Monday, July 27, 2020

BADE BHAI SAHAB

नव भारती

कक्षा-10 


A hindi lesson by - Chander Uday Singh


पाठ-बड़े भाई साहब


मुंशी प्रेम चंद का जीवन परिचय 

बड़े भाई साहब

पाठ का सार


“बड़े भाई साहब' कहानी प्रेमचंद द्वारा आत्मकथात्मक शैली में लिखी एक श्रेष्ठ कहानी है। इस कहानी में उन्होंने बड़े भाई साहब के माध्यम से घर में बड़े भाई की आदर्शवादिता के कारण उसके बचपन के तिरोहित होने की बात कही है। बड़ा भाई सदा छोटे भाई के सामने अपना आदर्श रूप दिखाने के कारण कई बार अपने ही बचपन को खो देता है। 

बड़े भाई साहब और उनके छोटे भाई में पाँच वर्ष का अंतर है किंतु वे अपने छोटे भाई से केवल तीन कक्षाएं ही आगे हैं। बड़े भाई साहब सदा पढ़ाई में डूबे रहते हैं, लेकिन उनका छोटा भाई खेलकूद में अधिक मन लगाता है। दोनों भाई होस्टल में रहते हैं। बड़े भाई साहब प्राय: छोटे भाई को उसकी खेलकूद में अधिक रुचि के कारण डॉटते रहते हैं। वे उसे उनसे सीख लेने की बात कहते हैं। उनका कहना है कि वे बहुत मेहनत करते हैं। वे खेलकूद और खेलतमाशों से दूर रहते हैं। अत: उसे उनसे सबक लेना चाहिए। वे छोटे भाई से कहते हैं कि यदि वह मेहनत नहीं कर सकता तो उसे घर वापिस लौट जाना चाहिए। उनकी ऐसी बातें सुनकर छोटा भाई निराश हो जाता है। कुछ देर बाद वह जी लगाकर पढ़ने का निश्चय करता है और एक टाइम-टेबिल बना लेता है। वह अपने इस टाइम-टेबिल में खेलकूद को कोई स्थान नहीं देता लेकिन शीघ्र ही उसका टाइम-टेबिल खेलकूद की भेंट चढ़ जाता है और छोटा भाई खेलकूद में फिर से मस्त हो जाता है और बड़े भाई साहब की डाँट और तिरस्कार में भी वह अपने खेलकूद को नहीं छोड़ पाता है। 

कुछ समय बाद वार्षिक परीक्षाएं हुईं। बड़े भाई साहब तो कठिन परिश्रम करके फेल हो गए किंतु छोटा भाई प्रथम 

श्रेणी में पास हो गया। धीरे-धीरे छोटा भाई खेलकूद में अधिक मन लगाने लगा। बड़े भाई साहब से यह देखा नहीं गया। वे उसे रावण का उदाहरण देकर समझाते हैं कि घमंड नहीं करना चाहिए। घमंड करने से रावण जैसे चक्रवर्ती राजा का अस्तित्व मिट गया था। शैतान और शाहेख़ान भी अभिमान के कारण ही नष्ट हो गए थे। छोटा भाई उनके इन उपदेशों को चुपचाप सुनता रहा। वे कहते हैं कि उनकी नौंवीं कक्षा की पढ़ाई बहुत कठिन है। अंग्रेज़ी, इतिहास, गणित तथा हिंदी आदि विषयों में पास होने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। उन्होंने अपनी कक्षा की पढ़ाई का ऐसा भयंकर चित्र खींचा कि छोटा भाई बुरी तरह से डर गया। 

दोबारा वार्षिक परीक्षाएँ हुईं। इस बार भी बड़े भाई साहब फेल हो गए और छोटा भाई पास हो गया। बड़े भाई साहब बहुत दुःखी हुए। छोटे भाई की अपने बारे में यह धारणा बन गयी कि वह तो चाहे पढ़े या न पढ़े, वह तो पास हो ही जाएगा। अत: उसने पढ़ाई करना बंद करके खेलकूद में ज़्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया। बड़े भाई साहब भी अब उसे कम डाँटते थे। धीरे-धीरे छोटे भाई की स्वच्छंदता बढ़ती गई। उसे पतंगबाज़ी का नया शौक लग गया। अब वह सारा समय पतंगबाज्ी में नष्ट करने लगा किंतु वह अपने इस शौक को बड़े भाई साहब से छिपकर पूरा करता था। 

