किशोर भारती
कक्षा-6, पाठ - 3
अक्षरों का महत्तव
एक हिंदी पाठ-
चन्दर उदय सिंह द्वारा
अक्षरों की कहानी
यह पुस्तक अक्षरों से बनी है। सारी पुस्तकें अक्षरों से बनी हैं। तरह-तरह की - पुस्तकें | तरह-तरह के अक्षर |
दुनिया में अब तक करोड़ों पुस्तकें छप चुकी हैं । हजारों पुस्तकें रोज छपती हैं| तरह-तरह के अक्षरों में हज़ारों की तादाद में रोज ही समाचार-पत्र छपते रहते हैं। इन सबके मूल में हैं अक्षर | हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि यदि आदमी अक्षरों को न जानता, तो आज इस दुनिया का क्या हाल होता |कोई कह सकता है कि हम अक्षरों को अनादि काल से जानते हैं। अक्षरों का ज्ञान हमें किसी ईश्वर से मिला है |
पुराने ज़माने के लोग सचमुच ही सोचते थे कि अक्षरों की खोज ईश्वर ने की है। पर आज हम जानते हैं कि अक्षरों की खोज किसी ईश्वर ने नहीं, बल्कि स्वयं आदमी ने की है। अब तो हम यह भी जानते हैं कि किन अक्षरों की खोज किसी देश में किस समय हुई!
हमारी यह धरती लगभग पाँच अरब साल पुरानी है । दो-तीन अरब साल तक इस धरती पर किसी प्रकार के जीव-जंतु नहीं थे। फिर करोड़ों साल तक केवल जानवरों और वनस्पतियों का ही इस धरती पर राज्य रहा |
मध्य अमरीका के ओंजिबवा आदिवासियों के चित्र (दाई ओर से बाईं ओर को क्रमशः) तूफान का देवता जो सारे आकाश को घेरता है, नगाड़ा, पंखों से सुशोभित नगाड़ा, द्रोणकाक, कौवा और दवाखाने में आदमी |
आदमी ने इस धरती पर कोई पांच लाख साल पहले जन्म लिया। धीरे-धीरे उसका विकास हुआ |
कोई “दस हज़ार साल पहले आदमी ने गाँवों को बसाना शुरू किया | वह खेती करने लगा। वह पत्थरों के औज़ारों का इस्तेमाल करता था| फिर उसने तांबे और कांसे के भी औजार बनाए
प्रागैतिहासिक मानव ने सबसे पहले चित्रों के ज़रिए अपने भाव व्यक्त किए।. जैसे, पशुओं, पक्षियों, आदमियों आदि के चित्र। इन चित्र-संकेतों से बाद में भाव-संकेत अस्तित्व में आए। जैसे, एक छोटे वृत्त के चहुँ ओर किरणों की द्योतक रेखाएँ खींचने पर वह 'सूर्य' का चित्र बन जाता था | बाद में यही चित्र 'ताप' या 'धूप' . का द्योतक बन गया | इस तरह अनेक भाव-संकेत अस्तित्व में आए | तब जाकर काफी बाद में आदमी ने अक्षरों की खोज की | अक्षरों की. खोज के सिलसिले को शुरू हुए मुश्किल से छह हजार साल हुए हैं। केवल छह हजार साल पहले ही अक्षरों की खोज हुई है।अक्षरों की खोज के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई | आदमी अपने विचार और अपने हिसाब-किताब को लिखकर रखने लगा। तबसे मानव को “सभ्य' कहा जाने लगा | आदमी ने जबसे लिखना शुरू किया तबसे 'इतिहास' आरंभ हुआ | किसी भी कौम या देश का इतिहास तब से शुरू होता है, जबसे आदमी के लिखे हुए लेख मिलने लग जाते हैं। इस प्रकार, इतिहास को शुरू हुए मुश्किल से छह हजार साल हुए हैं। उसके पहले के काल को 'प्रागैतिहासिक काल' यानी इतिहास के पहले का काल कहते हैं। हम देखते हैं कि यदि आदमी अक्षरों की खोज नहीं करता, तो आज हम इतिहास को न जान पाते। हम यह न जान पाते कि पिछले कुछ हज़ार सालों में आदमी किस प्रकार रहता था, क्या-क्या सोचता था, कौन-कौन राजा हुए इत्यादि | अक्षरों की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी खोज है| अक्षरों की खोज करने के बाद ही मनुष्य अपने विचारों को लिखकर रखने लगा। इस प्रकार, एक पीड़ी के ज्ञान का इस्तेमाल दूसरी पीढ़ी करने लगी | अक्षरों की खोज करने के बाद पिछले छह हज़ार सालों में मानव जाति का तेज़ी से विकास हुआ। यह महत्त्व है अक्षरों का और उनसे बनी हुई लिपियों का। अतः हम सबको अक्षरों की कहानी मालूम होनी चाहिए | आज जिन अक्षरों की हम पढ़ते या लिखते हैं वे कब बनाए गए, कहा बने और किसने बनाए, यह जानना जरूरी है |
गुणाकर मुले
अक्षरों का महत्तव
पाठ में ऐसा क्यों कहा गया है कि अक्षरों के साथ एक नए युग की शुरूआत हुई?
