत।

प्रश्न 2. जैसे-जैसे शहर फैल रहे हैं और गाँव सिकुड़ रहे हैं, लोकगीतों पर उनका क्या असर पड़ रहा है? अपने आसपास के लोगों से बातचीत करके और अपने अनुभवों के आधार पर एक अनुच्छेद लिखो।

उत्तर- गाँव के लोगों का शहर की तरफ़ पलायन हो रहा है। अपने साथ वे अपने लोकगीतों को भी ला रहे हैं। ये लोकगीत शहरी लोगों को काफ़ी आकर्षित कर रहे हैं। शहरी लोगों को ये लोकगीत सामान्य फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गीतों से अलग हटकर आनंद दे रहे हैं। अब सभा और समारोहों में लोकगीतों का धूम मची रहती है।


प्रश्न 3. रेडियो और टेलीविज़न के स्थानीय प्रसारणों में एक नियत समय पर लोकगीत प्रसारित होते हैं। इन्हें सुनो और सीखो।

उत्तर- छात्र इन्हें सुनकर सीखने का प्रयास करें।

Monday, June 28, 2021

Main Sabse Chhoti Houn Hindi Kavita Class 6th

 मैं सबसे छोटी होऊं

हिंदी कविता कक्षा 6 


मैं सबसे छोटी होऊँ

तेरी गोदी में सोऊँ


तेरा आँचल पकड़-पकड़कर

फिरू सदा माँ तेरे साथ

कभी न छोड़ूँ तेरा हाथ


बड़ा बनाकर पहले हमको

तू पीछे छलती है मात

हाथ पकड़ फिर सदा हमारे

साथ नहीं फिरती दिन-रात


अपने कर से खिला, धुला मुख

धूल पोंछ, सज्जित कर गात

थमा खिलौने, नहीं सुनाती

हमें सुखद परियों की बात


ऐसी बड़ी न होऊँ मैं

तेरा स्‍नेह न खोऊँ मैं

तेरे अंचल की छाया में

छिपी रहूँ निस्‍पृह, निर्भय

कहूँ दिखा दे चंद्रोदय


मैं सबसे छोटी होऊं कविता का भावार्थ भाग 1 


मैं सबसे छोटी होऊँ

तेरी गोदी में सोऊँ


तेरा आँचल पकड़-पकड़कर

फिरू सदा माँ तेरे साथ

कभी न छोड़ूँ तेरा हाथ

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का भावार्थ-  

मैं सबसे छोटी होऊं कविता के प्रथम पद में बच्ची कह रही है कि काश मैं अपनी मांँ की सबसे छोटी संतान बनूं ताकि मैं उनकी गोदी में प्यार से सो सकूँ। प्यार से उनका आंँचल पकड़कर, हमेशा उनके साथ घूमती रहूँ और उनका हाथ कभी ना छोड़ूं।


बड़ा बनाकर पहले हमको

तू पीछे छलती है मात

हाथ पकड़ फिर सदा हमारे

साथ नहीं फिरती दिन-रात

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का भावार्थ- 

मैं सबसे छोटी होऊं कविता के इस पद में बालिका कह रही है कि जैसे ही हम बड़े हो जाते हैं, मांँ हमारा साथ छोड़ देती है। फिर वह दिन-रात हमारे आगे-पीछे नहीं घूमती, इसलिए हमें छोटा ही बने रहना चाहिए।



 

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का भावार्थ भाग 2  

अपने कर से खिला, धुला मुख

धूल पोंछ, सज्जित कर गात

थमा खिलौने, नहीं सुनाती

हमें सुखद परियों की बात

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का भावार्थ- 

मैं सबसे छोटी होऊं कविता में बच्ची आगे कहती है कि बड़े होने के बाद माँ हमें अपने हाथ से नहलाती नहीं, ना ही सजाती और संवारती है। फिर तो माँ हमें प्यार से एक जगह बिठा कर खिलौनों से नहीं खिलाती और परियों की कहानी भी नहीं सुनाती।


