Thursday, November 5, 2020

Munshi Premchand -upanyas samraat essay in hindi

 

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद  पर निबंध


एक हिंदी पाठ- चन्दर उदय सिंह द्वारा

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Munshi Premchand

(जन्म- 31 जुलाई, 1880, मृत्यु- 8 अक्टूबर, 1936)


 


प्रस्तावना :     मुंशी प्रेमचंद भारत के उपन्यास सम्राट माने जाते हैं जिनके युग का विस्तार सन् 1880 से 1936 तक है। प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। जन्म और विवाह : प्रेमचंद का जन्म वाराणसी से लगभग चार मील दूर, लमही नाम के गांव में 31 जुलाई, 1880 को हुआ। प्रेमचंद के पिताजी मुंशी अजायब लाल और माता आनंदी देवी थी। प्रेमचंद का बचपन गांव में बीता था। उनके पिता, मुंशी अजायब लाल, डाकमुंशी थे और उनका वेतन लगभग पच्चीस रुपए मासिक था। उनकी मां आनंद देवी सुंदर, सुशील और सुघड़ महिला थीं।

जब प्रेमचंद पंद्रह वर्ष के थे, उनका विवाह हो गया। सन 1905 के अंतिम दिनों में आपने शिवरानी देवी से शादी कर ली। शिवरानी देवी बाल-विधवा थीं। यह कहा जा सकता है कि दूसरी शादी के पश्चात् इनके जीवन में परिस्थितियां कुछ बदली और आय की आर्थिक तंगी कम हुई। इनके लेखन में अधिक सजगता आई। प्रेमचंद की पदोन्नति हुई तथा यह स्कूलों के डिप्टी इन्सपेक्टर बना दिए गए।

शिक्षा :    गरीबी से लड़ते हुए प्रेमचंद ने अपनी पढ़ाई मैट्रिक तक पहुंचाई। जीवन के आरंभ में ही इन्हें गांव से दूर वाराणसी पढ़ने के लिए नंगे पांव जाना पड़ता था। इसी बीच में इनके पिता का देहांत हो गया। प्रेमचंद को पढ़ने का शौक था, आगे चलकर वह वकील बनना चाहते थे, मगर गरीबी ने इन्हें तोड़ दिया। प्रेमचंद ने स्कूल आने-जाने के झंझट से बचने के लिए एक वकील साहब के यहां ट्यूशन ले लिया और उसी के घर में एक कमरा लेकर रहने लगे।

इनको ट्यूशन का पांच रुपया मिलता था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य, पर्सियन और इतिहास विषयों से स्नातक की उपाधि द्वितीय श्रेणी में प्राप्त की थी।

साहित्यिक जीवन : प्रेमचंद उनका साहित्यिक नाम था और बहुत वर्षों बाद उन्होंने यह नाम अपनाया था। उनका वास्तविक नाम 'धनपत राय' था। जब उन्होंने सरकारी सेवा करते हुए कहानी लिखना आरंभ किया, तब उन्होंने नवाब राय नाम अपनाया। बहुत से मित्र उन्हें जीवनपर्यंत नवाब के नाम से ही संबोधित करते रहे। जब सरकार ने उनका पहला कहानी-संग्रह, 'सोजे वतन' जब्त किया, तब उन्हें नवाब राय नाम छोड़ना पड़ा। बाद का उनका अधिकतर साहित्य प्रेमचंद के नाम से प्रकाशित हुआ।

साहित्य की विशेषताएं : प्रेमचंद की रचना-दृष्टि, विभिन्न साहित्य रूपों में, अभिव्यक्त हुई। वह बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार थे। प्रेमचंद की रचनाओं में तत्कालीन इतिहास बोलता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में जन साधारण की भावनाओं, परिस्थितियों और उनकी समस्याओं का मार्मिक चित्रण किया। 

प्रेमचंद की कृतियां भारत के सर्वाधिक विशाल और विस्तृत वर्ग की कृतियां हैं। उन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक,  आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सृष्टि की, किंतु प्रमुख रूप से वह कथाकार हैं। उन्हें अपने जीवन काल में ही उपन्यास सम्राट की पदवी मिल गई थी। उन्होंने कुल 15 उपन्यास, 300 से कुछ अधिक कहानियां, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल-पुस्तकें तथा हजारों पृष्ठों के लेख, संपादकीय, भाषण, भूमिका, पत्र आदि की रचना की।