उत्तर :
पाठ में ऐसा इसलिए कहा गया है; क्योंकि अक्षरों की खोज से पहले मानव सभ्यता का कोई लिखित इतिहास नहीं मिलता। परन्तु अक्षरों की खोज के पश्चात् मानव ने इतिहास को लिखना आरम्भ किया और मानव द्वारा अर्जित इन्हीं अक्षरों के ज्ञान ने मानव को प्रगति पथ पर बढ़ाने व उसे सभ्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन सब कारणों से अक्षरों के साथ एक नए युग की शुरूआत हुई; यह कहा गया है।
प्रश्न 2:
अक्षरों की खोज का सिलसिला कब और कैसे शुरू हुआ? पाठ पढ़कर उत्तर लिखो।
उत्तर :
अक्षरों की खोज करीब छह हज़ार साल पहले की मानी जाती है।इस से पहले मानव के पास अपने विचारों व भावों को व्यक्त करने का कोई साधन नहीं था ; उन्होंने जानवरों, पक्षियों और मानवों के चित्रों द्वारा अपनी अभिव्यक्ति को प्रकट किया।धीरे-धीरे इन चित्र संकेंतों का स्थान भाव संकेतों ने ले लिया। इससे उन्होंने औरअच्छी तरह अपने विचारों व भावों को मानव, सूर्य-चन्द्रमा व देवी देवताओं के रूप में दर्शाना आरम्भ किया और धीरे-धीरे अक्षर अस्तित्व मेंआए।
प्रश्न 3:
अक्षरों के ज्ञान से पूर्व मनुष्य अपनी बात को दूर-दराज़ के इलाकों तक पहुँचाने के लिए किन- किन माध्यमों का सहारा लेता था ?
उत्तर :
पहले मनुष्य अपनी बात को दूर-दराज़ के इलाको तक पहुँचाने के लिए पशु-पक्षियों, आदमियों, सूर्य तथा चंद्र आदि के चित्र बनाकर भाव संकेत का सहारा लेता था।
प्रश्न 4:
‘भाषा का विकास पहले हुआ, अक्षर और लिपि का बाद में। बोली गई भाषा को अक्षरों की मदद से लिखा जा सकता है। कई लोग ऐसे भी होते हैं जो अक्षर नहीं पहचानते, पर भाषा अच्छी तरह जानते हैं।’
ऊपर की पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए भाषा और अक्षर के संबंधों के बारे में एक अनुच्छेद लिखो।
उत्तर :
मनुष्य की उत्पत्ति के साथ ही भाषा का आरम्भ हुआ।आरम्भ में मनुष्यआदिमानव था, उसका मानसिक विकास नहीं हुआ था।वह अपनी बात को समझाने के लिए इशारों व ध्वनि संकेतों का सहारा लेता था।परन्तु जैसे-जैसे आदिमानव का मानसिक विकास होता गया उन संकेतों व ध्वनि संकेतों का भी विकास होता गया और वे विचारों को भली -भाँति व्यक्त करने में सक्षम हो गए। इसी तरह भाषा का विकास हुआ।इसके बाद मनुष्य अपने विचारों व अनुभवों को लिख कर व्यक्त करने के लिए प्रेरित होने लगा और उसने गुफ़ाओं व पत्थरों पर चित्र संकेतों द्वारा अपने विचारों को व्यक्त करनाआरम्भ किया।अब वो देवी-देवताओं, सूर्य- चन्द्रमा के द्वारा और ज़्यादा सहज भाव से अपनीअभिव्यक्ति कोअंकित करने लगाऔर इसी विकास के क्रम ने अक्षरों को जन्म दिया।इसी के साथ मनुष्य ने इतिहास को अक्षरों की सहायता से लिपिबद्ध करना आरम्भ किया।आज विश्व के हर कोने में अनेकों भाषायें बोली जाती हैं और उन्हें लिपिबद्ध किया जाता है।यदि मनुष्य ने भाषा की खोज नहीं की होती तो हमें आज अक्षरों का भी ज्ञान नहीं होता।ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं एक के बिना दूसरे का कोई अस्तित्व नहीं है।