Saturday, July 25, 2020

Muhavarey aur Lokoktiyan

मुहावरे और लोकोक्तियाँ 

.......continued from 120.




A hindi lesson by - Chander Uday Singh



121. खून-पसीना एक करना-कठोर परिश्रम करना।

मुकेश ने परीक्षा में सफलता पाने के लिए खून-पसीना एक कर दिया।


122. खेल खिलाना-प्रतिपक्षी को समय देना।

राम ने रावण को मारने से पूर्व युद्ध के मैदान में उसे तरह-तरह से खेल खिलाए।


123. खेत रहना-लड़ाई में मारा जाना।

भारत और चीन के युद्ध में शत्रुओं के कई हजार सैनिक खेत रहे।


124. गड़े मुर्दे उखाड़ना-बहुत पुरानी बात दोहराना।

गड़े मुर्दे उखाड़ने से किसी समस्या का हल नहीं मिलता। वस्तुतः हमें वर्तमान सन्दर्भ में ही समस्या का समाधान खोजना चाहिए।


125. गागर में सागर भरना-थोड़े शब्दों में अधिक बात कहना।

बिहारी ने अपनी सतसई के दोहों में बड़े-बड़े अर्थ रखकर गागर में सागर भरने की बात को चरितार्थ किया।


126. गाल बजाना-डींग मारना।

केवल गाल बजाने से सफलता नहीं मिल सकती, इसके लिए परिश्रम भी परम आवश्यक है।


127. गुड़-गोबर करना—काम बिगाड़ना।

कवि-सम्मेलन बड़े आनन्द से चल रहा था, श्रोता रसमग्न होकर कविताएँ सुन रहे थे कि अचानक आई तेज वर्षा ने सारा गुड़-गोबर कर दिया।


128. गूलर का फूल होना-अलभ्य वस्तु होना।

आज के युग में ईमानदारी गूलर का फूल हो गई है।


129. घड़ों पानी पड़ना-दूसरों के सामने हीन सिद्ध होने पर अत्यन्त लज्जित होना।

बहू ने जब सास का झूठ सबके सामने पकड़ लिया तो उस पर घड़ों पानी पड़ गया।


130. घर का दीपक-घर की शोभा और कुल की कीर्ति को बढ़ानेवाला।

एकमात्र पुत्र की मृत्यु पर संवेदना व्यक्त करने आए प्रत्येक व्यक्ति ने यही कहा कि उनके घर का तो दीपक ही बुझ गया।


131. घर की खेती सहज में मिलनेवाला पदार्थ।

बाल काट देने पर इतना क्यों रोते हो? यह तो घर की खेती है। कुछ दिन में फिर बढ़ जाएगी।


132. घर फूंक तमाशा देखना-क्षणिक आनन्द के लिए बहुत अधिक खर्च करना।

सेठ भोलामल का बड़ा लड़का शराब व जुए में सम्पत्ति नष्ट करके घर फूंक तमाशा देख रहा है।


133. घाट-घाट का पानी पीना–अनेक स्थलों का अच्छा-बुरा अनुभव प्राप्त करना/चालाक होना।

जिसने घाट-घाट का पानी पिया हो, उसे जीवन में कौन धोखा दे सकता है।


134. घाव पर नमक छिड़कना-दु:खी व्यक्ति के हृदय को और दुःख पहुँचाना।

परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो जाने पर रमेश वैसे ही दु:खी है। अब अपशब्द कहकर आप उसके घाव पर नमक छिड़क रहे हैं।


135. घाव हरा होना-भूले दुःख की याद आना।

मैं तो अपना दुःख भूल चुका था, किन्तु आज आपको वैसे ही कष्ट में देखकर मेरा घाव हरा हो गया।


136. घी के दीये जलाना-खुशी मनाना।

अपने प्रतिद्वन्द्वी की हार पर सुनील ने घी के दीये जलाए।


137. घोड़े बेचकर सोना निश्चिन्त होना।

किशन परीक्षा समाप्त होते ही घोड़े बेचकर सोता है।


138. चम्पत होना-भाग जाना।

सिपाही को देखते ही चोर वहाँ से चम्पत हो गया।


139. चाँद पर थूकना-निर्दोष को दोष देना।

आप सत्यता के साथ अपने कार्य को कीजिए। आप पर दोष लगानेवाले स्वयं चुप हो जाएँगे। चाँद पर थूकने से उसका कुछ बिगड़ता नहीं है।


140. चूना लगाना-हानि पहुँचाना।

उसने मुझे रिश्तेदारी का हवाला दिया और मैं पिघल गया। बेबात में उसने मुझे सौ रुपये का चूना लगा दिया।


