Friday, July 31, 2020

BADE BHAI SAHAB, questions and answers part-2

नव भारती

कक्षा-10 






A hindi lesson by - Chander Uday Singh


पाठ-बड़े भाई साहब

मुंशी प्रेम चंद

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
बड़े भाई की डाँट-फटकार अगर न मिलती, तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता? अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर-
मेरे विचार में यह सच है कि अगर बड़े भाई की डाँट-फटकार छोटे भाई को न मिलती, तो वह कक्षा में कभी भी अव्वल नहीं आता। यद्यपि उसने बड़े भाई की नसीहत तथा लताड़ से कभी कोई सीख ग्रहण नहीं की, परंतु उसपर अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव गहरा पड़ता था, क्योंकि छोटा भाई तो खेल-प्रवृत्ति का था। बड़े भाई की डाँट-फटकार की ही भूमिका ने उसे कक्षा में प्रथम आने में सहायता की तथा उसकी चंचलता पर नियंत्रण रखा। मेरे विचार से बड़े भाई की डाँट-फटकार के कारण ही छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता था अर्थात् बड़े भाई की डाँट-फटकार उसके लिए वरदान सिद्ध हुई।
प्रश्न 2.
इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचार से सहमत हैं?
उत्तर  -: बड़े भाई साहब पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के तौर तरीकों पर व्यंग्य करते हुए कहा है कि ये शिक्षा अंग्रेजी बोलने ,पढ़ने पर जोर देती है चाहे किसी को अंग्रेजी पढ़ने में रूचि है या नहीं। अपने देश के इतिहास के साथ साथ दूसरे देशों के इतिहास को भी पढ़ना पढ़ता है जो बिलकुल भी जरुरी नहीं है। यहाँ पर रटने वाली प्रणाली पर ज़ोर दिया जाता है। बच्चों को कोई विषय समझ में आये या ना आये रट कर परीक्षा में पास हो ही जाते हैं। छोटे -छोटे विषयों पर लम्बे -लम्बे निबंध लिखने होते हैं। ऐसी शिक्षा प्रणाली जो  लाभदायक कम और बोझ ज़्यादा लगे ठीक नहीं है।
प्रश्न 3.
बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?
उत्तर-
बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ अनुभव रूपी ज्ञान से आती है, जोकि जीवन के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। उनके अनुसार पुस्तकीय ज्ञान से हर कक्षा पास करके अगली कक्षा में प्रवेश मिलता है, लेकिन यह पुस्तकीय ज्ञान अनुभव में उतारे बिना अधूरा है। दुनिया को देखने, परखने तथा बुजुर्गों के जीवन से हमें अनुभव रूपी ज्ञान को प्राप्त करना आवश्यक है, क्योंकि यह ज्ञान हर विपरीत परिस्थिति में भी समस्या का समाधान करने से सहायक होता है। इसलिए उनके अनुसार अनुभव पढ़ाई से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है, जिससे जीवन को परखा और सँवारा जाता है तथा जीवन को समझने की समझ आती है।
प्रश्न 4.
छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई?
उत्तर-
एक दिन शाम के समय ,हॉस्टल से दूर जब छोटा भाई  एक पतंग को पकड़ने के लिए बिना किसी की परवाह किये दौड़ा जा रहा था, अचानक भाई साहब से उसका आमना -सामना हुआ।उन्होंने बाजार में ही उसका  हाथ पकड़ लिया और बड़े क्रोधित भाव से बोले ‘लेखक भले ही बहुत प्रतिभावान है ,इसमें कोई शक नहीं हैं ,लेकिन जो प्रतिभा किसी को शर्म लिहाज़ न सिखाये वो किस काम की।बड़े भाई साहब कहते हैं कि लेखक भले ही अपने मन में सोचता होगा कि वह उनसे सिर्फ एक ही कक्षा पीछे रह गया है और अब उन्हें लेखक को डाँटने या कुछ कहने का कोई हक नहीं है ,लेकिन ये सोचना लेखक की गलती है।बड़े भाई साहब उससे पांच साल बड़े हैं और हमेशा ही रहेंगे । समझ किताबें पढ़ लेने से नहीं आती ,बल्कि दुनिया देखने से आती है।बड़े भाई साहब लेखक को कहते हैं कि यह घमंड जो उसने दिल में पाल रखा है कि वह बिना पड़े भी पास हो सकता है और भाई साहब को उसे डाँटने और समझाने का कोई अधिकार नहीं रहा ,इसे निकल डाले। बड़े भाई साहब के रहते लेखक कभी गलत रस्ते पर नहीं जा सकता।बड़े भाई साहब लेखक से कहते हैं कि अगर लेखक नहीं मानेगा तो भाई साहब थप्पड़ का प्रयोग भी कर सकते हैं और बड़े भाई साहब लेखक को कहते हैं कि उसको उनकी बात अच्छी नहीं लग रही होगी।छोटा भाई , भाई साहब की इस समझने की नई योजना के कारण उनके सामने सर झुका कर खड़ा था। आज उसे सचमुच अपने छोटे होने का एहसास हो रहा था न केवल उम्र से बल्कि मन से भी और भाई साहब के लिए उसके  मन में इज़्ज़त और भी बड़ गई।

