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Wednesday, July 8, 2020

Muhavarey aur Lokoktiyan .......continued from 91- Hindi Vyakaran class 10th

मुहावरे और लोकोक्तियाँ 

.......continued from 90.

A hindi lesson by - Chander Uday Singh




91. कलेजा मुँह को आना-अत्यधिक व्याकुल होना।
अपने मित्र के स्वर्गवास का समाचार सुनकर मोहन को ऐसा लगा जैसे उसका कलेजा मुँह को आ गया हो।

92. कलेजे पर पत्थर रखना-धैर्य धारण करना।
पुत्र की मृत्यु का दुःख उसने कलेजे पर पत्थर रखकर सहन किया।

93. कसाई के खूटे से बाँधना-निर्दयी व्यक्ति को सौंपना।
रमेश से विवाह के बाद शीला बहुत दुःखी है। यदि हमें पता होता तो हम उसे कसाई के खुंटे से कभी नहीं बाँधते।

94. काँटों पर लोटना-ईर्ष्या से जलना, बेचैन होना।
मोहन ने सुना कि रमेश नई कार लाया है। इस समाचार से मोहन की बेचैनी बढ़ गई, तभी किसी ने कहा कि व्यर्थ काँटों पर क्यों लोटते हो।

95. कागज काला करना-व्यर्थ ही कुछ लिखना।
तुम्हारी रचनाओं को कोई भी तो पसन्द नहीं करता, व्यर्थ ही कागज काला करने से क्या लाभ है?

96. कागजी घोड़े दौड़ाना-कोरी कागजी कार्यवाही करना।
किसी भी योजना की ठोस रूपरेखा बनाए बिना केवल कागजी घोड़े दौड़ाने से समस्या हल नहीं हो सकती।

97. काठ का उल्लू होना-मूर्ख होना।
उससे बात करना बिल्कुल व्यर्थ है। वह तो निरा काठ का उल्लू है।

98. कान काटना-मात देना, बढ़कर होना।
भाषण प्रतियोगिता में छोटी कक्षा के छात्र ने बड़ी कक्षा के छात्र के कान काट लिए।

99. कान का कच्चा होना—बिना सोचे-विचारे दूसरों की बातों पर विश्वास करना।
कान का कच्चा व्यक्ति अच्छा राजा या कुशल प्रशासक नहीं हो सकता।

100. कान खड़े होना-सचेत होना।
अपने सम्बन्ध में बात होते देखकर उसके कान खड़े हो गए।

101. कान खाना-निरन्तर बातें करके परेशान करना।
यद्यपि उस समय उसकी बात सुनने की मेरी कोई इच्छा नहीं थी, तथापि उसने मेरे कान खाकर मुझे परेशान कर दिया।

102. कान पर जूं न रेंगना -बार-बार कहने पर भी प्रभाव न होना।
अब अनुत्तीर्ण हो जाने पर क्यों रोते हो? जब मैं पढ़ने के लिए बार-बार कहता था, तब तुम्हारे कानों पर जूं भी न रेंगती थी।

103. कान भरना-चुगली करना।
मोहन ने सोहन से कहा कि आज साहब नाराज हैं, किसी ने उनके कान भरे हैं।

104. काया पलट देना-स्वरूप में आमूल परिवर्तन कर देना।
आपास्थिति ने तो देश की काया ही पलट दी।

105. काला अक्षर भैंस बराबर—बिल्कुल अनपढ़।
संगीत के विषय में मेरी स्थिति काला अक्षर भैंस बराबर है।

106. कीचड़ उछालना-लांछन लगाना।
कुछ लोगों को दूसरों पर कीचड़ उछालने में मजा आता है।

107. कुएँ में भाँग पड़ना-सम्पूर्ण समूह परिवार. का दूषित प्रवृत्ति का होना।
जब घर से भागकर प्रेम-विवाह करनेवाली साधना की दूसरी बेटी भी घर से भाग गई तो सभी सुननेवालों ने यही कहा कि वहाँ तो कुएँ में ही भाँग पड़ी है।

108. कुएँ में बाँस डालना-बहुत तलाश करना।
कई दिन से कुएँ में बाँस डाल रखे हैं, किन्तु उनका मिलना तो दूर उनका कोई समाचार भी नहीं मिला है।