जिस युग में प्रेमचंद ने कलम उठाई थी, उस समय उनके पीछे ऐसी कोई ठोस विरासत नहीं थी उस समय बंकिम बाबू थे, शरतचंद्र थे और इसके अलावा टॉलस्टॉय जैसे रुसी साहित्यकार थे। उन्होंने गोदान जैसे कालजयी उपन्यास की रचना की जो कि एक आधुनिक क्लासिक माना जाता है।

पुरस्कार : मुंशी प्रेमचंद की स्मृति में भारतीय डाक विभाग की ओर से 31 जुलाई, 1980 को उनकी जन्मशती के अवसर पर 30 पैसे मूल्य का एक डाक टिकट जारी किया। गोरखपुर के जिस स्कूल में वे शिक्षक थे, वहां प्रेमचंद साहित्य संस्थान की स्थापना की गई है। इसके बरामदे में एक भित्तिलेख है। यहां उनसे संबंधित वस्तुओं का एक संग्रहालय भी है। जहां उनकी एक आवक्षप्रतिमा भी है।

प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी देवी ने प्रेमचंद घर में नाम से उनकी जीवनी लिखी और उनके व्यक्तित्व के उस हिस्से को उजागर किया है, जिससे लोग अनभिज्ञ थे। उनके ही बेटे अमृत राय ने 'कलम का सिपाही' नाम से पिता की जीवनी लिखी है। उनकी सभी पुस्तकों के अंग्रेजी व उर्दू रूपांतर तो हुए ही हैं, चीनी, रूसी आदि अनेक विदेशी भाषाओं में उनकी कहानियां लोकप्रिय हुई हैं।

उपसंहार :     प्रेमचंद ने अपने जीवन के कई अद्भुत कृतियां लिखी हैं। तब से लेकर आज तक हिंदी साहित्य में ना ही उनके जैसा कोई हुआ है और ना ही कोई और होगा।

अपने जीवन के अंतिम दिनों के एक वर्ष को छोड़कर उनका पूरा समय वाराणसी और लखनऊ में गुजरा, जहां उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया और अपना साहित्य-सृजन करते रहे। 8 अक्टूबर, 1936 को जलोदर रोग से उनका देहावसान हुआ।


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Wednesday, November 4, 2020

Bhai ko samay Kay sadupyog karne ke liye patr

अपने भाई को समय के सदुपयोग करने  के लिए पत्र लिखिए !




A hindi lesson by Chander Uday Singh



प्रीय अनुज ;                                                                                                                   दिनाँक 25 जून 2020 



यहाँ सब कुशल मंगल है और आशा है कि घर पर भी सब अच्छे होंगे। आज मेरे पत्र लिखने का मुख्य उदेश्य तुम्हें समय के सदुपयोग  से अवगत कराना है। समय के सही ढंग से उपयोग ही जीवन के सफलता की कुंजी है । अगर तुमने समय का मूल्य करना सीख लिया तो तुम सफलता की ऊंचाइयों को छु सकते हो। विद्यार्थी जीवन मे तो समय का सदुपयोग और भी आवश्यक है । कुछ ही महीनो मे तुम्हारी वार्षिक परीक्षाएँ आने वाली है इसलिए मेरी यही सलाह है की तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो और अपनी दिनचर्या मे ज़्यादा से ज़्यादा समय पढ़ाई के लिए समर्पित करो। कठिन परिश्रम , दृढ़ निश्चय और समय के उचित प्रबंधन से निश्चित रूप से इस वर्ष भी अच्छे अंको से उतीर्ण होगे। 

मेरा आशीर्वाद और बहुत सी शुभकामनाएं !

स्नेह सहित तुम्हारा भाई;


रोहित सिंह ।


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Janamdin ki badhaee patar in hindi

 

अपने मित्र को उसके जन्मदिवस पर बधाई देने के लिए पत्र लिखिए !