ऐसी बड़ी न होऊँ मैं

तेरा स्‍नेह न खोऊँ मैं

तेरे अंचल की छाया में

छिपी रहूँ निस्‍पृह, निर्भय

कहूँ दिखा दे चंद्रोदय

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का भावार्थ- 

मैं सबसे छोटी होऊं कविता के अन्तिम पद में बच्ची कह रही है कि मुझे बड़ा नहीं बनना है क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो मैं माँ के आंँचल का साया खो दूंगी, जिसमें मैं निर्भय और सुरक्षित होकर आराम से सो जाती हूं।

तः बच्ची हमेशा छोटी ही रहना चाहती है क्योंकि बड़ा होने के बाद उसे मांँ का प्यार और दुलार नहीं मिल पाएगा।



मैं सबसे छोटी होऊं हिंदी कविता कक्षा 6 

मैं सबसे छोटी होऊं प्रश्न – उत्तर


प्र .1. कविता में सबसे छोटे होने की कल्पना क्यों की गई है?

उत्तर.1:- कविता में सबसे छोटे होने की कल्पना इसीलिए की गई है क्योंकि परिवार के सबसे छोटे सदस्य को सबसे अधिक प्यार और दुलार मिलता है और सबसे ज़्यादा वो मांँ का लाडला होता है। उसे मांँ का सबसे अधिक प्यार और देखभाल मिलती है।


प्र .2. कविता में ‘ऐसी बड़ी न होऊँ मैं’ क्यों कहा गया है?

उत्तर.2:-  ऐसा इसीलिए कहा गया है ताकि उसे हमेशा अपनी मांँ का स्नेह और उनके आंँचल का दुलार मिलता रहे।


प्र .3.कविता में किसके आँचल की छाया में छिपे रहने की बात कही गई है और क्यों?

उत्तर.3:- कविता में अपनी मां के आंँचल की छाया में छिपे रहने की बात कही गई है और इसीलिए कही गई है क्योंकि बच्चों को सबसे ज़्यादा प्यार उनकी मां ही करती है तथा उसकी गोद में बच्चा अपने आप को सुरक्षित व चिंतामुक्त महसूस करता है।


प्र.4. आशय स्पष्ट करो –

“हाथ पकड़ फिर सदा हमारे

साथ नहीं फिरती दिन-रात!”

उत्तर.4:- इस पंक्ति का आशय यह है कि जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, वैसे-वैसे मांँ का साथ छूटता जाता है और वो हमारे साथ हर समय हमेशा नहीं रह पाती।

 

प्र.5. कविता से पता करके लिखो कि माँ बच्चों के लिए क्या-क्या काम करती है? तुम स्वयं सोचकर यह भी लिखो कि बच्चों को माँ के लिए क्या-क्या करना चाहिए?

उत्तर.5:-  प्रस्तुत कविता में मां बच्चे को हमेशा अपने आंचल के साए में रखती है, प्यार से गोदी में सुलाती है, खाना खिलाती है, नहलाती, सजाती और संवारती है। इसके साथ-साथ उस परियों की कहानी और लोरी भी सुनाती है।

हम बच्चों को भी यह चाहिए कि हम अपनी मां की हर बात मानें, उनको छोटी – छोटी बातों में परेशान ना करें, यथासंभव हर काम में उनकी मदद करें तथा उनके स्वास्थ्य और सेहत का ध्यान रखें। उन्हें हमेशा खुश रखें जैसे वह हमें हमेशा खुश रखती हैं।

Thursday, June 24, 2021

Letter to your Uncle Thanking him for a Birthday gift

 Letter Writing


Write Letter to your Uncle Thanking him for a Birthday gift


72, Ward no. 15

Sanasar,


Date 22 June 2021


My Dear uncle,


We all are fine here. I hope you are also fine. Your delightful present came to hand this morning and I must thank you very much indeed for it. It is really very kind of you to think of me. I thank you for the gift you sent me on my birthday. 

It is a beautiful watch. All my friends liked it very much. I needed this watch. Now I will not be late for school. I will come to meet you soon. Take care of yourself. 

With love and respect to you and dear Aunt.