109. कुत्ते की मौत मरना-बुरी तरह मरना।
तस्कर व डाकू जब पुलिस के चंगुल में पड़ जाते हैं तो कुत्ते की मौत मारे जाते हैं।

110. कूप-मण्डूक होना-संकुचित विचारवाला होना।
समुद्र पार करने का निषेध करके हमारे पुरखों ने हमें कूप-मण्डूक बना रहने दिया।

111. कोयले की दलाली में हाथ काले-कुसंगति से कलंक अवश्य लगता है।
अपने मातहत दो बाबुओं को रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़े जाने के आरोप में अजब सिंह को भी उनके पद से हटा दिया गया। आखिर कोयले की दलाली में हाथ काले होते ही हैं।

112. कोल्हू का बैल-अत्यन्त परिश्रमी।
मजदूर रात-दिन कोल्हू के बैल की तरह जुटे रहने पर भी भरपेट रोटी प्राप्त नहीं कर पाते।

113. खटाई में डालना-उलझन पैदा करना।
मेरे मामले का निर्णय अभी तक नहीं हुआ, लिपिक महोदय ने जान-बूझकर उसे खटाई में डाल दिया है।

114. खरी-खोटी सुनाना-फटकारना।
अध्यापक द्वारा खरी-खोटी सुनाने पर भी निर्लज्ज छात्र पर कोई प्रभाव न पड़ा।

115. खरी मजूरी चोखा काम–अच्छी मजदूरी लेनेवाले से अच्छे काम की ही अपेक्षा की जाती है।
रोजगार की तलाश में शहर जाते बेटे को समझाते हुए पिता ने कहा कि छोटे शहर में खरी मजूरी चोखा काम चाहनेवालों की कमी नहीं है।

116. खाक छानना-भटकना।
मेरा शोध-विषय इतना जटिल है कि इसके लिए मुझे दर-दर की खाक छाननी पड़ रही है।

117. खाक में मिलाना-नष्ट करना।
अयोग्य सन्तान अपने पिता की इज्जत को तनिक-सी देर में खाक में मिला देती है।

118. खून का प्यासा होना-जानी दुश्मन होना।
जब सरदार भगतसिंह ने लाला लाजपतराय की मृत्यु का समाचार सुना तो वे अंग्रेजों के खून के प्यासे हो गए।

119. खून सूख जाना—भयभीत होना।
रमेश अपने पिता से बिना कहे सिनेमा देखने चला गया। सिनेमाहाल पर अचानक अपने पिता को देखकर उसका खून सूख गया।

120. खून सफेद होना—उत्साह का समाप्त हो जाना, बहुत डर जाना।
अपने सामने एक बहुत ही भयानक चेहरे के व्यक्ति को खड़ा देखकर मानो उसका खून सफेद हो गया।


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Saturday, July 4, 2020

Muhavarey aur Lokoktiyan .......continued from 60- Hindi Vyakaran class 10th

मुहावरे और लोकोक्तियाँ 

.......continued from 60.



A hindi lesson by - Chander Uday Singh


61. इधर की उधर लगाना-चुगली करना।
अनेक लोग ऐसे होते हैं, जो इधर की उधर लगाकर लोगों में विवाद कराते रहते हैं।

62. ईंट से ईंट बजाना-हिंसा का करारा जवाब देना, खुलकर लड़ाई करना।
तुम मुझको कमजोर मत समझो, समय आने पर मैं ईंट से ईंट बजाने के लिए भी तैयार हूँ।

63. ईमान बेचना-विश्वास समाप्त करना।
ईमान बेचकर धन कमाना मनुष्य को शोभा नहीं देता।

64. ईद का चाँद होना-कभी-कभी दर्शन देना।
नौकरी पर चले जाने के बाद दीपक बहुत दिनों पश्चात् अपने मित्र से मिला। इस पर मित्र ने कहा कि यहाँ से जाने के बाद तो तुम ईद के चाँद ही हो गए।

65. उँगली उठाना—दोष दिखाना।
समय आने पर ही वास्तविकता का पता चलता है। प्रदीप की सच्चाई पर किसी को सन्देह नहीं था, किन्तु अब तो लोग उस पर भी उँगली उठाने लगे हैं।

