Friday, May 1, 2020

Hindi essay for class 10th examination (Mahila sashaktikaran)



हिंदी निबंध




A hindi lesson by- Chander Uday Singh



महिला सशक्तिकरण





प्रस्तावना
आज के आधुनिक समय में महिला सशक्तिकरण एक विशेष चर्चा का विषय है। हमारे आदि - ग्रंथों में नारी के महत्त्व को मानते हुए यहाँ तक बताया गया है कि "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:" अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते है। लेकिन विडम्बना तो देखिए नारी में इतनी शक्ति होने के बावजूद भी उसके सशक्तिकरण की अत्यंत आवश्यकता महसूस हो रही है।भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाली उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरुरी है सशक्तिकरण का असली अर्थ तब समझ में आयेगा जब भारत में उन्हें अच्छी शिक्षा दी जाएगी और उन्हें इस काबिल बनाया जाएगा कि वो हर क्षेत्र में स्वतंत्र होकर फैसले कर सकें।

महिला सशक्तिकरण का अर्थ

स्त्री को सृजन की शक्ति माना जाता है अर्थात स्त्री से ही मानव जाति का अस्तित्व माना गया है। इस सृजन की शक्ति को विकसित-परिष्कृति कर उसे सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक न्याय, विचार, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, अवसर की समानता का सु-अवसर प्रदान करना ही नारी सशक्तिकरण का आशय है।
आसान शब्दों में महिला सशक्तिकरण र्थ है  की महिलाएँ अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती हैं। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण है।

भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता

प्राचीन काल के अपेक्षा मध्य काल में भारतीय महिलाओं के सम्मान स्तर में काफी कमी आयी। कई भारतीय महिलाएँ कई सारे महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य है। शिक्षा के मामले में भी भारत में महिलाएँ पुरुषों की अपेक्षा काफी पीछे हैं। भारत में पुरुषों की शिक्षा दर 81.3 प्रतिशत है, जबकि महिलाओं की शिक्षा दर मात्र 60.6 प्रतिशत ही है। हमारा देश काफी तेजी और उत्साह के साथ आगे बढ़ता जा रहा है, लेकिन इसे हम तभी बरकरार रख सकते है, जब हम लैंगिग असमानता को दूर कर पाए और महिलाओं के लिए भी पुरुषों के तरह समान शिक्षा, तरक्की और भुगतान सुनिश्चित कर सके। भारत की लगभग 50 प्रतिशत आबादी केवल महिलाओं की है मतलब, पूरे देश के विकास के लिए इस आधी आबादी की जरुरत है जो कि अभी भी सशक्त नहीं है और कई सामाजिक प्रतिबंधों से बंधी हुई है। भारतीय समाज में महिलाओं को सम्मान देने के लिये माँ, बहन, पुत्री, पत्नी के रुप में महिला देवियों को पूजने की परंपरा है लेकिन आज केवल यह एक ढोंग मात्र रह गया है।

भारत में महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली बाधाएँ
भारतीय समाज एक ऐसा समाज है, जिसमें कई तरह के रिवाज, मान्यताएँ और परम्पराएँ शामिल हैं। इनमें से कुछ पुरानी मान्यताएँ और परम्पराएँ ऐसी भी हैं जो भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए बाधा सिद्ध होती हैं। उन्हीं बाधाओं में से कुछ निम्नलिखित हैं -
पुरानी और रुढ़ीवादी विचारधारा, कार्यक्षेत्र में होने वाला शोषण, समाज में पुरुष प्रधनता, लैंगिग स्तर पर  भेदभाव, महिलाओं में अशिक्षा और बीच में पढ़ाई छोड़ने जैसी समस्याएँ, घरेलू हिंसा, कन्या भ्रूणहत्या आदि

भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की भूमिका

भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए कई सारी योजनाएँ चलाई जाती हैं। इनमें से कई सारी योजनाएँ रोजगार, कृषि और स्वास्थ्य जैसी चीजों से सम्बंधित होती हैं। इन योजनाओं का गठन भारतीय महिलाओं के परिस्थिति को देखते हुए किया गया है ताकि समाज में उनकी भागीदारी को बढ़ाया जा सके। इनमें से कुछ मुख्य योजनाएँ हैं -
बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना, महिला हेल्पलाइन योजना, उज्जवला योजना, सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन (स्टेप), महिला शक्ति केंद्र,पंचायाती राज योजनाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण


उपसंहार

भले ही आज के समाज में कई भारतीय महिलाएँ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, प्रशासनिक अधिकारी, डॉक्टर, वकील आदि बन चुकी हो, लेकिन फिर भी काफी सारी महिलाओं को आज भी सहयोग और सहायता की आवश्यकता है। उन्हें शिक्षा, और आजादीपूर्वक कार्य करने, सुरक्षित यात्रा, सुरक्षित कार्य और सामाजिक आजादी में अभी भी और सहयोग की आवश्यकता है। महिला सशक्तिकरण का यह कार्य काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत की सामाजिक-आर्थिक प्रगति उसके महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक प्रगति पर ही निर्भर करती है। महिला सशक्तिकरण महिलाओं को वह मजबूती प्रदान करता है, जो उन्हें उनके हक के लिए लड़ने में मदद करता है। हम सभी को महिलाओं का सम्मान करना चाहिए, उन्हें आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए।


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Thursday, April 30, 2020

SAPNO KE SE DIN - Gurdayal Singh, part 3

सपनों केसे दिन

-गुरदयाल सिंह





A hindi lesson by- Chander Uday Singh



निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए





प्रश्न 9. विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए पाठ में अपनाई गई युक्तियों और वर्तमान में स्वीकृत मान्यताओं के संबंध में अपने विचार प्रकट कीजिए।