एक दिन वह एक पतंग लूटने के लिए पतंग के पीछे-पीछे दौड़ रहा था कि अचानक बाज़ार से लौट रहे बड़े भाई साहब से टकरा गया। उन्होंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे डाँटते हुए कहा कि अब वह आठवीं कक्षा में है। अतः उसे अपनी पोज़ीशन का ख्याल करना चाहिए। पहले ज़माने में तो आठवीं पास नायब तहसीलदार तक बन जाया करते थे। बड़े भाई साहब उसे समझाते हुए कहते हैं कि जीवन में किताबी ज्ञान से अधिक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति का अनुभव होता है और उन्हें उससे कहीं ज़्यादा अनुभव है। वे अपने माँ-दादा और अपने स्कूल के हेडमास्टर साहब और उनकी माँ का उदाहरण देकर बताते हैं कि ज़िंदगी में केवल किताबी ज्ञान से ही काम नहीं चलता अपितु ज़िंदगी की समझ भी ज़रूरी होती है जो केवल अनुभव से आती है। 

बड़े भाई साहब के ऐसा समझाने पर छोटा भाई उनके आगे नतमस्तक होकर कहा कि वे जो कुछ कह रहे हैं, वह बिल्कुल सच है। बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई को गले लगा लेते हैं। वे कहते हैं कि उनका भी मन खेलने-कूदने का करता है लेकिन यदि वे ही खेलने-कूदने लगेंगे तो उसे क्या शिक्षा दे पाएँगे ? तभी उनके ऊपर से एक कटी हुईं पतंग गुज़रती है जिसकी डोर नीचे लटक रही थी। बड़े भाई साहब ने लंबे होने के कारण उसकी डोर पकड़ ली और तेज़ी से होस्टल की ओर दौड़ पड़े। उनका छोटा भाई भी उनके पीछे-पीछे दौड़ रहा था। 
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Sunday, July 26, 2020