66. उँगली पकड़ते-पकड़ते पहुँचा पकड़ना-थोड़ा प्राप्त हो जाने पर अधिक पर अधिकार जमाना।
पहले सुरेश कभी-कभी पुस्तक माँगकर ले जाता था, किन्तु अब उसने उँगली पकड़ते-पकड़ते पहुँचा पकड़ लिया है। अब तो वह कोई भी पुस्तक ले जाता है और पूछने का कष्ट भी नहीं करता।

67. उँगली पर नचाना-संकेत पर कार्य कराना।
रमेश अपनी पत्नी को उँगलियों पर नचाता है।

68. उड़ती चिड़िया पहचानना-दूर से भाँप लेना।
दारोगा ने सिपाही से कहा, “ऐसा अनाड़ी नहीं हूँ, उड़ती चिड़िया पहचानता हूँ।”

69. उड़ती चिड़िया के पंख गिनना-कार्य-व्यापार को देखकर व्यक्तित्व को जान लेना।
उड़ती चिड़िया के पंख गिननेवाले गुरु विरजानन्द ने दयानन्द को निस्संकोच अपना शिष्य बना लिया।

70. ऊँची दुकान फीके पकवान-प्रसिद्ध स्थान की निकृष्ट वस्तु होना।
हम यह सोचकर बड़ी मिल का कपड़ा लाए थे कि अधिक चलेगा, किन्तु धोते ही उसका रंग निकल गया। यह तो वही हुआ कि ऊँची दुकान फीके पकवान।

71. ऊँट के मुँह में जीरा-बहुत कम मात्रा में कोई वस्तु देना।
मोहन प्रतिदिन दस रोटियाँ खाता है, उसे दो रोटियाँ देना तो ऊँट के मुँह में जीरा देने के समान है।

72. उल्टी गंगा बहाना—परम्परा के विपरीत काम करना।
सदैव उल्टी गंगा बहाकर समाज में वैचारिक क्रान्ति नहीं लाई जा सकती।

73. उल्टी माला फेरना—किसी के अमंगल की कामना करना, लोक विश्वास अथवा परम्परा के विपरीत कार्य करना।
उल्टी माला फेरकर किसी का अहित नहीं किया जा सकता।

74. उल्लू सीधा करना - किसी को बेवकूफ बनाकर काम निकालना।
फसाद करानेवाले लोग तो अपना ही उल्लू सीधा करते हैं।

75. एक आँख से देखना-सबके साथ समानता का व्यवहार करना, पक्षपातरहित होना।
सच्चा शासक वही होता है, जो सबको एक आँख से देखता है।

76. एक अनार सौ बीमार-एक वस्तु के लिए बहुत-से व्यक्तियों द्वारा प्रयत्न करना।
मेरे पास पुस्तक एक है और माँगनेवाले दस छात्र हैं। यह तो वही बात हुई कि एक अनार सौ बीमार।

77. एक और एक ग्यारह होना-एकता में शक्ति होना।
उनको कमजोर मत समझो, आवश्यकता पड़ने पर वे एक और एक ग्यारह हो जाते हैं।

78. एक हाथ से ताली नहीं बजती-झगड़ा एक ओर से नहीं होता।
मिताली सच-सच बताओ क्या बात है; क्योंकि यह बात तुम भी अच्छी तरह जानती हो कि एक हाथ से ताली नहीं बजती।

79. एड़ी-चोटी का पसीना एक करना-अत्यधिक परिश्रम करना।
अच्छी श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण करना कोई सरल कार्य नहीं है। एड़ी-चोटी का पसीना एक करने पर ही अच्छे अंक प्राप्त किए जा सकते हैं।

80. ऐसी-तैसी करना-अपमानित करना/काम खराब करना।
मण्डलीय समीक्षा करते समय मुख्यमन्त्री ने उन अधिकारियों की ऐसी-तैसी कर दी, जो पूरी तैयारी के साथ नहीं आए थे।

81. ओखली में सिर देना-जान-बूझकर अपने को मुसीबत में डालना।
उस नामी गुण्डे को छेड़कर क्यों ओखली में सिर दे रहे हो।