Your affectionately Nephew


Name Rohit Kumar

Saturday, June 19, 2021

Ticket album class 6 hindi sar aur prashn uttar

टिकट अलबम 

पाठ 8, हिंदी कक्षा 6 

पाठ का सार 


टिकट अलबम कहानी सुंदरा राम स्वामी जी द्वारा लिखी गयी एक बाल प्रद कहानी है। 

कहानी में राजप्पा नाम के एक लड़के के बारे में बताया गया है ,जिसे टिकट एलबम बनाने का शौक है। वह टिकट इकट्ठा करने के लिए बहुत मेहनत करता था। स्कूल से घर लौटने पर वह मीलों पैदल चलाकर टिकट लाने जाता था। कभी कभी वह अपने दो टिकट देकर उनका एक टिकट लाता। इस प्रकार उसने एक भारी भरकम टिकट एलबम बना लिया था। जिसके कारण कक्षा में उसकी धाक जम गयी थी। लेकिन कहानी में बदलाव तब आया। जब कक्षा में ही पढने वाले नागराजन के मामा ने सिंगापूर से टिकट एलबम भेज दिया। वह बहुत ही सुन्दर एलबम था ,जिसे कक्षा में सभी लोगों ने पसंद किया। अब नागराजन की धाक जम गयी। इसके कारण राजप्पा को कोई पूछता ही नहीं था। राजप्पा ,नागराजन से चिढ़ने लगा। अब उसका मन,पढाई लिखाई में नहीं लगता था। कक्षा में सभी लोग उसे चिढ़ाने लगे ,जिससे उसका मन विद्यालय भी जाने को नहीं कहता था। 

राजप्पा ,एक दिन नागराजन के घर मिलने गया। घर पर नागराजन नहीं था। नागराजन की बहन ने बताया कि वह शहर गया हुआ है। अकेले कमरे में बैठे होने के कारण दराज में रखे हुए नागराजन के एलबम को राजप्पा ने चुरा लिया और कमीज के नीचे खोस कर घर भागा। शाम तक नागराजन और उसके सभी दोस्तों को खबर हो गयी है कि उसका एलबम चोरी हो गया है। एलबम लाकर राजप्पा ने अपने कमरे की आलमारी के पीछे छिपा दिया। वह बहुत डर गया था। उसे रात भर नींद नहीं आई। दूसरे दिन अप्पू ने बताया कि नागराजन की बहन बता रही है कि तुम्ही उसके कमरे में गए थे और सभी लोग तुम पर शक कर रहे हैं। उसके पिता पुलिस के दफ्तर में काम करते हैं। हो सकता है कि वे पुलिस की शिकायत करें। यह बातें सुनकर राजप्पा बहुत डर गया गया। अब हर आहट उसे पुलिस की लगने लगी।

वह अम्मा के दरवाजा खटखटाने से डरने लगा। वह थक हार कर नागराजन ने एलबम को अंगीठी पर जला दिया। दूसरे दिन जब नागराजन ,उसके घर आया तो वह पश्चाताप से भरा हो के कारण अपना एलबम उसे सौंप दिया। नागराजन बार बार मना करता रहा ,लेकिन राजप्पा नहीं माना और रोते रोते अपना एलबम उसे सौंप दिया। 


टिकट अलबम पाठ 8, हिंदी कक्षा 6 

प्रश्न - अभ्यास 


कहानी से 

प्रश्न  1: अलबम पर किसने और क्यों लिखा? इसका असर क्लास के दूसरे लड़के-लड़कियों पर क्या हुआ?

उत्तर: अलबम के, पहले पृष्ठ पर ‘नागराजन’ के मामा ने मोती जैसे अक्षरों में लिखा भेजा था-

‘ए. एम. नागराजन’

“ इस अलबम को चुराने वाला बेशर्म है। ऊपर लिखें नाम को कभी देखा है? यह अलबम मेरा है। जब तक घास हरी है और कमल लाल, सूरज जब तक पूर्व से उगे और पश्चिम में छिपे, उस अनंत काल तक के लिए यह अलबम मेरा है, रहेगा।”

ऐसा करने से इस अलबम को कोई नहीं चुरा सकेगा। और अगर किसी नें इसे चुराया तो वह जल्द ही पकड़ा जाएगा।

इसका असर क्लास के दूसरे लड़के-लड़कियों पर भी पड़ा। लड़कों ने इसे अपने अलबम में उतार लिया, लड़कियों ने झट कापियों और किताबों में टीप लिया।


प्रश्न 2: नागराजन के अलबम के हिट हो जाने के बाद राजप्पा के मन की क्या दशा हुई ?