Hindi Kshitiz-2, Chapter 1

क्षितिज-2


A hindi lesson by - Chander Uday Singh


 पाठ 1 - पद


प्रश्न 1.
गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?
उत्तर-
गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में वक्रोक्ति (अर्थालंकार का एक भेद जिसमें कही गई बात का श्लेष के आधार पर अन्य भाव निकलता हो।) है। वे दीखने में प्रशंसा कर रही हैं किंतु वास्तव में कहना चाह रही हैं कि तुम बड़े अभागे हो कि प्रेम का अनुभव नहीं कर सके। न किसी के हो सके, न किसी को अपना बना सके। तुमने प्रेम का आनंद जाना ही नहीं। यह तुम्हारा दुर्भाग्य है।
प्रश्न 2.
उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?
उत्तर-
उद्धव के व्यवहार की तुलना दो वस्तुओं से की गई है
कमल के पत्ते से जो पानी में रहकर भी गीला नहीं होता है।
तेल में डूबी गागर से जो तेल के कारण पानी से गीली नहीं होती है।
प्रश्न 3.
गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?
उत्तर-
गोपियों ने निम्नलिखित उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं ।
1. उन्होंने कहा कि उनकी प्रेम-भावना उनके मन में ही रह गई है। वे न तो कृष्ण से अपनी बात कह पाती हैं, न अन्य किसी से।
2. वे कृष्ण के आने के इंतज़ार में ही जी रही थीं, किंतु कृष्ण ने स्वयं न आकर योग-संदेश भिजवा दिया। इससे उनकी विरह-व्यथा और अधिक बढ़ गई है।
3. वे कृष्ण से रक्षा की गुहार लगाना चाह रही थीं, वहाँ से प्रेम का संदेश चाह रही थीं। परंतु वहीं से योग-संदेश की धारा को आया देखकर उनका दिल टूट गया।
4. वे कृष्ण से अपेक्षा करती थीं कि वे उनके प्रेम की मर्यादा को रखेंगे। वे उनके प्रेम का बदला प्रेम से देंगे। किंतु उन्होंने योग-संदेश भेजकर प्रेम की मर्यादा ही तोड़ डाली।
प्रश्न 4.
उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?
उत्तर-
श्रीकृष्ण के मथुरा चले जाने पर गोपियाँ पहले से विरहाग्नि में जल रही थीं। वे श्रीकृष्ण के प्रेम-संदेश और उनके आने की प्रतीक्षा कर रही थीं। ऐसे में श्रीकृष्ण ने उन्हें योग साधना का संदेश भेज दिया जिससे उनकी व्यथा कम होने के बजाय और भी बढ़ गई । इस तरह उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेशों ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम किया।
प्रश्न 5.
‘मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है?
उत्तर-
प्रेम की यही मर्यादा है कि प्रेमी और प्रेमिका दोनों प्रेम को निभाएँ। वे प्रेम की सच्ची भावना को समझें और उसकी मर्यादा की रक्षा करें। परंतु कृष्ण ने गोपियों से प्रेम निभाने की बजाय उनके लिए नीरस योग-संदेश भेज दिया, जो कि एक छलावा था, भटकाव था। इसी छल को गोपियों ने मर्यादा का उल्लंघन कहा है।
प्रश्न 6.
कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है?
उत्तर-
गोपियों ने कृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति की अभिव्यक्ति निम्नलिखित रूपों में करती हैं
वे अपनी स्थिति गुड़ से चिपटी चींटियों जैसी पाती हैं जो किसी भी दशा में कृष्ण प्रेम से दूर नहीं रह सकती हैं।
वे श्रीकृष्ण को हारिल की लकड़ी के समान मानती हैं।
वे श्रीकृष्ण के प्रति मन-कर्म और वचन से समर्पित हैं।
वे सोते-जागते, दिन-रात कृष्ण का जाप करती हैं।
उन्हें कृष्ण प्रेम के आगे योग संदेश कड़वी ककड़ी जैसा लगता है।
प्रश्न 7.
गोपियों ने उधव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?
उत्तर-
गोपियों ने उद्धव को कहा है कि वे योग की शिक्षा ऐसे लोगों को दें जिनके मन स्थिर नहीं हैं। जिनके हृदयों में कृष्ण के प्रति सच्चा प्रेम नहीं है। जिनके मन में भटकाव है, दुविधा है, भ्रम है और चक्कर हैं।
प्रश्न 8.
प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।
उत्तर-
सूरदास द्वारा रचित इन पदों में गोपियों की कृष्ण के प्रति एकनिष्ठ प्रेम, भक्ति, आसक्ति और स्नेहमयता प्रकट हुई है। जिस पर किसी अन्य का असर अप्रभावित रह जाता है। गोपियों पर श्रीकृष्ण के प्रेम का ऐसा रंग चढ़ा है कि खुद कृष्ण का भेजा योग संदेश कड़वी ककड़ी और रोग-व्याधि के समान लगता है, जिसे वे किसी भी दशा में अपनाने को तैयार नहीं हैं।
प्रश्न 9.
गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?
उत्तर-
गोपियों के अनुसार, राजा का धर्म यह होना चाहिए कि वह प्रजा को अन्याय से बचाए। उन्हें सताए जाने से रोके।
प्रश्न 10.
गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं?
उत्तर-
गोपियों को कृष्ण में ऐसे अनेक परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन श्रीकृष्ण से वापस पाना चाहती हैं; जैसे
श्रीकृष्ण ने अब राजनीति पढ़ लिया है जिससे उनके व्यवहार में छल-कपट आ गया है।
श्रीकृष्ण को अब प्रेम की मर्यादा पालन का ध्यान नहीं रह गया है।
श्रीकृष्ण अब राजधर्म भूलते जा रहे हैं।
दूसरों के अत्याचार छुड़ाने वाले श्रीकृष्ण अब स्वयं अनीति पर उतर आए हैं।




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Saturday, July 25, 2020

Muhavarey aur Lokoktiyan

मुहावरे और लोकोक्तियाँ 

.......continued from 120.