82. कंगाली में आटा गीला होना–विपत्ति में और विपत्ति आना।
श्री गुप्ता की पहले तो नौकरी छूट गई और उसके बाद उनके घर में चोरी हो गई। वास्तव में कंगाली में आटा गीला होना इसे ही कहते हैं।

83. कन्धे से कन्धा मिलाना–सहयोग देना।
देश पर विपत्ति के समय प्रत्येक नागरिक को कन्धे से कन्धा मिलाकर काम करना चाहिए, जिससे दुश्मन हमारा कुछ भी नं बिगाड़ सके।

84. कच्चा चिट्ठा खोलना—गुप्त भेद खोलना।
आपात्कालीन स्थिति ने बड़े-बड़े सफेदपोशों का कच्चा चिट्ठा खोलकर रख दिया।

85. कमर टूटना–हिम्मत पस्त होना।
पहले तो रमेश के पिताजी का स्वर्गवास हो गया और अब व्यापार में हानि होने से उसकी कमर टूट गई।

86. कलम तोड़ना –अत्यन्त अनूठा, मार्मिक या हृदयस्पर्शी वर्णन करना। स्वामीजी के भक्त पत्रकारों ने उनकी प्रशंसा में कलम तोड़कर रख दी।

87. कलेजा छलनी होना-कड़ी बात से जी दुःखना।
अपनी सौतेली माँ के व्यंग्य-बाणों से दीपक का कलेजा छलनी हो गया है।

88. कलेजा थामना-दु:ख सहने के लिए हृदय को कड़ा करना।
परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो जाने पर मोहन अपना कलेजा थामकर रह गया।

89. कलेजा धक-धक करना-भयभीत होना।
घने जंगल में घूमते समय हम सभी के कलेजे धक-धक कर रहे थे।

90. कलेजा निकालकर रख देना-सर्वस्व दे देना।
यदि सौतेली माँ अपना कलेजा निकालकर रख दे तो भी बहुत कम व्यक्ति उसकी प्रशंसा करेंगे।

to be continued.....


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Friday, July 3, 2020

Muhavarey aur Lokoktiyan .......continued from 30- Hindi Vyakaran class 10th

मुहावरे और लोकोक्तियाँ 

.......continued from 30.


31. अपना घर समझना –संकोच न करना।
राम अपने मित्र के घर को अपना घर समझता है। इसलिए वहाँ वह अपनी सब परेशानियाँ कह देता है।

32. अपने पैरों पर खड़ा होना- स्वावलम्बी होना।
जब तक लड़का अपने पैरों पर खड़ा न हो जाए, तब तक उसकी शादी करना उचित नहीं है।

33. अपने पाँव में कुल्हाड़ी मारना-अपने अहित का काम स्वयं करना।
तुमने अपने मन की बात प्रकट करके अपने पाँव में स्वयं कुल्हाड़ी मारी।

34. आकाश-पाताल एक करना-अत्यधिक प्रयत्न अथवा परिश्रम करना।
वानरों ने सीताजी की खोज के लिए आकाश-पाताल एक कर दिया।

35. आँख चुराना-बचना- छिप जाना।
मुझसे रुपये उधार लेने के बाद मोहन निरन्तर आँख चुराता रहता है, मेरे सामने नहीं आता।

36. आँखें फेरना-उपेक्षा करना, कृपा दृष्टि न रखना।
जिससे ईश्वर भी आँखे फेर ले, भली कोई उसकी सहायता कैसे कर सकता है।

37. आँखें बिछाना-आदरपूर्वक किसी का स्वागत करना।
यहाँ कोई ऐसा नहीं है, जो तुम्हारे लिए आँखें बिछाए बैठा रहेगा, व्यर्थ के भुलावे में न रहो।

38. आँख मिलाना-सामने आना।
अपनी कलई खुल जाने के बाद रमेश मुझसे आँख मिलाने का साहस नहीं रखता।

39. आँखें खुल जाना—वास्तविकता का ज्ञान होना, सीख मिलना।
विवेक के अपहरण में उसके मित्र की संलिप्तता देखकर लोगों की आँखें खुल गईं कि अब किसी पर विश्वास करने का जमाना नहीं रह गया है।