141. चाँदी काटना- अधिक लाभ प्राप्त करना।

आपास्थिति से पूर्व काले धन्धे में लगे व्यक्ति कृत्रिम कमी उत्पन्न करके चाँदी काट रहे थे। अब सभी के होश ठिकाने आ गए हैं।


142. चिकना घड़ा होना-निर्लज्ज होना। वह पूरा चिकना घड़ा है। उस पर आपकी बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।


143. चिकनी-चुपड़ी बातें करना-चालबाजी से भरी मीठी बातें करना। उसकी बातों में न आना।

वह चिकनी-चुपड़ी बातें करके अपना मतलब सिद्ध करने में बड़ा चतुर है।


144. चुल्लूभर पानी में डूब मरना-अपने गलत काम के लिए लज्जा का अनुभव करना।

रमेश ने अपनी बहन की सम्पत्ति पर भी कब्जा करने की कोशिश की। जब सम्बन्धियों को पता चला तो उन्होंने उससे कहा कि जाओ, चुल्लूभर पानी में डूब मरो।।


145. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना-घबराहट आदि के कारण चेहरे का रंग उड़ जाना।

शहर में दंगा होने की खबर सुनकर शहर में नई आई मेघना के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।


146. चोर की दाढ़ी में तिनका वास्तविक अपराधी का बिना पूछे बोल उठना।

छात्रों ने श्यामपट पर एक कार्टून बना दिया था। अध्यापक ने उसके सम्बन्ध में छात्रों से पूछा। इसी बीच एक छात्र खड़ा होकर कहने लगा कि यह कार्टून मैंने नहीं बनाया। सब छात्र कहने लगे- “चोर की दाढ़ी में तिनका।”


147. चोली-दामन का साथ होना-घनिष्ठ अथवा अटूट सम्बन्ध।

पन्ना रूपवती स्त्री थी और रूप तथा गर्व में चोली-दामन का नाता था।


148. छक्के छुड़ाना-हिम्मत पस्त कर देना।

व्यापारमण्डल ने मेरे प्रस्ताव को स्वीकार करके मेरे विरोधियों के छक्के छुड़ा दिए।


149. छठी का दूध याद आना-घोर संकट में फँसना।

अचानक आए तूफान ने पर्वतारोहियों को छठी का दूध याद दिला दिया।


150. छठी का दूध याद कराना-बहुत अधिक कष्ट देना।

सतपाल ने अखाड़े में बड़े-बड़े पहलवानों को भी छठी का दूध याद करा दिया।


151. छाती पर मूंग दलना-अत्यन्त कष्ट देना।

माँ ने नाराज होकर बच्चों से कहा कि मेरी छाती पर ही मूंग दलते रहोगे या कुछ पढ़ोगे-लिखोगे भी।


152. छाती पर पत्थर रखना-दुःख सहने के लिए हृदय कठोर करना।

अपनी छाती पर पत्थर रखकर उसने अपना पुश्तैनी मकान भी बेच दिया।


153. छाती/कलेजे पर साँप लोटना-ईर्ष्या से हृदय जल उठना।

किसी की उन्नति की चर्चा सुनकर उसकी छाती पर साँप लोटने लगते हैं।


164. जमीन पर पैर न रखना-बहुत अभिमान करना।

प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने के बाद उसके पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे हैं।


155. जहर उगलना-कठोर, जली-कटी, लगनेवाली बात कहना।

उन्हें जब देखो, तब जहर उगलते रहते हैं। उन्हें किसी की उन्नति तनिक भी नहीं सुहाती।


156. जली-कटी कहना-व्यंग्यपूर्ण बात करना।

जब देखो जली-कटी कहते रहते हो। कभी तो प्रेम के साथ बोला करो।


157. जहाज का पंछी होना—ऐसी मजबूरी होना, जिससे वही आश्रय लेने के लिए बाध्य होना पड़े।

बहुत ढूँढने पर भी मुझे कहीं स्थान नहीं मिला। जहाज के पंछी की तरह मैं फिर लौटकर वहीं आ गया।


158. जी-जान लड़ाना-बहुत परिश्रम करना।

हमने तो कार्यक्रम की सफलता के लिए जी-जान लड़ा दी, किन्तु उन्हें कोई बात पसन्द ही नहीं आती।


159. जीती मक्खी निगलना-अहित की बात स्वीकार करना।

मोहना को भली प्रकार ज्ञात था कि घर और वर दोनों उसके अनुरूप नहीं हैं, फिर भी माता-पिता की विवशता देखकर उसने जीती मक्खी को निगल लिया।


160. जोड़-तोड़ करना–दाँव-पेंचयुक्त उपाय करना।

किसी भी तरह जोड़-तोड़ करके रमेश उत्तीर्ण हो ही गया।


to be continued.....