उत्तर: विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए पाठ में अपनाई गई युक्तियाँ बड़ी ही क्रूर लगती हैं। आज हर विशेषज्ञ का मानना है कि शारीरिक यातना देकर बच्चों को नहीं सुधारा जा सकता है। आज के शिक्षाविदों का मानना है कि बच्चों को प्यार और स्नेह से ही सही तरीके से सिखाया जा सकता है। गुजरे जमाने के स्कूली जीवन के बारे में तो सोचकर ही रूह काँप जाती है।


प्रश्न 10.बचपन की यादें मन को गुदगुदाने वाली होती हैं विशेषकर स्कूली दिनों की। अपने अब तक के स्कूली जीवन की खट्टी मीठी यादों को लिखिए।

उत्तर: मेरे स्कूली जीवन की कई यादें मेरे साथ हैं। जब मैं प्राइमरी क्लास में था तो लंच ब्रेक के दौरान टीचर सभी बच्चों को अपने सिर नीचे रखने की हिदायत देती थीं। हम सभी बच्चे अपना सिर नीचे किये भी एक दूसरे से आँखों ही आँखों में बातें करते थे और फिर फिस्स से हँस देते थे। एक बच्चा तो बिन बात जोर जोर से हँसने लगता था। जब टीचर इस बात के लिए मना करती थी, तो वह कभी कभी क्लास से बाहर जाकर जोर-जोर से हँसने लगता था।

प्रश्न 11.प्राय: अभिभावक बच्चों को खेल-कूद में ज्यादा रुचि लेने पर रोकते हैं और समय बरबाद न करने की नसीहत देते हैं। बताइए:

(क) खेल आपके लिए क्यों जरूरी है?

उत्तर: खेलना हमारे शारिरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी है। खेलने से मन में टीम भावना और अनुशासन का भी विकास होता है।


(ख) आप कौन से ऐसे नियम कायदों को अपनाएँगे जिससे अभिभावकों को आपके खेल पर आपत्ति न हो?
उत्तर: मैं यदि नियमित रूप से अपनी पढ़ाई करूँगा तो इससे मेरा रिपोर्ट कार्ड हमेशा ठीक रहेगा। इसके बाद यदि मैं रोज एक दो घंटे खेलने जाऊँ तो इससे मेरे अभिभावक को कोई परेशानी नहीं होगी।

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Wednesday, April 29, 2020

SAPNO KE SE DIN - Gurdayal Singh, part 2

सपनों के - से दिन

-गुरदयाल सिंह

A hindi  lesson by- Chander Uday Singh

 

 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

 

प्रश्न 5. हेडमास्टर शर्मा जी ने पीटी साहब को क्यों मुअत्तल कर दिया?

उत्तरहेडमास्टर शर्मा जी ने फारसी की क्लास में पाया कि पीटी साहब बच्चों की बेरहमी से धुनाई कर रहे थे। यह सब शर्मा जी को अच्छा नहीं लगा। इसलिए उन्होंने पीटी साहब को मुअत्तल कर दिया।

प्रश्न 6.    लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल खुशी से भागे जाने की जगह लगने पर भी कब और क्यों उन्हें स्कूल जाना अच्छा लगने लगा?

    उत्तरलेखक को स्कूल जाना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता था। लेकिन जब पीटी साहब उन्हें परेड में शाबाशी देते तो उन्हें बहुत अच्छा लगता था। स्काउट की परेड में जब उन्हें धुले हुए साफ कपड़े और गले में दोरंगी रुमाल के साथ परेड करने को मिलता तो भी उन्हें मजा आता था। परेड के दौरान उनके बूटों की ठक-ठक उनके कानों में मधुर संगीत की तरह लगती थी। इन सब कारणों से लेखक को स्कूल जाना अच्छा लगने लगा था।

    प्रश्न  7. लेखक अपने छात्र जीवन में स्कूल से छुट्टियों में मिले काम को पूरा करने के लिए क्या-क्या योजनाएँ बनाया करता था और उसे पूरा कर पाने की स्थिति में किसकी भाँतिबहादुरबनने की कल्पना किया करता था?

उत्तरजब छुट्टियों का एक महीना बच जाता तो लेखक यह हिसाब लगाते कि यदि 10 सवाल एक दिन में हल किए जाएँ तो केवल बीस दिन में ही सारा होमवर्क पूरा हो जाएगा। इसी योजना को बनाते-बनाते दिन बीत जाते। फिर वे प्रतिदिन 15 सवाल की दर से अपना होमवर्क पूरा करने की योजना बनाते। लेकिन उनकी योजना धरी की धरी रह जाती और दिन पलक झपके ही बीत जाते थे। फिर होमवर्क पूरा कर पाने की स्थिति में वे अपने साथी ओमा की तरह बहादुर बनने की कल्पना किया करता था। ओमा को कभी भी पिटाई से डर नहीं लगता था, बल्कि वह इसे होमवर्क पूरा करने की तुलना मेंसस्ता सौदासमझता था।

प्रश्न 8. पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर पीटी सर की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

उत्तर : पीटी सर बड़े ही कड़क शिक्षक थे। बच्चों में अनुशासन लाने के लिए वे सख्त से सख्त कार्रवाई करने को तैयार रहते थे। उनकी नजर बड़ी तेज थी और वे हर बच्चे की छोटी से छोटी हरकत को भी पकड़ लेते थे। अपनी शैली में बच्चों को सुधारने में वे इतना यकीन रखते थे कि उन्हें अपने ऊपर के किसी भी अधिकारी का डर नहीं था। अंदर से वे एक मोमदिल इंसान थे; जो इस बात से पता चलता है कि वे अपने तोते को बड़े प्यार से बादाम खिलाते थे और उसके संग बातें करते थे।

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