40. आँखें नीची होना-लज्जा से गड़ जाना, लज्जा का अनुभव करना।
छेड़खानी के आरोप में बेटे को हवालात में बन्द देखकर पिता की आँखें नीची हो गईं।

41. आँखें चार होना/आँखें दो-चार होना-प्रेम होना।
दुष्यन्त और शकुन्तला की आँखें चार होते ही उनके हृदय में प्रेम का उद्रेक हो गया।

42. आँख का तारा-अत्यन्त प्यारा।
प्रत्येक सुपुत्र अपने माता-पिता की आँखों का तारा होता है।

43. आँखों पर परदा पड़ना-विपत्ति की ओर ध्यान न जाना।
कमला की आँखों पर तो परदा पड़ गया, जो उसने गुस्साई बहू को दुकान से मिट्टी का तेल लेने भेज दिया।

44. आँखों में धूल झोंकना-धोखा देना।
राम बहुत समझदार है तो भी किसी व्यक्ति ने उसकी आँखों में धूल झोंककर उसे नकली नोट दे दिया।

45. आँखों में सरसों का फूलना-मस्ती होना।
वह कुछ इस तरह का सिरफिरा था कि उसकी आँखों में सदा सरसों फूलती रहती थी।

46. आँखों का पानी ढलना-निर्लज्ज हो जाना।
जिनकी आँखों का पानी ढल गया है, उन्हें नीच-से-नीच काम करने में भी संकोच नहीं होता।

47. आँख दिखाना—क्रुद्ध होना।
उधार लेते समय प्रत्येक व्यक्ति बड़े प्रेम से बात करता है, किन्तु वापस करते समय आँख दिखाना साधारण-सी बात है।

48. आँचल-बाँधना-गाँठ बाँधना, याद कर लेना।
यह बात प्रत्येक कन्या को आँचल-बाँध लेनी चाहिए कि सास-ससुर को अपने माता-पिता माननेवाली बहू ही ससुराल में आदर पाती है।

49. आग-बबूला होना-अत्यधिक क्रोध करना।
नौकरानी से टी-सेट टूट जाने पर मालकिन एकदम आग-बबूला हो गई।

50. आग में घी डालना-क्रोध अथवा झगड़े को और अधिक भड़का देना।
बेटी के मुँह से बहू की शिकायत सुनकर सास वैसे ही भरी बैठी थी, बस बहू की टिप्पणी ने तो जैसे आग में घी डाल दिया और सास ने रौद्र रूप दिखाते हुए बहू को चोटी पकड़कर घर से बाहर कर दिया।

51. आठ-आठ आँसू बहाना-बहुत अधिक रोना।
सुभाष अपने पिता के स्वर्गवास पर आठ-आठ आँसू रोया।

52. आड़े हाथों लेना-शर्मिन्दा करना।
मोहन बहुत बढ़-चढ़कर बातें कर रहा था, जब मैंने उसे आड़े हाथों लिया तो उसकी बोलती बन्द हो गई।

53. आधा तीतर आधा बटेर-अधूरा ज्ञान।
या तो हिन्दी बोलिए या अंग्रेजी। यह क्या, आधा तीतर आधा बटेर।

54. आपे से बाहर होना-सामर्थ्य से अधिक क्रोध प्रकट करना।
अपने साथी की पिटाई का समाचार सुनते ही छात्र आपे से बाहर हो गए।

55. आसमान टूट पड़ना-अचानक घोर विपत्ति आ जाना।
यूसुफ जाई मलाला ने स्त्री शिक्षा का समर्थन क्या किया, उस पर तो मानो आसमान टूट पड़ा और उसकी जान पर बन आई।

56. आसमान से बातें करना-बहुत बढ़-चढ़कर बोलना।
यद्यपि दीपक एक साधारण लिपिक का पुत्र है, किन्तु अपने साथियों में बैठकर वह आसमान से बातें करता है।

57. आसमान पर दिमाग चढ़ना-अत्यधिक घमण्ड होना।
परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होते ही रमेश का दिमाग आसमान पर चढ़ गया।

58. आसमान पर थूकना-सच्चरित्र व्यक्ति पर कलंक लगाने का प्रयास करना।
महात्मा गांधी पर विभिन्न प्रकार के आरोप लगानेवाले यह नहीं सोचते कि हम आसमान पर थूक रहे हैं।