यदि मनुष्य को भाषाओं का ज्ञान है तो वो दूसरे मनुष्यों को अपनी बात समझा सकता है परन्तु अगर उसको अक्षरों का ज्ञान नहीं है तो वो अपने विचारों और अनुभवों को लिख नहीं सकता या फिर दूर बैठे अपने किसी सम्बन्धी को अपना समाचार भेज नहीं सकता, अपनेअनुभवों को लिख नहीं सकता परन्तु अगर इसके विपरीत उसे अक्षरों का ज्ञान है तो वो भावों, विचारों को अच्छी तरह से व्यक्त कर सकता है। क्योंकि अक्षरों के इसी ज्ञान से हमें आज हमारे इतिहास के बारे में इतनी जानकारियाँ उपलब्ध है।आज किसी भी देश जाति, धर्म व जगह से सम्बन्धित जानकारियाँ हमें मनुष्य द्वारा लिपिबद्ध की गई पुस्तकों से प्राप्त होती है; अन्यथा अगर भाषा व अक्षरों का विकास न हुआ होता तो हमें इन महत्वपूर्ण जानकारियों से वंचित रहना पड़ता और हमअपने इतिहास के बारे में हमेशा अनभिज्ञ रहते।इसी भाषा और अक्षरों के ज्ञान ने मनुष्यों को सभी जीवों में श्रेष्ठ बनाया है।
प्रश्न 1:
अनादि काल में रेखांकित शब्द का अर्थ है जिसकी कोई शुरुआत या आदि न हो। नीचे दिए गए शब्द भी मूल शब्द के शुरू में कुछ जोड़ने से बने हैं। इसे उपसर्ग कहते हैं। इन उपसर्गों को अलग करके लिखो और मूल शब्दों को लिखकर उनका अर्थ समझो—
असफल …………………. अदृश्य ………………….
अनुचित …………………. अनावश्यक ………………….
अपरिचित …………………. अनिच्छा ………………….
(क) अब बताओ कि ये उपसर्ग जिन शब्दों के साथ जुड़ रहे हैं क्या उनमें कोई अंतर है?
(ख) उपर्युक्तशब्दोंसेवाक्यबनाओऔरसमझोकियेसंज्ञाहैंयाविशेषण।वैसेतोसंख्याएँसंज्ञाहोतीहैंपरकभी-कभीयेविशेषणकाकामभीकरतीहैं, जैसे- नीचेलिखेवाक्यमें
हमारी धरती लगभग पाँच अरब साल पुरानी है।
कोई दस हजार साल पहले आदमी ने गाँवों को बसाना शुरू किया।
इन वाक्यों में रेखांकित अंश ‘साल’ संज्ञा के बारे में विशेष जानकारी दे रहे हैं, इसलिए संख्यावाचक विशेषण हैं। संख्यावाचक विशेषण का इस्तेमाल उन्हीं चीज़ों के लिए होता है जिन्हें गिना जा सके। जैसे – चार संतरे, पाँच बच्चे, तीन शहर आदि। पर यदि किसी चीज़ को गिना नहीं जा सकता तो उसके साथ संख्या वाले शब्दों के अलावा माप-तौल आदि के शब्दों का इस्तेमाल भी किया जाता है—
• तीन जग पानी
• एक किलो जीरा
यहा रेखांकित हिस्से परिमाणवाचक विशेषण हैं क्योंकि इनका संबंध माप-तौल से है। अब नीचे लिखे हुए को पढ़ो। खाली स्थानों में बॉक्स में दिए गए माप-तौल के उचित शब्द छाँटकर लिखो।
प्याला कटोरी एकड़ मीटर
लीटर किलो ट्रक चम्मच
तीन …………….. खीर दो ……………… ज़मीन
छह ……………… कपड़ा एक ……………… रेत
दो ……………… कॉफ़ी पाँच ……………… बाजरा
एक ……………… दूध तीन ……………… तेल
उत्तर :
(क) हाँ उनके अर्थो में अंतर आ जाता है। अ उप्सर्ग लगा देने से प्राय: शब्दों के अर्थ विपरीत हो जाते हैं। जैसे-
असफल : सफल
अनुचित : उचित
अपरिचित : परिचित
अदृश्य : दृश्य
अनावश्यक : आवश्यक
अनिच्छा : इच्छा
(ख)
(1) तीन कटोरी खीर
(2) छह मीटर कपड़ा
(3) दो प्याला कॉफ़ी
(4) एक लीटर दूध
(5) दो एकड़ ज़मीन
(6) एक ट्रक रेत
(7) पाँच किलो बाजरा
(8) तीन चम्मच तेल
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