Tuesday, April 21, 2020

पर्वत प्रदेश में पावस सुमित्रानंदन पंत- A hindi lesson by Chander Uday Singh, part3




पर्वत प्रदेश में पावस

सुमित्रानंदन पंत

(Parvat Pradesh Mein Pavas-part3, question asnwers in Hindi)

A hindi lesson by- Chander Uday Singh



निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −

Question 5:


पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की और क्यों देख रहे थे और वे किस बात को प्रतिबिंबित करते हैं?

ANSWER:


ऊँचे-ऊँचे पर्वत पर उगे वृक्ष आकाश की ओर देखते चिंतामग्न प्रतीत हो रहे हैं। जैसे वे आसमान की ऊचाइयों को छूना चाहते हैं। इससे मानवीय भावनाओं को बताया गया है कि मनुष्य सदा आगे बढ़ने का भाव अपने मन में रखता है।

Question 6:


शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धँस गए?

ANSWER:

घनी धुंध के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हों। ऐसा लग रहा है कि पूरा आकाश ही धरती पर गया हो केवल झरने की आवाज़ ही सुनाई दे रही है। प्रकृति का ऐसा भयानक रूप देख कर शाल के पेड़ डर कर धरती के अंदर धंस गए हैं।

Question 7:


झरने किसके गौरव का गान कर रहे हैंबहते हुए झरने की तुलना किससे की गई है?

ANSWER:

झरने पर्वतों की ऊँची चोटियों से झर-झर करते बह रहे हैं। ऐसा लगता है मानो वे पर्वतों की महानता की गौरव गाथा गा रहे हों।बहते हुए झरनों की तुलना चमकदार मोतियों से की गई है।


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Monday, April 20, 2020

पर्वत प्रदेश में पावस- सुमित्रानंदन पंत part -2 A Hindi lesson by- Chander Uday Singh




पर्वत प्रदेश में पावस- सुमित्रानंदन पंत

part -2

A Hindi lesson by- Chander Uday Singh



निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए



Question 1:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैंकविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए?

ANSWER:

वर्षा ऋतु में मौसम बदलता रहता है। तेज़ वर्षा होती है। जल पहाड़ों के नीचे इकट्ठा होता है तो दर्पण जैसा लगता है। पर्वत मालाओं पर अनगिनत फूल खिल जाते हैं। ऐसा लगता है कि अनेकों नेत्र खोलकर पर्वत देख रहा है। पर्वतों पर बहते झरने मानो उनका गौरव गान गा रहे हैं। लंबे-लंबे वृक्ष आसमान को निहारते चिंतामग्न दिखाई दे रहे हैं। अचानक काले-काले बादल घिर आते हैं। ऐसा लगता है मानो बादल रुपी पंख लगाकर पर्वत उड़ना चाहते हैं। कोहरा धुएँ जैसा लगता है। इंद्र देवता बादलों के यान पर बैठकर नए-नए जादू दिखाना चाहते हैं।
Question 2:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
'मेखलाकारशब्द का क्या अर्थ हैकवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है?

ANSWER:

मेखलाकार का अर्थ है गोलजैसे कमरबंध। यहाँ इस शब्द का प्रयोग पर्वतों की श्रृंखला के लिए किया गया है। ये पावस ऋतु में दूर-दूर तक गोल आकृति में फैले हुए हैं।

 

Question 3:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
'सहस्र दृग-सुमनसे क्या तात्पर्य हैकवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा?

ANSWER:

पर्वतों पर हज़ारों रंग-बिरंगे फूल खिले हुए हैं। कवि को पहाड़ों पर खिले हज़ारों फूल पहाड़ की आँखों के समान लगते हैं। ये नेत्र अपने सुंदर विशालकाय आकार को नीचे तालाब के जल रुपी दर्पण में आश्चर्यचकित हो निहार रहे हैं।

Question 4:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों?

ANSWER:

कवि ने तालाब की समानता दर्पण से की है। जिस प्रकार दर्पण से प्रतिबिंब स्वच्छ स्पष्ट दिखाई देता हैउसी प्रकार तालाब का जल स्वच्छ और निर्मल होता है। पर्वत अपना प्रतिबिंब दर्पण रुपी तालाब के जल में देखते हैं।

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