59. आस्तीन का साँप-कपटी मित्र।
प्रदीप से अपनी व्यक्तिगत बात मत कहना, वह आस्तीन का साँप है; क्योंकि आपकी सभी बातें वह अध्यापक महोदय को बता देता है।

60. इज्जत मिट्टी में मिलाना-मान-मर्यादा नष्ट करना।
अन्तर्जातीय विवाह के लिए अड़ी अपनी बेटी के सामने गिड़गिड़ाते हुए उसकी माँ ने कहा-बेटी तू हमारी इज्जत मिट्टी में मत मिला।




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Thursday, July 2, 2020

Muhavare aur Lokoktiyan- Hindi Vyakaran class 10th

मुहावरे और लोकोक्तियाँ 

A hindi lesson by - Chander Uday Singh

कुछ महत्त्वपूर्ण मुहावरे एवं उनके वाक्यों में प्रयोग


1. अँगारे बरसना—अत्यधिक गर्मी पड़ना।
जून मास की दोपहरी में अंगारे बरसते प्रतीत होते हैं।

2. अंगारों पर पैर रखना-कठिन कार्य करना।
युद्ध के मैदान में हमारे सैनिकों ने अंगारों पर पैर रखकर विजय प्राप्त की।

3. अँगारे सिर पर धरना—विपत्ति मोल लेना।
सोच-समझकर काम करना चाहिए। उससे झगड़ा लेकर व्यर्थ ही अंगारे सिर पर मत धरो।
4. अँगूठा चूसना-बड़े होकर भी बच्चों की तरह नासमझी की बात करना।

कभी तो समझदारी की बात किया करो। कब तक अंगूठा चूसते रहोगे?
5. अँगूठा दिखाना-इनकार करना।
जब कृष्णगोपाल मन्त्री बने थे तो उन्होंने किशोरी को आश्वासन दिया था कि जब उसका बेटा इण्टर कर लेगा तो वह उसकी नौकरी लगवा देंगे। बेटे के प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने पर किशोरी ने उन्हें याद दिलाई तो उन्होंने उसे अँगूठा दिखा दिया।

6. अँगूठी का नगीना-अत्यधिक सम्मानित व्यक्ति अथवा वस्तु।
अकबर के नवरत्नों में बीरबल तो जैसे अंगूठी का नगीना थे।

7. अंग-अंग फूले न समाना-अत्यधिक प्रसन्न होना। राम के अभिषेक की बात सुनकर कौशल्या का अंग-अंग फूले नहीं समाया।

8. अंगद का पैर होना-अति दुष्कर/असम्भव कार्य होना।
यह पहाड़ी कोई अंगद का पैर तो है नहीं, जिसे हटाकर रेल की पटरी न बिछाई जा सके।

9. अन्धी सरकार—विवेकहीन शासन।
कालाबाजारी खूब फल-फूल रही है, किन्तु अन्धी सरकार उन्हीं का पोषण करने में लगी है।

10. अन्धे की लाठी -एकमात्र सहारा होना। निराशा में प्रतीक्षा अन्धे की लाठी है।

11. अन्धे के आगे रोना-निष्ठुर के आगे अपना दुःखड़ा रोना।।
जिस व्यक्ति ने पैसों के लिए अपनी पत्नी को जलाकर मार दिया, उससे सहायता माँगना तो अन्धे के आगे रोना जैसा व्यर्थ है।

12. अम्बर के तारे गिनना-नींद न आना।
तुम्हारे वियोग में मैं रातभर अम्बर के तारे गिनता रहा।

13. अन्धे के हाथ बटेर लगना-भाग्यवश इच्छित वस्तु की प्राप्ति होना।
तृतीय श्रेणी में स्नातक लोकेन्द्र को क्लर्क की नौकरी क्या मिली, मानो अन्धे के हाथों बटेर लग गई।

14. अन्धों में काना राजा-मूर्खों के बीच कम ज्ञानवाले को भी श्रेष्ठ ज्ञानवान् माना जाता है।
कभी आठवीं पास मुंशीजी अन्धों में काने राजा हुआ करते थे; क्योंकि तब बारह-बारह कोस तक विद्यालय न थे।