A hindi lesson by - Chander Uday Singh



121. खून-पसीना एक करना-कठोर परिश्रम करना।

मुकेश ने परीक्षा में सफलता पाने के लिए खून-पसीना एक कर दिया।


122. खेल खिलाना-प्रतिपक्षी को समय देना।

राम ने रावण को मारने से पूर्व युद्ध के मैदान में उसे तरह-तरह से खेल खिलाए।


123. खेत रहना-लड़ाई में मारा जाना।

भारत और चीन के युद्ध में शत्रुओं के कई हजार सैनिक खेत रहे।


124. गड़े मुर्दे उखाड़ना-बहुत पुरानी बात दोहराना।

गड़े मुर्दे उखाड़ने से किसी समस्या का हल नहीं मिलता। वस्तुतः हमें वर्तमान सन्दर्भ में ही समस्या का समाधान खोजना चाहिए।


125. गागर में सागर भरना-थोड़े शब्दों में अधिक बात कहना।

बिहारी ने अपनी सतसई के दोहों में बड़े-बड़े अर्थ रखकर गागर में सागर भरने की बात को चरितार्थ किया।


126. गाल बजाना-डींग मारना।

केवल गाल बजाने से सफलता नहीं मिल सकती, इसके लिए परिश्रम भी परम आवश्यक है।


127. गुड़-गोबर करना—काम बिगाड़ना।

कवि-सम्मेलन बड़े आनन्द से चल रहा था, श्रोता रसमग्न होकर कविताएँ सुन रहे थे कि अचानक आई तेज वर्षा ने सारा गुड़-गोबर कर दिया।


128. गूलर का फूल होना-अलभ्य वस्तु होना।

आज के युग में ईमानदारी गूलर का फूल हो गई है।


129. घड़ों पानी पड़ना-दूसरों के सामने हीन सिद्ध होने पर अत्यन्त लज्जित होना।

बहू ने जब सास का झूठ सबके सामने पकड़ लिया तो उस पर घड़ों पानी पड़ गया।


130. घर का दीपक-घर की शोभा और कुल की कीर्ति को बढ़ानेवाला।

एकमात्र पुत्र की मृत्यु पर संवेदना व्यक्त करने आए प्रत्येक व्यक्ति ने यही कहा कि उनके घर का तो दीपक ही बुझ गया।


131. घर की खेती सहज में मिलनेवाला पदार्थ।

बाल काट देने पर इतना क्यों रोते हो? यह तो घर की खेती है। कुछ दिन में फिर बढ़ जाएगी।


132. घर फूंक तमाशा देखना-क्षणिक आनन्द के लिए बहुत अधिक खर्च करना।

सेठ भोलामल का बड़ा लड़का शराब व जुए में सम्पत्ति नष्ट करके घर फूंक तमाशा देख रहा है।


133. घाट-घाट का पानी पीना–अनेक स्थलों का अच्छा-बुरा अनुभव प्राप्त करना/चालाक होना।

जिसने घाट-घाट का पानी पिया हो, उसे जीवन में कौन धोखा दे सकता है।


134. घाव पर नमक छिड़कना-दु:खी व्यक्ति के हृदय को और दुःख पहुँचाना।

परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो जाने पर रमेश वैसे ही दु:खी है। अब अपशब्द कहकर आप उसके घाव पर नमक छिड़क रहे हैं।


135. घाव हरा होना-भूले दुःख की याद आना।

मैं तो अपना दुःख भूल चुका था, किन्तु आज आपको वैसे ही कष्ट में देखकर मेरा घाव हरा हो गया।


136. घी के दीये जलाना-खुशी मनाना।

अपने प्रतिद्वन्द्वी की हार पर सुनील ने घी के दीये जलाए।


137. घोड़े बेचकर सोना निश्चिन्त होना।

किशन परीक्षा समाप्त होते ही घोड़े बेचकर सोता है।


138. चम्पत होना-भाग जाना।

सिपाही को देखते ही चोर वहाँ से चम्पत हो गया।


139. चाँद पर थूकना-निर्दोष को दोष देना।

आप सत्यता के साथ अपने कार्य को कीजिए। आप पर दोष लगानेवाले स्वयं चुप हो जाएँगे। चाँद पर थूकने से उसका कुछ बिगड़ता नहीं है।


140. चूना लगाना-हानि पहुँचाना।

उसने मुझे रिश्तेदारी का हवाला दिया और मैं पिघल गया। बेबात में उसने मुझे सौ रुपये का चूना लगा दिया।


141. चाँदी काटना- अधिक लाभ प्राप्त करना।

आपास्थिति से पूर्व काले धन्धे में लगे व्यक्ति कृत्रिम कमी उत्पन्न करके चाँदी काट रहे थे। अब सभी के होश ठिकाने आ गए हैं।


142. चिकना घड़ा होना-निर्लज्ज होना। वह पूरा चिकना घड़ा है। उस पर आपकी बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।