उत्तर: नागराजन के अलबम के हिट हो जाने के बाद राजप्पा का मन दुःखी हो गया और नागराजन के प्रसिद्ध होने के कारण उसके मन में जलन की भावना आ गई, क्योंकि इससे पहले राजप्पा के अलबम की धूम थी।

टिकट अलबम पाठ 8, हिंदी कक्षा 6 

प्रश्न 3: अलबम चुराते समय राजप्पा किस मानसिक स्थिति से गुज़र रहा था?

उत्तर: अलबम चुराते समय राजप्पा का मन घबरा रहा था, उसका पूरा शरीर जल रहा था, गला सूख रहा था और चेहरा तमतमाने लगा था, क्योंकि उसे यह पता था कि वह गलत कर रहा है और ऐसा करने से वह पकड़ा जाएगा।


प्रश्न 4: राजप्पा ने नागराजन का टिकट-अलबम अँगीठी में क्यों डाल दिया?

उत्तर : राजप्पा को डर था कि कहीं उसकी चोरी पकड़ी न जाए, कहीं पुलिस उसे पकड़ कर न ले जाए।


प्रश्न 5: लेखक ने राजप्पा के टिकट इकट्ठा करने की तुलना मधुमक्खी से क्यों की?

उत्तर : जिस तरह मधुमक्खी धीरे-धीरे शहद इकट्ठा करती है उसी प्रकार राजप्पा ने भी सुबह से शाम तक सभी दोस्तों के घर के चक्कर काट-काट कर, एक-एक करके सारी टिकटों को एक अलबम में इकट्ठा करके रखा। दोनों के काम में काफी समानता है। इसी कारण लेखक ने राजप्पा के टिकट इकट्ठा करने की तुलना मधुमक्खी से की है।


टिकट अलबम पाठ 8, हिंदी कक्षा 6 

कहानी से आगे 

प्रश्न  1: टिकटों की तरह ही बच्चे और बड़े दूसरी चीज़ें भी जमा करते हैं। सिक्के उनमें से एक हैं। क्या तुम कुछ अन्य चीज़ों के बारे में सोच सकते हो जिन्हें जमा किया जा सकता है? उनके नाम लिखो।

उत्तर : टिकटों की तरह ही बच्चें और बड़े दूसरी चीज़ें भी जमा करते हैं जैसे-


(i) पुराने सिक्के।


(ii) तरह-तरह के शंख या सीपें।


(iii) सोने या चाँदी के कीमती गहनें।


(iv) कुछ विशेष पेड़ों या पौधों की पत्तियाँ।


(v) दूसरे देशों के रूपए के नोट आदि।


प्रश्न  2: टिकट-अलबम का शौक रखने के राजप्पा और नागराजन के तरीके में क्या फ़र्क है? तुम अपने शौक के लिए कौन-सा तरीका अपनाओगे ?

उत्तर : राजप्पा ने टिकट-अलबम में टिकट इकट्ठा करने के लिए काफी परिश्रम किया था। जैसे कि उसने एक देश के टिकट देकर दूसरे देश का टिकट लिया, सुबह से शाम तक दौड़-धूप करने के बाद टिकट इकट्ठा किया था।


परन्तु नागराजन का टिकट-अलबम उसके मामा ने उसके लिए बना-बनाया भिजवा दिया था; अतः नागराजन को इसके लिए किसी प्रकार की कोई मेहनत नहीं करनी पड़ी।



टिकट अलबम पाठ 8, हिंदी कक्षा 6 

प्रश्न  3: इकट्ठा किए हुए टिकटों का अलग-अलग तरह से वर्गीकरण किया जा सकता है। जैसे, देश के आधार पर। ऐसे और आधार सोचकर लिखो।

उत्तर : अगर वर्गीकरण के आधार पर ध्यान दें तो निम्नलिखित आधार पर टिकट का वर्गीकरण किया जा सकता है-