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Thursday, July 23, 2020

Paryayvachi Shabd, Synonyms in Hindi part-6

A hindi lesson by - Chander Uday Singh

Paryayvachi Shabd (पर्यायवाची शब्द)


201. वीर्य : जीवन, सार, तेज, शुक्र, बीज
202. वज्र : कुलिस, पवि, अशनि, दभोलि
203. विशाल : विराट, दीर्घ, वृहत, बड़ा, महा, महान
204. शिव : भोलेनाथ, शम्भू, त्रिलोचन, महादेव, नीलकंठ, शंकर
205. शरीर : देह, तनु, काया, कलेवर, अंग, गात
206. शत्रु : रिपु, दुश्मन, अमित्र, वैरी, अरि, विपक्षी, अराति
207. शिक्षक : गुरु, अध्यापक, आचार्य, उपाध्याय
208. शेर : केहरि, केशरी, वनराज, सिंह, शार्दूल, हरि, मृगराज
209. शेषनाग : अहि, नाग, भुजंग, व्याल, उरग, पन्नग, फणीश, सारंग
210. शुभ्र : गौर, श्वेत, अमल, वलक्ष, शुक्ल, अवदात
211. शहद : पुष्परस, मधु, आसव, रस, मकरन्द
212. षंड : हीजड़ा, नपुंसक, नामर्द
213. षडानन : षटमुख, कार्तिकेय, षाण्मातुर
214. सीता : वैदेही, जानकी, भूमिजा, जनकतनया, जनकनन्दिनी, रामप्रिया
215. साँप : अहि, भुजंग, ब्याल, सर्प, नाग, विषधर, उरग, पवनासन
216. सूर्य : रवि, सूरज, दिनकर, प्रभाकर, आदित्य, दिनेश, भास्कर, दिनकर, दिवाकर, भानु, अर्क, तरणि,पतंग, आदित्य, सविता, हंस, अंशुमाली, मार्तण्ड
217. सोना : स्वर्ण, कंचन, कनक, हेम, कुंदन
218. सिंह : केसरी, शेर, महावीर, हरि, मृगपति, वनराज, शार्दूल, नाहर, सारंग, मृगराज
219. समुद्र : सागर, पयोधि, उदधि, पारावार, नदीश, जलधि, सिंधु, रत्नाकर, वारिधि
220. सम : सर्व, समस्त, सम्पूर्ण, पूर्ण, समग्र, अखिल, निखिल
221. समीप : सन्निकट, आसन्न, निकट, पास
222. समूह : दल, झुंड, समुदाय, टोली, जत्था, मण्डली, वृंद, गण, पुंज, संघ, समुच्चय
223. सभा : अधिवेशन, संगीति, परिषद, बैठक, महासभा
224. सुन्दर : कलित, ललाम, मंजुल, रुचिर, चारु, रम्य, मनोहर, सुहावना, चित्ताकर्षक, रमणीक, कमनीय, उत्कृष्ट, उत्तम, सुरम्य
225. सन्ध्या : सायंकाल, शाम, साँझ, प्रदोषकाल, गोधूलि
226. स्त्री : सुन्दरी, कान्ता, कलत्र, वनिता, नारी, महिला, अबला, ललना, औरत, कामिनी, रमणी
227. सुगंधि : सौरभ, सुरभि, महक, खुशबू
228. स्वर्ग : सुरलोक, देवलोक, दिव्यधाम, ब्रह्मधाम, द्यौ, परमधाम, त्रिदिव, दयुलोक
229. स्वर्ण : सुवर्ण, कंचन, हेन, हारक, जातरूप, सोना, तामरस, हिरण्य
230. सरस्वती : गिरा, शारदा, भारती, वीणापाणि, विमला, वागीश, वागेश्वरी
231. सहेली : आली, सखी, सहचरी, सजनी, सैरन्ध्री
232. संसार : लोक, जग, जहान, जगत, विश्व, दुनिया
233. हस्त : हाथ, कर, पाणि, बाहु, भुजा
234. हिमालय : हिमगिरी, हिमाचल, गिरिराज, पर्वतराज, नगेश
235. हिरण : सुरभी, कुरग, मृग, सारंग, हिरन
236. होंठ : अक्षर, ओष्ठ, ओंठ
237. हनुमान : पवनसुत, पवनकुमार, महावीर, रामदूत, मारुततनय, अंजनीपुत्र, आंजनेय, कपीश्वर, केशरीनंदन, बजरंगबली, मारुति
238. हिमांशु : हिमकर, निशाकर, क्षपानाथ, चन्द्रमा, चन्द्र, निशिपति
239. हंस : कलकंठ, मराल, सिपपक्ष, मानसौक
240. हृदय : छाती, वक्ष, वक्षस्थल, हिय, उर
241. हाथ : हस्त, कर, पाणि
242. हाथी : नाग, हस्ती, राज, कुंजर, कूम्भा, मतंग, वारण, गज, द्विप, करी, मदकल