A hindi lesson by Chander Uday Singh




माकन नंबर -27

सना 

सनासर 

दिनांक : 20.09.2020 


मित्रवर सतीश,


सप्रेम नमस्ते ।


जन्मदिवस के उपलक्ष्य में कल ही मुझे तुम्हारा निमंत्रण-पत्र प्राप्त हुआ । तुम्हारा जन्मदिवस हम सबके लिए भी अत्यंत हर्ष का दिन है । मेरी हार्दिक इच्छा थी कि मैं इस शुभ अवसर पर अवश्य पहुँचूँ । परंतु मेरी परीक्षाएँ अत्यंत निकट होने के कारण मैं स्वयं को असमर्थ पा रहा हूँ । मुझे उम्मीद है मेरी विवशता को ध्यान में रखते हुए मुझे क्षमा करोगे । 

तुम्हारे जन्मदिवस के शुभ अवसर पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई व समस्त मंगलकामनाएँ । मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि जीवन में वह सब कुछ तुम्हें प्राप्त हो जिसकी तुम कामना करते हो । अंकल और ऑन्टी जी को नमस्ते कहना। 


पुन: जन्मदिवस की समस्त शुभकामनाओं के साथ,

तुम्हारा अभिन्न मित्र

साहिल सिंह 


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Tuesday, November 3, 2020

An application to the Headmaster/ Principal for fee concessions in English for 7th class

 Application regarding fee concession 


To,


The Principal,

Govt. Higher Secondary  School,

Sanasar.


Subject : School fee concession

Respected Principal,

I, Mohit Kumar, reading in class 7th of your institute, beg you to grant me fee concession for these coming 5 months. My father works as a typist and his income is only 2,000 rupees per month. Our family consists of total 7 members. They even find difficult to meet our both ends.

My parents wish to educate me but they feel very sorry as they are not able to pay my school fee. I stood first in my class in the last annual examination. I hope you will be very kind enough and grant me fee concession for those months.


Yours obediently,


Mohit  Kumar

Roll no. 01

Class 7th


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Fees maafi ke liye prathna patar in hindi

 

प्रधानाध्यापक को स्कूल फीस माफ़ करने के  लिए प्रार्थना पत्र-

Application For waiver of School  fee in Hindi





एक हिंदी पाठ- चन्दर उदय सिंह द्वारा  

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सेवा में ,

श्रीमान प्रधानाचार्य महोदय

हायर सेकेंडरी स्कूल,

सनासर



विषय : फीस माफ़ी हेतु


महोदय,


सविनय नम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय का कक्षा 10  का छात्र हूं। मेरे पिताजी मजदूरी का काम करते है। इसलिए उनकी आय सीमित होने के साथ-साथ बहुत कम है जिससे हमारे परिवार का पालन पोषण होना भी कठिन है।

मेरे परिवार में मेरे तीन भाई बहन और है जिनके लालन-पालन में ही ज्यादातर धन खर्च हो जाता है। मैं अपनी कक्षा में  सबसे होनहार छात्र हूं। मैं हर वर्ष कक्षा में प्रथम आता हूं और अन्य प्रतियोगिताओं में भी भाग लेकर विद्यालय का नाम रोशन करता हूं।

अतः आपसे निवेदन है कि मेरी विद्यालय की पूर्ण फीस माफ करने की कृपा करें, जिससे कि मैं अपना आगे का अध्ययन जारी रख सकू. इसके लिए मैं आपका सदा आभारी रहूंगा।


सधन्यवाद


दिनांक : 20/10/2020 …


आपका आज्ञाकारी शिष्य

क ख ग

कक्षा 10


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Thursday, October 22, 2020

A Shadow class7th, Grammar Work

 A Shadow

(Short Story)  

(R. K. Narayan)



An English lesson by :- Chander Uday Singh


(B) Write True or False in the box provided against each statement:

(I). Sambu’s father, a writer and actor was dead. ----------     True

(ii). Sambu’s friend hated Tamil pictures but still saw the picture. -------- False

(iii). Kumari was Sambu’s sister.    --------     False

(iv). Sambu lived in his father’s company three hours a day as long as picture was on screen.       --------- True

(v). Sambu’s mother was reluctant in the beginning to see the picture but Sambu persuaded her to see the last show.                    True

(vi). The newspaper scene was unbearable for Sambu’s mother.  -------------   True

(vii). The lights were put on in women’s class, when Sambu’s mother fainted there during the show.  ---------   True

(viii). Sambu’s mother did not see the picture after she fainted and was taken home by Sambu.-----  True

(ix). Sambu was affected both by his mother’s breakdown and by the parting from his father in the end.            ---------- True



Language Work:

Match the phrases from ‘A’ with their meanings in ‘B’:

Ans.