(i) देश के आधार पर


(ii) रंगों के आधार पर


(iii) छोटे तथा बड़े आकार के आधार पर


(iv) मूल्य के आधार पर।


प्रश्न  4: कई लोग चीज़ें इकट्ठा कर ‘गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में अपना नाम दर्ज करवाते हैं। इसके पीछे उनकी क्या प्रेरणा होती होगी? सोचो और अपने दोस्तों से इस पर बातचीत करो।

उत्तर : इसके पीछे उनकी यही प्रेरणा होती है कि उन्हें प्रसिद्धि मिले, पूरा संसार उन्हें जानें।

Thursday, June 17, 2021

Mera Priye Adhyapak for class 6th

 My Favourite teacher 

essay in hindi for Class 6th

मेरा प्रिय शिक्षक ( निबंध )

अध्यापक हमारे जीवन में एक ऐसा व्यक्ति है जो अच्छी शिक्षा के साथ कई महत्वपूर्ण चीजें प्रदान करता है। एक शिक्षक अपने छात्रों के लिए बहुत मायने रखता है। वह विकास के आरंभिक वर्षों से लेकर परिपक्व होने तक हमारे जीवन में असाधारण भूमिका निभाता है। वे हमें और हमारे भविष्य को उसी के अनुसार ढालते हैं ताकि हमें देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनाया जा सके।

मेरा पसंदीदा शिक्षक मेरी कक्षा शिक्षिका है। उसका नाम रौशनी शर्मा  है। वह हमारी उपस्थिति लेती है और हमें हिंदी, गणित और कला विषय पढ़ाती है। वह अच्छी तरह से शिक्षित है और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से उच्च अध्ययन किया है। वह हमें सभी विषयों को पढ़ाने के लिए बहुत आसान और प्रभावी शिक्षण रणनीतियों का पालन करती है। मैं कभी उसकी क्लास मिस नहीं करता और रोज अटेंड करता हूँ।

मुझे उसका तरीका पसंद है जैसे  वह हमें सिखाती है और  हमें उस विषय पर फिर से घर पर अध्ययन करने की आवश्यकता नहीं होती। हम उस विषय के बारे में बहुत स्पष्ट हो जाते हैं जो वह हमें कक्षा में पढ़ाती है। विषय की अवधारणा को साफ़ करने के बाद, वह हमें कक्षा में कुछ अभ्यास करवाती है और घर के लिए घरेलू काम भी करवाती है। अगले दिन, वह कल के विषय से संबंधित प्रश्न पूछती है और फिर दूसरा विषय शुरू करती है।

विषयों के अलावा वह हमें अच्छी नैतिकता सिखाती है और शिष्टाचार भी हमें चरित्र से मजबूत बनाती है। हालांकि वह अगली कक्षा में हमारी शिक्षिका नहीं होगी; उसकी शिक्षाएँ हमेशा हमारे साथ रहेंगी और हमें कठिन परिस्थितियों का रास्ता दिखाएंगी। वह स्वभाव से बहुत ही केयरिंग और प्यार करने वाली है। वह विश्वविद्यालय में स्वर्ण पदक विजेता रही हैं और उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की है। वह हमेशा मेरी सबसे अच्छी शिक्षक रहेंगी।




🌟feel free to drop any question, i will try to answer all your queries

note: if there is any error in typing please match the answers with the text in your book and don't 

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Saturday, June 12, 2021

Pita ji ko rupay mangwaney ke liye patr in hindi

 रूपए मंगवाने हेतु पिताजी को पत्र

कक्षा 6 
विषय हिंदी 







माकन नंबर 24 /11 
सनासर 
दिनांक : 22 अप्रैल 2021 


पूज्य पिताजी,
चरण स्पर्श ।



मैं यहां कुशल पूर्वक हूं और आशा करता हूं कि आप भी सकुशल होंगे । मैं आपको सूचित करना चाहता हूं कि मेरी पढ़ाई अगले सोमवार से शुरू  हो रही है और मेरे पास पैसे ना होने के कारण अभी तक अपनी जरूरत की चीजें नहीं खरीद पाया हूं। मुझे पुस्तकें, कॉपियां और पेन खरीदना है ताकि मैं अपनी पढ़ाई सही समय पर शुरू कर सकूं। यह सब खरीदने के लिए मुझे अभी 2000 रूपए की अति आवश्यकता है। कृपया 28 अप्रैल 2021 तक जितनी जल्दी हो सके मुझे मोनीओर्डर द्वारा ये राशि भेजने की कृपा करें। 