प्रश्न 5.
बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए?
उत्तर-
बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. बड़ा भाई बड़ा ही परिश्रमी था। वह दिन-रात पढ़ाई में ही जुटा रहता था इसलिए खेल-कूद, क्रिकेट मैच आदि में उसकी कोई रुचि नहीं थी।
2. वह बार-बार फेल होने के बावजूद पढ़ाई में लीन रहता था।
3. बड़ा भाई उपदेश की कला में बहुत माहिर है इसलिए वह अपने छोटे भाई को उपदेश ही देता रहता है, क्योंकि वह अपने छोटे भाई को एक नेक इंसान बनाना चाहता है।
4. वह अनुशासनप्रिय है, सिद्धांतप्रिय है, आत्मनियंत्रण करना जानता है। वह आदर्शवादी बनकर छोटे भाई के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहता है।
5. बड़ा भाई अपने छोटे भाई से पाँच साल बड़ा है इसलिए वह अपने अनुभव रूपी ज्ञान को छोटे भाई को भी देता है।
प्रश्न 6.
बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्त्वपूर्ण कहा है?
उत्तर-
बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से जिंदगी के अनुभव को अधिक महत्त्वपूर्ण माना है। उनका मत था कि किताबी ज्ञान तो रट्टा मारने का नाम है। उसमें ऐसी-ऐसी बातें हैं जिनका जीवन से कुछ लेना-देना नहीं। इससे बुधि का विकास और जीवन की सही समझ विकसित नहीं हो पाती है। इसके विपरीत अनुभव से जीवन की सही समझ विकसित होती है। इसी अनुभव से जीवन के सुख-दुख से सरलता से पार पाया जाता है। घर का खर्च चलाना हो घर के प्रबंध करने हो या बीमारी का संकट हो, वहीं उम्र और अनुभव ही इनमें व्यक्ति की मदद करते हैं।
प्रश्न 7.
बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि-
1. छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है।
2. भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है।
3. भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है।
4. भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।
उत्तर-
1. छोटे भाई का मानना है कि बड़े भाई को उसे डाँटने-डपटने का पूरा अधिकार है क्योंकि वे उससे बड़े हैं। छोटे भाई की शालीनता व सभ्यता इसी में थी कि वह उनके आदेश को कानून की तरह माने अर्थात् पूरी सावधानी व सर्तकता से उनकी बात का पालन करे।
2. भाई साहब ने छोटे भाई से कहा कि मुझे जीवन का तुमसे अधिक अनुभव है। समझ किताबी ज्ञान से नहीं आती अपितु दुनिया के अनुभव से आती है। जिस प्रकार अम्मा व दादा पढ़े लिखे नहीं है, फिर भी उन्हें संसार का अनुभव हम से अधिक है। बड़े भाई ने कहा कि यदि मैं आज अस्वस्थ हो जाऊँ, तो तुम भली प्रकार मेरी देख-रेख नहीं कर सकते। यदि दादा हों, तो वे स्थिति को सँभाल लेंगे। तुम अपने हेडमास्टर को देखो, उनके पास अनेक डिग्रियाँ हैं। उनके घर का इंतजाम उनकी बूढ़ी माँ करती हैं। इन सब उदाहरणों से स्पष्ट है कि भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव था।
3. भाई साहब ने छोटे भाई से कहा कि मैं तुमको पतंग उड़ान की मनाहीं नहीं करता। सच तो यह कि पतंग उड़ाने की मेरी भी इच्छा होती है। बड़े भाई साहब बड़े होने के नाते अपनी भावनाओं को दवा जाते हैं। एक दिन भाई साहब के ऊपर से पतंग गुजरी, भाई साहब ने अपनी लंबाई का लाभ उठाया। वे उछलकर पतंग की डोर पकड़कर हॉस्टल की ओर दौड़कर आ रहे थे, छोटा भाई भी उनके पीछे-पीछे दौड़ रहा था। इन सभी बातों से यह सिद्ध होता है कि बड़े भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है, जो अनुकूल वातावरण पाकर उभर उठता है।
4. बड़े भाई साहब द्वारा छोटे भाई को यह समझाना कि किताबी ज्ञान होना एक बात है और जीवन का अनुभव दूसरी बात। तुम पढ़ाई में परीक्षा पास करके मेरे पास आ गए हो, लेकिन यह याद रखो कि मैं तुमसे बड़ा हूँ और तुम मुझसे छोटे हो। मैं तुम्हें गलत रास्ते पर रखने के लिए थप्पड़ का डर दिखा सकता हूँ या थप्पड़ मार भी सकता हूँ अर्थात् तुम्हें डाँटने का हक मुझे है।

