Thursday, October 8, 2020

Saakhi, Bhav Spasht Kijiye

 

कक्षा-10 

साखी


A hindi  lesson by-Chander Uday Singh

भाव स्पष्ट कीजिए

 Question 1:

बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र लागै कोइ।

 

Answer:

इस कविता का भाव है कि जिस व्यक्ति के हृदय में ईश्वर के प्रति प्रेम रुपी विरह का सर्प बस जाता है, उस पर कोई मंत्र असर नहीं करता है। अर्थात भगवान के विरह में कोई भी जीव सामान्य नहीं रहता है। उस पर किसी बात का कोई असर नहीं होता है।

 

Question 2:


 

कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढै बन माँहि।

 

Answer:

इस पंक्ति में कवि कहता है कि जिस प्रकार हिरण अपनी नाभि से आती सुगंध पर मोहित रहता है परन्तु वह यह नहीं जानता कि यह सुगंध उसकी नाभि में से रही है। वह उसे इधर-उधर ढूँढता रहता है। उसी प्रकार मनुष्य भी अज्ञानतावश वास्तविकता को नहीं जानता कि ईश्वर उसी में निवास करता है और उसे प्राप्त करने के लिए धार्मिक स्थलों, अनुष्ठानों में ढूँढता रहता है।

 

Question 3:


 जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।

 

Answer:

इस पंक्ति द्वारा कवि का कहना है कि जब तक मनुष्य में अज्ञान रुपी अंधकार छाया है वह ईश्वर को नहीं पा सकता। अर्थात अहंकार और ईश्वर का साथसाथ रहना नामुमकिन है। यह भावना दूर होते ही वह ईश्वर को पा लेता है।

 

Question 4:

 

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया कोइ।

 

Answer:

कवि के अनुसार बड़े ग्रंथ, शास्त्र पढ़ने भर से कोई ज्ञानी नहीं होता। अर्थात ईश्वर की प्राप्ति नहीं कर पाता। प्रेम से इश्वर का स्मरण करने से ही उसे प्राप्त किया जा सकता है। प्रेम में बहुत शक्ति होती है।


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