Showing posts with label veh chidiya jo. Show all posts
Showing posts with label veh chidiya jo. Show all posts

Thursday, May 6, 2021

veh chidiya jo class 6th Hindi

कक्षा 6 कविता  

वह चिड़िया जो

वह चिड़िया जो
चोंच मार कर
दूध-भरे जुंडी के दाने
रुचि से, रस से खा लेती है
वह छोटी संतोषी चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे अन्‍न से बहुत प्‍यार है।
वह चिड़िया जो-
कंठ खोल कर
बूढ़े वन-बाबा के खातिर
रस उँडेल कर गा लेती है
वह छोटी मुँह बोली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे विजन से बहुत प्‍यार है।

वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
चढ़ी नदी का दिल टटोल कर
जल का मोती ले जाती है
वह छोटी गरबीली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे नदी से बहुत प्‍यार है।



कविता का सार 




इस कविता में लेखक ने नीले पंखों वाली एक छोटी सी संतोषी चिड़िया के बारे में बताया है। उसे प्रकृति की हर वस्तु से अत्यंत लगाव है। कवि कहते हैं कि नीले रंग की छोटी चिड़िया को अन्न से बहुत प्यार है। वह बहुत ही रुचि और संतोष के साथ दूध भरे ज्वार के दाने खाती है। उसे अपने वन से भी बहुत प्यार है। वह बूढ़े वन में घूम-घूम कर अपने मीठे स्वर में वृक्षों के लिए प्यारे गीत गाती है। उसे एकांत और नदी से बहुत प्यार है। वह अत्यंत साहस के साथ उफनती नदी में से अपनी चोंच में पानी की बूंदें भर लाती है। 




वह चिड़िया जो कविता का भावर्थ

वह चिड़िया जो-

चोंच मार कर

दूध-भरे जुंडी के दाने

रुचि से, रस से खा लेती है

वह छोटी संतोषी चिड़िया

नीले पंखोंवाली मैं हूंँ

मुझे अन्न से बहुत प्यार है।



अर्थ: प्रथम पद में लेखक एक नीले पंखों वाली छोटी चिड़िया का उल्लेख करते हुए बता रहे हैं कि यह चिड़िया बहुत ही संतोषी है तथा उसे अन्न से बहुत प्यार है। वह दूध से भरे ज्वार के दानों को बहुत ही रुचि से और रस लेकर खाती है, अर्थात कवि इस पद के माध्यम से स्वयं के संतोषी होने तथा अन्न के महत्व के बारे में बता रहे हैं।


वह चिड़िया जो-

कंठ खोलकर

बूढ़े वन-बाबा की ख़ातिर

रस उंँडेल कर गा लेती है

वह छोटी मुंँह बोली चिड़िया

नीले पंखोंवाली मैं हूंँ

मुझे विजन से बहुत प्यार है।



 अर्थ: द्वितीय पद में लेखक बता रहे हैं कि इस नन्ही चिड़िया को उस वन से भी बहुत प्यार है जिसमें वह रहती है तथा अपने बूढ़े वन बाबा और उसके वृक्षों के लिए वह अपने मीठे कंठ से मधुर और सुरीला गीत गाती है। उसे एकांत में रहना पसंद है तथा वह प्रकृति के साथ इस गीत का अकेले में आनंद लेना चाहती है।


वह चिड़िया जो-

चोंच मार कर

चढ़ी नदी का दिल टटोल कर

जल का मोती ले जाती है

वह छोटी ग़रबीली चिड़िया

नीले पंखोंवाली मैं हूंँ

मुझे नदी से बहुत प्यार है।



 अर्थ: अंतिम पद में कवि कहना चाहते हैं कि यह नीले पंखों वाली छोटी सी चिड़िया अत्यंत साहसी और गर्व से भरी हुई है क्योंकि यह चिड़िया छोटी होने के बाद भी उफनती हुई नदी के ऊपर से जल रूपी मोती ले आती है अर्थात जल से अपनी प्यास बुझा लेती है और नदी से और उसके जल से भी बहुत प्यार करती है। 




वह चिड़िया जो प्रश्न-उत्तर:


प्र 1 कविता को पढ़ कर तुम्हारे मन में चिड़िया का जो चित्र उभरता है , उस चित्र को कागज़ पर बनाओ। 


प्र.2 . तुम्हें कविता का कोई और शीर्षक देना हो तो तुम क्या शीर्षक देना चाहोगे? उपयुक्त शीर्षक सोचकर लिखो।

उ.  अगर हमें इस कविता को कोई और शीर्षक देना हो, तो हम इसे ‘चहचहाती नन्ही चिड़िया’ शीर्षक देंगे।


प्र.3 . इस कविता के आधार पर बताओ कि चिड़िया को किन-किन चीजों से प्यार है?

उ. इस कविता के आधार पर नन्ही चिड़िया को खेतों में लगे जौ-बाजरे की फलियों से, वन से, एकांत से तथा जिस नदी से वह ठंडा पानी पीती है, उससे बहुत प्यार है।


प्र.4 . कवि ने चिड़िया को छोटी ,संतोषी, मुंह बोली और गरबीली चिड़िया इसलिए कहा है ?


उ. कवि ने चिड़िया को छोटी ,संतोषी, मुंह बोली और गरबीली चिड़िया इसलिए कहा है क्योंकि चिड़िया का आकार बहुत बड़ा नहीं है ,वह अनाज के दाने चाव से खाकर संतोष कर लेती है । वह मधुर स्वर में गाती है, अतः सब उससे प्यार करते हैं।



प्र.5.  आशय स्पष्ट करो:


(क ) आशय स्पष्ट करो:


उ. इस पंक्ति का आशय यह है कि चिड़िया खुश होकर गाने लगती है। उसके गाने में इतना मीठापन है कि जब वो गाती है, तो ऐसा लगता है जैसे उसने वातावरण में मीठा रस घोल दिया है।



(ख ) रस उंडेल कर गा लेती है

    जल का मोती ले जाती है।


उ. इस पंक्ति का आशय यह है कि चिड़िया साहसी है। वह यूं ही बहती नदी से जल लेकर अपनी प्यास नहीं बुझाती, बल्कि उफनती हुई नदी के बीच से जल की बून्द रूपी मोती लेती है। इसी के साथ, वह नदी की भावनाओं का भी ध्यान रखकर, उसका मन टटोलकर, उसके जल से अपनी प्यास बुझाती है।


Translate