शेष शुभ ! मां को सादर प्रणाम एवं नेहा को स्नेह।

आपका प्रिय पुत्र
अमन कुमार 

Wednesday, June 2, 2021

Upsarg Aur Pratyey hindi vyakaran

Hindi Grammar 

उपसर्ग और प्रत्यय 

उपसर्ग

‘उपसर्ग’ शब्द ‘उप’ + ‘सर्ग’ शब्द के मेल से बना है, जिसमें ‘सर्ग’ मूल शब्द है, जिसका अर्थ होता है ग्रंथ का अध्याय जोड़ना, रचना, निर्माण करना आदि। अतः ‘सर्ग’ मूल शब्द से पूर्व उप’ शब्दांश लगने से उसका अर्थ हुआ पहले जोड़ना। इस प्रकार मूल शब्दों के पहले अथवा आगे जो शब्दांश लगाए जाते हैं। वे उपसर्ग कहलाते हैं।


जो शब्दांश शब्द से पहले लगकर उसके अर्थ को बदल देते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं; जैसे

स्व + तंत्र = स्वतंत्र,

निः + बल = निर्बल

स + पूत = सपूत,

सु + कुमार = सुकुमार

 

उपसर्ग के भेद – हिंदी भाषा में चार प्रकार के उपसर्ग प्रचलित हैं

उपसर्ग

  1. हिंदी के उपसर्ग
  2. संस्कृत के उपसर्ग
  3. उर्दू के उपसर्ग
  4. संस्कृत के अव्यय

1. हिंदी के उपसर्ग – हिंदी में जो उपसर्ग मिलते हैं, वे संस्कृत हिंदी तथा उर्दू भाषा के हैं।