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Wednesday, July 22, 2020

Paryayvachi Shabd, Synonyms in Hindi part-5

A hindi lesson by - Chander Uday Singh

Paryayvachi Shabd (पर्यायवाची शब्द)


........continued from 160

161. बलदेव : बलराम, बलभद्र, हलायुध, राम, मूसली, रोहिणेय, संकर्षण
162. बहुत : अनेक, अतीव, अति, बहुल, प्रचुर, अपरिमित, प्रभूत, अपार, अमित, अत्यन्त, असंख्य
163. ब्राह्मण : द्विज, भूदेव, विप्र, महीदेव, भूमिसुर, भूमिदेव
164. भय : भीति, डर, विभीषिका
165. भाई : तात, अनुज, अग्रज, भ्राता, भ्रातृ
166. भूषण : जेवर, गहना, आभूषण, अलंकार
167. भौंरा : मधुप, मधुकर, द्विरेप, अलि, षट्पद, भृंग, भ्रमर
168. मनुष्य : आदमी, नर, मानव, मानुष, मनुज
169. मदिरा : शराब, हाला, आसव, मधु, मद
170. मोर : केक, कलापी, नीलकंठ, नर्तकप्रिय
171. मधु : शहद, रसा, कुसुमासव
172. मृग : हिरण, सारंग, कृष्णसार
173. मछली : मीन, मत्स्य, जलजीवन, शफरी, मकर
174. माता : जननी, माँ, अंबा, जनयत्री, अम्मा
175. मित्र : सखा, सहचर, साथी, दोस्त
176. यम : सूर्यपुत्र, जीवितेश, श्राद्धदेव, कृतांत, अन्तक, धर्मराज, दण्डधर, कीनाश, यमराज
177. यमुना : कालिन्दी, सूर्यसुता, रवितनया, तरणि-तनूजा, तरणिजा, अर्कजा, भानुजा
178. युवति : युवती, सुन्दरी, श्यामा, किशोरी, तरुणी, नवयौवना
179. रमा : इन्दिरा, हरिप्रिया, श्री, लक्ष्मी, कमला, पद्मा, पद्मासना, समुद्रजा, श्रीभार्गवी, क्षीरोदतनया
180. रात : रात्रि, रैन, रजनी, निशा, यामिनी, तमी, निशि, यामा, विभावरी
181. राजा : नृप, नृपति, भूपति, नरपति, नृप, भूप, भूपाल, नरेश, महीपति, अवनीपति
182. रात्रि : निशा, क्षया, रैन, रात, यामिनी, शर्वरी, तमस्विनी, विभावरी
183. रामचन्द्र : अवधेश, सीतापति, राघव, रघुपति, रघुवर, रघुनाथ, रघुराज, रघुवीर, रावणारि, जानकीवल्लभ, कमलेन्द्र, कौशल्यानन्दन
184. रावण : दशानन, लंकेश, लंकापति, दशशीश, दशकंध, दैत्येन्द्र
185. राधिका : राधा, ब्रजरानी, हरिप्रिया, वृषभानुजा
186. लड़का : बालक, शिशु, सुत, किशोर, कुमार
187. लड़की : बालिका, कुमारी, सुता, किशोरी, बाला, कन्या
188. लक्ष्मी : कमला, पद्मा, रमा, हरिप्रिया, श्री, इंदिरा, पद्मजा, सिन्धुसुता, कमलासना
189. लक्ष्मण : लखन, शेषावतार, सौमित्र, रामानुज, शेष
190. लौह : अयस, लोहा, सार
191. लता : बल्लरी, बल्ली, बेली
192. वायु : हवा, पवन, समीर, अनिल, वात, मारुत
193. वसन : अम्बर, वस्त्र, परिधान, पट, चीर
194. विधवा : अनाथा, पतिहीना, राँड़
195. विष : ज़हर, हलाहल, गरल, कालकूट
196. वृक्ष : पेड़, पादप, विटप, तरू, गाछ, दरख्त, शाखी, विटप, द्रुम
197. विष्णु : नारायण, दामोदर, पीताम्बर, चक्रपाणी
198. विश्व : जगत, जग, भव, संसार, लोक, दुनिया
199. विद्युत : चपला, चंचला, दामिनी, सौदामिनी, तड़ित, बीजुरी, घनवल्ली, क्षणप्रभा, करका
200. वारिश : वर्षण, वृष्टि, वर्षा, पावस, बरसात

to be continued.....


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