143. चिकनी-चुपड़ी बातें करना-चालबाजी से भरी मीठी बातें करना। उसकी बातों में न आना।

वह चिकनी-चुपड़ी बातें करके अपना मतलब सिद्ध करने में बड़ा चतुर है।


144. चुल्लूभर पानी में डूब मरना-अपने गलत काम के लिए लज्जा का अनुभव करना।

रमेश ने अपनी बहन की सम्पत्ति पर भी कब्जा करने की कोशिश की। जब सम्बन्धियों को पता चला तो उन्होंने उससे कहा कि जाओ, चुल्लूभर पानी में डूब मरो।।


145. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना-घबराहट आदि के कारण चेहरे का रंग उड़ जाना।

शहर में दंगा होने की खबर सुनकर शहर में नई आई मेघना के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।


146. चोर की दाढ़ी में तिनका वास्तविक अपराधी का बिना पूछे बोल उठना।

छात्रों ने श्यामपट पर एक कार्टून बना दिया था। अध्यापक ने उसके सम्बन्ध में छात्रों से पूछा। इसी बीच एक छात्र खड़ा होकर कहने लगा कि यह कार्टून मैंने नहीं बनाया। सब छात्र कहने लगे- “चोर की दाढ़ी में तिनका।”


147. चोली-दामन का साथ होना-घनिष्ठ अथवा अटूट सम्बन्ध।

पन्ना रूपवती स्त्री थी और रूप तथा गर्व में चोली-दामन का नाता था।


148. छक्के छुड़ाना-हिम्मत पस्त कर देना।

व्यापारमण्डल ने मेरे प्रस्ताव को स्वीकार करके मेरे विरोधियों के छक्के छुड़ा दिए।


149. छठी का दूध याद आना-घोर संकट में फँसना।

अचानक आए तूफान ने पर्वतारोहियों को छठी का दूध याद दिला दिया।


150. छठी का दूध याद कराना-बहुत अधिक कष्ट देना।

सतपाल ने अखाड़े में बड़े-बड़े पहलवानों को भी छठी का दूध याद करा दिया।


151. छाती पर मूंग दलना-अत्यन्त कष्ट देना।

माँ ने नाराज होकर बच्चों से कहा कि मेरी छाती पर ही मूंग दलते रहोगे या कुछ पढ़ोगे-लिखोगे भी।


152. छाती पर पत्थर रखना-दुःख सहने के लिए हृदय कठोर करना।

अपनी छाती पर पत्थर रखकर उसने अपना पुश्तैनी मकान भी बेच दिया।


153. छाती/कलेजे पर साँप लोटना-ईर्ष्या से हृदय जल उठना।

किसी की उन्नति की चर्चा सुनकर उसकी छाती पर साँप लोटने लगते हैं।


164. जमीन पर पैर न रखना-बहुत अभिमान करना।

प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने के बाद उसके पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे हैं।


155. जहर उगलना-कठोर, जली-कटी, लगनेवाली बात कहना।

उन्हें जब देखो, तब जहर उगलते रहते हैं। उन्हें किसी की उन्नति तनिक भी नहीं सुहाती।


156. जली-कटी कहना-व्यंग्यपूर्ण बात करना।

जब देखो जली-कटी कहते रहते हो। कभी तो प्रेम के साथ बोला करो।


157. जहाज का पंछी होना—ऐसी मजबूरी होना, जिससे वही आश्रय लेने के लिए बाध्य होना पड़े।

बहुत ढूँढने पर भी मुझे कहीं स्थान नहीं मिला। जहाज के पंछी की तरह मैं फिर लौटकर वहीं आ गया।


158. जी-जान लड़ाना-बहुत परिश्रम करना।

हमने तो कार्यक्रम की सफलता के लिए जी-जान लड़ा दी, किन्तु उन्हें कोई बात पसन्द ही नहीं आती।


159. जीती मक्खी निगलना-अहित की बात स्वीकार करना।

मोहना को भली प्रकार ज्ञात था कि घर और वर दोनों उसके अनुरूप नहीं हैं, फिर भी माता-पिता की विवशता देखकर उसने जीती मक्खी को निगल लिया।


160. जोड़-तोड़ करना–दाँव-पेंचयुक्त उपाय करना।

किसी भी तरह जोड़-तोड़ करके रमेश उत्तीर्ण हो ही गया।


to be continued.....


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