उपसर्ग

अर्थ     

शब्दरूप

/अव

हीनता, रहित

औघट, अवनति, अवगुण, अवतार

अन्

अभाव, नहीं

अनजान, अनपढ़, अनादि, अनुपस्थित, अनमोल

अध

आधा

अधपका, अधमरा, अधखिला

कु

बुरा

कुसंगति, कुपथ, कुकर्म, कुचाल, कुमति, कुरूप, कुचक्र

सु

सुंदर, अच्छा

सुगंध, सुवास, सुजान, सुघड़

पर

दूसरा, दूसरी पीढ़ी

परोपकार, परस्त्री, परपुरु , परलोक, परदादी, परनानी, परपिता

भर

पूरा

भरपेट, भरपूर, भरसक

अध

आधा

अधखिला, अधजला, अधकचरा

ति

तीन

तिगुना, तिपाई, तिराहा, तिपहिया

चौ

चार

चौराहा, चौगुना, चौमासा, चौतरफा, चौमुखी

नि

बिना, रहित

निछथा, निहाल, निपट, निठल्ला


2. संस्कृत के उपसर्ग


उपसर्ग

अर्थ

शब्दरूप

अभि

सामने, पास, ओर

अभिमान, अभिलाषा, अभिनेता, अभिनय, अभिव्यक्त, अभिशाप

अव

बुरा, हीन

अवनति, अवगुण, अवशेष

अनु

समान, पीछे

अनुरूप, अनुज, अनुचर, अनुकरण

अति

अधिक

अत्यधिक, अत्युत्तम, अत्यंत

अन

अभाव

अनादि, अनंत, अनेक, अनिच्छा

उद्

ऊपर, उत्कर्ष

उद्धार, उद्भव, उद्देश्य, उद्घाटन, उद्घोष

निर

निषेध, रहित, बिना

निर्बल, निर्भय, निरपराध, निर्दोष

परा

विपरीत, उलटी, पीछे

पराजय, पराधीन, पराक्रम, परस्त, परामर्श

वि

विशेष, अलग, अभाव

विहीन, विज्ञान, विमाता, विनय, विभाग, विशेष, विदेश

सम्

पूर्णता, सुंदर, साथ/अच्छा

संयोग, सम्मान, संतोष, संविधान, संचय, संशय


3. उर्दू के उपसर्ग


उपसर्ग

अर्थ

शब्दरूप

बे

बुरा, अभाव

बेवफा, बेसमझ, बेईमान

बद

बुरा

बदनाम, बदसूरत, बदबू

ना

नहीं, अभाव

नाकाम, नालायक, नापसंद

कम

थोड़ा

कम अक्ल, कमबख्त, कमज़ोर

खुश

अच्छा

खुशकिस्मत, खुशखबरी, खुशबू, खुशमिज़ाज, खुशहाल

हर

सभी, प्रत्येक

हरएक, हरतरफ, हररोज़, हरसाल, हरदिन, हरपल, हरचीज़, हरदिल

दर

में

दरमियान, दरगुज़र, दरकिनार

सर

मुखय, प्रमुख

सरहद, सरकार, सरपंथ, सरताज, सरमाया, सरदार

गैर

भिन्न

गैरजिम्मेदार, गैरसरकारी, गैरजरूरी, गैरमुल्क, गैरमर्द।


4. संस्कृत के अव्यय


उपसर्ग

अर्थ

शब्दरूप

अधः

नीचे

अध:पतन, अधोगति, अधोमुख, अधोमार्ग

आन

 

मिलान, उठान, उड़ान, लगान, ढलान

अककड़

 

भुलक्कड़, घुमक्कड़, कुदक्कड़

सहित

सपरिवार, सचित्र, सप्रसंग, सजल

 

रेती, कटारी, हँसी, बोली, घाटी, डोरी



प्रत्यय

शब्दों के अंत में लगाए गए शब्दांश प्रत्यय कहलाते हैं; जैसे

  • नेहा पढ़ाकू है।
  • दुकानदार दालों में मिलावट करते हैं।
  • ऊपर दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों को आपने देखा। इनमें मूल शब्दों के अंत में शब्दांश जोड़कर नए शब्द बनाए हैं, जैसे
  • पढ़ + आकू, मिल + आवटे।

हिंदी में प्रत्यय के दो भेद हैं।

कृत प्रत्यय
तधित प्रत्यय

1. कृत प्रत्यय – जो प्रत्यय धातुओं अथवा क्रियाओं के अंत में लगकर नए शब्दों का निर्माण करते हैं, वे कृत प्रत्यय कहलाते हैं। इनके योग से बने शब्दों को कृदंत भी कहते हैं; जैसे
पालन + हार = पालनहार, लिख + आवट = लिखावट
कृत् प्रत्ययों से संज्ञा तथा विशेषण शब्दों की रचना होती है। अतः कृत् प्रत्यय के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं।

प्रत्यय

प्रत्यय से बने शब्द

आई

सुनाई, लड़ाई, लिखाई, पढ़ाई, चढ़ाई।

आहट

चिल्लाहट, घबराहट, मुसकराहट

आवट

सजावट, बनावट, रुकावट, मिलावट।

आन

थकान, पढ़ान, पठान।

झाडू, आडू, उतारू।

आवा

छलावा, दिखावा, चढ़ावा।

आई

सुनाई, लड़ाई, लिखाई, पढ़ाई, चढ़ाई।












2. तधित प्रत्यय – संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में जुड़कर बनने वाले प्रत्यय तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
जैसे-धन + ई = धनी, बुरा + ई = बुराई।
कुछ उदाहरण प्रत्यय

प्रत्यय

प्रत्यय से बने शब्द

इन

धोबिन, लुहारिन

इयो

चुहिया, बुढ़िया

आहट

घबराहट, चिकनाहट, कड़वाहट

धनी, क्रोधी, लोभी, मानी, पंजाबी, बंगाली।

ईय

भारतीय, अनुकरणीय, आदरणीय।

इंक

धार्मिक, मासिक, साप्ताहिक, दैनिक

वाला

सब्जीवाला, फलवाला, दिलवाला, रिक्शावाला।


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