A

B

1. To put out

2. For a while

3. At least

4. A sort of

5. Whole of

6. To act

7. To take off

8. To last long

9. To screw up

10. Hither and thither

11. Parting from

  c)   To keep the light off

  i)   For sometime

  h)   Minimum

  d)   A kind of

  g)   All

  e)   To play a role

  j)   When an air craft leaves the ground

  f)   Remain for a long time

  k)   To gather one’s courage

  a)   Here and there

  b)   Away from someone

 

 

 

 

 

 

 

 

 





Grammar Work:

Change the narration of the following:

1. Direct: She said, “Where are you going?”

Indirect: She asked where I was going.

2. Direct: I said to Brijis, “When will your college reopen?”

Indirect: I asked Brijis when his college would reopen.

3.Direct: The teacher said to us, “Can you tell me why girls outshine boys?”

Indirect: The teacher asked us if we could tell him why girls outshine boys.

4. Direct: The teacher said to Aslam, “Why were you not present at this place yesterday?”

Indirect: The teacher asked/enquired Aslam why he was not present at that place the previous day.

5. Direct: The teacher said, “ Why are you making a noise?”

Indirect: The teacher asked why we were making a noise.

6. Indirect: I asked him where he was going.

Direct: I said to him, “Where are you going?”

7. Indirect: The teacher asked the newcomer which school he had attended last.

Direct: The teacher said to the newcomer, “Which school have you attended last?”

8. Indirect: You asked her if she could play carrom.

Direct: You said to her, “Can you play carrom?”

9. Indirect: I asked them if they knew him.

Direct: I said to them, “Do you know him?”

10. Indirect: She asked you why you were late.

Direct: She said, “Why are you late?”

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Sunday, October 18, 2020

Application For School Leaving Certificate In Hindi

प्रधानाध्यापक को स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र देने के लिए प्रार्थना पत्र-

Application For School Leaving Certificate In Hindi



एक हिंदी पाठ- चन्दर उदय सिंह द्वारा  


सेवा में,


प्रधानाध्यापक,

राजकीय हायर सेकेंडरी स्कूल,

सनासर ।


श्रीमान जी,


सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके स्कूल के ग्यारहवीं कक्षा का छात्र हूँ।  मेरे पिता जी पुलिस में एक अफसर हैं सरकार ने उनका तबादला जम्मू  में कर दिया है।

अब हमारा पूरा परिवार जम्मू  जा रहा है इस कारण से मुझे यह स्कूल छोड़ना पड़ेगा। कृपया करके आप मुझे स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र देने की कृपा करें ताकी में वहां पर किसी अन्य स्कूल में दाखिला लें सकू और अपनी पढाई पूरी कर सकूं इसके लिए मैं आपका  सदा आभारी रहूँगा।


धन्यवाद !

आपका आज्ञाकारी शिष्य,

महेश रावत ,

कक्षा 11th,

रोल नम्बर 21


तिथि: 22  मार्च  2019 


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Thursday, October 8, 2020

Saakhi, Bhav Spasht Kijiye

 

कक्षा-10 

साखी


A hindi  lesson by-Chander Uday Singh

भाव स्पष्ट कीजिए

 Question 1:

बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र लागै कोइ।

 

Answer:

इस कविता का भाव है कि जिस व्यक्ति के हृदय में ईश्वर के प्रति प्रेम रुपी विरह का सर्प बस जाता है, उस पर कोई मंत्र असर नहीं करता है। अर्थात भगवान के विरह में कोई भी जीव सामान्य नहीं रहता है। उस पर किसी बात का कोई असर नहीं होता है।

 

Question 2:


 

कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढै बन माँहि।

 

Answer:

इस पंक्ति में कवि कहता है कि जिस प्रकार हिरण अपनी नाभि से आती सुगंध पर मोहित रहता है परन्तु वह यह नहीं जानता कि यह सुगंध उसकी नाभि में से रही है। वह उसे इधर-उधर ढूँढता रहता है। उसी प्रकार मनुष्य भी अज्ञानतावश वास्तविकता को नहीं जानता कि ईश्वर उसी में निवास करता है और उसे प्राप्त करने के लिए धार्मिक स्थलों, अनुष्ठानों में ढूँढता रहता है।

 

Question 3:


 जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।

 

Answer:

इस पंक्ति द्वारा कवि का कहना है कि जब तक मनुष्य में अज्ञान रुपी अंधकार छाया है वह ईश्वर को नहीं पा सकता। अर्थात अहंकार और ईश्वर का साथसाथ रहना नामुमकिन है। यह भावना दूर होते ही वह ईश्वर को पा लेता है।

 

Question 4:

 

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया कोइ।

 

Answer:

कवि के अनुसार बड़े ग्रंथ, शास्त्र पढ़ने भर से कोई ज्ञानी नहीं होता। अर्थात ईश्वर की प्राप्ति नहीं कर पाता। प्रेम से इश्वर का स्मरण करने से ही उसे प्राप्त किया जा सकता है। प्रेम में बहुत शक्ति होती है।


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A Shadow, Short story, Class 7th tulip Series

 

A Shadow  

(R. K. Narayan)

(Short Story)

An English lesson by :- 

 

Chander Uday Singh




Working with the Text:

(A) Answer the following questions:

Q1. Sambu was eager but his mother reluctant to see the film. Why?

Ans. Sambu was eager to see his father back to life in the film but his mother was reluctant because she could not bear to see her six-month dead husband moving, talking and singing in the film. Her husband was very dear to her.

Q2. Who wrote the story, and how much was he, paid for it?

Ans. Sambu’s father wrote the story and he was, paid ten thousand rupees for writing and acting.

 

Q3. What was the story about?

Ans. The story was about a young girl, named Kumari, who refused to marry at fourteen but wanted to, study in a university and earn an independent living, and was cast, away by her stern father and forgiven at the end.

Q4. When the film ended the first day, what did Sambu realize?

Ans. When the film ended the first day, Sambu turned about and gazed at the aperture in the projection room as if his father has vanished into it.

Q5. When Sambu’s mother asked him if he would like to go and see the picture again the next day, what was Sambu’s response?

Ans. Sambu was delighted and told his mother that he would like to see the picture as long as, it was shown, in the theatre.

Q6. How long did Sambu live in his father’s company?

Ans. Sambu lived in his father’s company for a week or more and felt depressed at the end of every show.

Q7. When did Sambu’s mother agree to see the picture?

Ans. Sambu persuaded his mother and she agreed to see the picture on the last day for the night show. They were changing the picture next day.

Q8. What was the unbearable scene for Sambu’s mother?

Ans. The scene, in which Sambu’s father reclined in a chair while reading a newspaper, was unbearable to Sambu’s mother. This was the actual scene that recalled her memory of married life when her husband used to sit in his canvas chair and how she lost her temper on the day of his death.

Q9. How did Sambu help his mother go home and what did he feel?

Ans. Sambu fetched a jutka and helped his mother into it. His heart became heavy and he burst into tears because he was, affected both by his mother’s breakdown and by the feeling that that was the final parting from his father, as they were changing the picture next day.

 

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Wednesday, October 7, 2020

saakhi , prashan uttar

 

कक्षा-10 

साखी

A hindi  lesson by-Chander Uday Singh

निम्नलिखित प्रश्नो  के  उत्तर दीजिए −

प्रश्न 1: 

मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है?