15. अक्ल का अन्धा-मूर्ख।
वह लड़का तो अक्ल का अन्धा है, उसे कितना ही समझाओ, मानता ही नहीं है।

16. अक्ल के घोड़े दौड़ाना-हवाई कल्पनाएँ करना।
परीक्षा में सफलता परिश्रम करने से ही मिलती है, केवल अक्ल के घोड़े दौड़ाने से नहीं।

17. अक्ल चरने जाना-मति भ्रम होना, बुद्धि भ्रष्ट हो जाना।
दुर्योधन की तो मानो अक्ल चरने चली गई थी, जो कि उसने श्रीकृष्ण के सन्धि-प्रस्ताव को स्वीकार न करके उन्हें ही बन्दी बनाने की ठान ली।

18. अक्ल पर पत्थर पड़ना-बुद्धि नष्ट होना।
राजा दशरथ ने कैकेयी को बहुत समझाया कि वह राम को वन भेजने का वरदान न माँगे; पर उसकी अक्ल पर पत्थर पड़े हुए थे; अत: वह न मानी।

19. अक्ल के पीछे लाठी लिये फिरना-मूर्खतापूर्ण कार्य करना। तुम स्वयं तो अक्ल के पीछे लाठी लिये फिरते हो, हम तुम्हारी क्या सहायता करें।

20. अगर मगर करना-बचने का बहाना ढूँढना।
अब ये अगर-मगर करना बन्द करो और चुपचाप स्थानान्तण पर चले जाओ, गोपाल को उसके अधिकारी ने फटकार लगाते हुए यह कहा।

21. अटका बनिया देय उधार-जब अपना काम अटका होता है तो मजबूरी में अनचाहा भी करना पड़ता है।
जब बहू ने हठ पकड़ ली कि यदि मुझे हार बनवाकर नहीं दिया तो वह देवर के विवाह में एक भी गहना नहीं देने देगी, बेचारी सास क्या करे! अटका बनिया देय उधार और उसने बहू को हार बनवा दिया।

22. अधजल गगरी छलकत जाए-अज्ञानी पुरुष ही अपने ज्ञान की शेखी बघारते हैं।
आठवीं फेल कोमल अपनी विद्वत्ता की बड़ी-बड़ी बातें करती है। आखिर करे भी क्यों नहीं, अधजल गगरी छलकत जाए।

23. अन्त न पाना-रहस्य न जान पाना।
गुरुजी ने अपने प्रवचन में ईश्वर की महिमा का गुणगान करते हुए बताया कि ईश्वर की माया का अन्त किसी ने नहीं पाया है।

24. अन्त बिगाड़ना-नीच कार्यों से वृद्धावस्था को कलंकित करना।
लाला मनीराम को बुढ़ापे में भी घटतौली करते देखकर गोविन्द ने उससे कहा कि लाला कम-से-कम अपना अन्त तो न बिगाड़ो।

25. अन्न-जल उठना-मृत्यु के सन्निकट होना।
रामेश्वर की माँ की हालत बड़ी गम्भीर है, लगता है कि अब उसका अन्न-जल उठ गया है।

26. अपना उल्लू सीधा करना-अपना काम निकालना।
कुछ लोग अपना उल्लू सीधा करने के लिए दूसरों को हानि पहुँचाने से भी नहीं चूकते।

27. अपनी खिचड़ी अलग पकाना – सबसे पृथक् कार्य करना।
कुछ लोग मिलकर कार्य करने के स्थान पर अपनी खिचड़ी अलग पकाना पसन्द करते हैं।

28. अपना राग अलापना-दूसरों की अनसुनी करके अपने ही स्वार्थ की बात कहना।
कुछ व्यक्ति सदैव अपना ही राग अलापते रहते हैं, दूसरों के कष्ट को नहीं देखते।

29. अपने मुँह मियाँ मिट्ठ बनना-अपनी प्रशंसा स्वयं करना।
अपने मुँह मियाँ मिट्ठ बननेवाले का सम्मान धीरे-धीरे कम हो जाता है।

30. अपना-सा मुँह लेकर रह जाना-लज्जित होना।
अपनी झूठी बात की वास्तविकता का पता चलने पर वह अपना-सा मुँह लेकर रह गया।




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