 

उत्तर:

जब भी हम मीठी वाणी बोलते हैं, तो उसका प्रभाव चमत्कारिक होता है। इससे सुनने वाले की आत्मा तृप्त होती है और मन प्रसन्न होता है। उसके मन से क्रोध और घृणा के भाव नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही हमारा अंत:करण भी प्रसन्न हो जाता है। प्रभाव स्वरुप औरों को सुख और शीतलता प्राप्त होती है।

 

प्रश्न 2:


दीपक दिखाई देने पर अँधियारा कैसे मिट जाता है? साखी के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

 

उत्तर:

गहरे अंधकार में जब दीपक जलाया जाता है तो अँधेरा मिट जाता है और उजाला फैल जाता है। कबीरदास जी कहते हैं उसी प्रकार ज्ञान रुपी दीपक जब हृदय में जलता है तो अज्ञान रुपी अंधकार मिट जाता है मन के विकार अर्थात संशय, भ्रम आदि नष्ट हो जाते हैं। तभी उसे सर्वव्यापी ईश्वर की प्राप्ति भी होती है।

 

प्रश्न 3:

ईश्वर कणकण में व्याप्त है, पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते?

 

उत्तर:

ईश्वर सब ओर व्याप्त है। वह निराकार है। हमारा मन अज्ञानता, अहंकार, विलासिताओं में डूबा है। इसलिए हम उसे नहीं देख पाते हैं। हम उसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा सब जगह ढूँढने की कोशिश करते हैं लेकिन जब हमारी अज्ञानता समाप्त होती है हम अंतरात्मा का दीपक जलाते हैं तो अपने ही अंदर समाया ईश्वर हम देख पाते हैं।

 

प्रश्न 4: 

संसार में सुखी व्यक्ति कौन है और दुखी कौन? यहाँसोनाऔरजागनाकिसके प्रतीक हैं? इसका प्रयोग यहाँ क्यों किया गया है? स्पष्ट कीजिए।

 

उत्तर:

कवि के अनुसार संसार में वो लोग सुखी हैं, जो संसार में व्याप्त सुख-सुविधाओं का भोग करते हैं और दुखी वे हैं, जिन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई है।सोनाअज्ञानता का प्रतीक है औरजागनाज्ञान का प्रतीक है। जो लोग सांसारिक सुखों में खोए रहते हैं, जीवन के भौतिक सुखों में लिप्त रहते हैं वे सोए हुए हैं और जो सांसारिक सुखों को व्यर्थ समझते हैं, अपने को ईश्वर के प्रति समर्पित करते हैं वे ही जागते हैं। वे संसार की दुर्दशा को दूर करने के लिए चिंतित रहते हैं, सोते नहीं है अर्थात जाग्रत अवस्था में रहते हैं।

 

प्रश्न 5: 

अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है?

 

उत्तर:

कबीर का कहना है कि हम अपने स्वभाव को निर्मल, निष्कपट और सरल बनाए रखना चाहते हैं तो हमें अपने आसपास निंदक रखने चाहिए ताकि वे हमारी त्रुटियों को बता सके। निंदक हमारे सबसे अच्छे हितैषी होते हैं। उनके द्वारा बताए गए त्रुटियों को दूर करके हम अपने स्वभाव को निर्मल बना सकते हैं।

 

प्रश्न 6: 

ऐकै अषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होई‘ −इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?

 

उत्तर:

इन पंक्तियों द्वारा कवि ने प्रेम की महत्ता को बताया है। ईश्वर को पाने के लिए एक अक्षर प्रेम का अर्थात ईश्वर को पढ़ लेना ही पर्याप्त है। बड़े-बड़े पोथे या ग्रन्थ पढ़ कर भी हर कोई पंडित नहीं बन जाता। केवल परमात्मा का नाम स्मरण करने से ही सच्चा ज्ञानी बना जा सकता है। अर्थात ईश्वर को पाने के लिए सांसारिक लोभ माया को छोड़ना पड़ता है।

 

प्रश्न 7: 

कबीर की उद्धृत साखियों की भाषा की विशेषता स्पष्ट कीजिए।

 

उत्तर:

कबीर ने अपनी साखियाँ सधुक्कड़ी भाषा में लिखी है। इनकी भाषा मिलीजुली है। इनकी साखियाँ संदेश देने वाली होती हैं। वे जैसा बोलते थे वैसा ही लिखा है। लोकभाषा का भी प्रयोग हुआ है;जैसेखायै, नेग, मुवा, जाल्या, आँगणि आदि भाषा में लयबद्धता, उपदेशात्मकता, प्रवाह, सहजता, सरलता शैली है।



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