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Tuesday, July 28, 2020

BADE BHAI SAHAB, questions and answers


नव भारती
कक्षा-10


A hindi lesson by - Chander Uday Singh



पाठ-बड़े भाई साहब



मुंशी प्रेम चंद


पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए


प्रश्न 1.
कथा नायक की रुचि किन कार्यों में थी?
उत्तर-
कथा नायक की रुचि खेल-कूद, मैदानों की सुखद हरियाली, हवा के हलके-हलके झोंके, फुटबॉल की उछल-कूद, बॉलीबॉल की फुरती और पतंगबाजी, कागज़ की तितलियाँ उड़ाना, चारदीवारी पर चढ़कर नीचे कूदना, फाटक पर सवार होकर उसे आगे-पीछे चलाना आदि कार्यों में थी।

प्रश्न 2.
बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे?
उत्तर-
बड़े भाई छोटे भाई से हर समय एक ही सवाल पूछते थे-कहाँ थे? उसके बाद वे उसे उपदेश देने लगते थे।

प्रश्न 3.
दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर-
दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में यह परिवर्तन आया कि वह स्वच्छंद और घमंडी हो गया। वह यह । सोचने लगा कि अब पढ़े या न पढ़े, वह पास तो हो ही जाएगा। वह बड़े भाई की सहनशीलता का अनुचित लाभ उठाकर अपना अधिक समय खेलकूद में लगाने लगा।

प्रश्न 4.
बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन-सी कक्षा में पढ़ते थे?
उत्तर-
बड़े भाई साहब लेखक से उम्र में 5 साल बड़े थे। वे नवीं कक्षा में पढ़ते थे।



प्रश्न 5.
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे?
उत्तर-
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कभी कापी पर व कभी किताब के हाशियों पर चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों के चित्र बनाते थे। कभी-कभी वे एक शब्द या वाक्य को अनेक बार लिख डालते, कभी एक शेर-शायरी की बार-बार सुंदर अक्षरों में नकल करते। कभी ऐसी शब्द रचना करते, जो निरर्थक होती, कभी किसी आदमी को चेहरा बनाते।




लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ( 25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.

छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय क्या-क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया?


उत्तर-

छोटे भाई ने अधिक मन लगाकर पढ़ने का निश्चय कर टाइम-टेबिल बनाया, जिसमें खेलकूद के लिए कोई स्थान नहीं था। पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय उसने यह सोचा कि टाइम-टेबिल बना लेना एक बात है और बनाए गए टाइम-टेबिल पर अमल करना दूसरी बात है। यह टाइम-टेबिल का पालन न कर पाया, क्योंकि मैदान की हरियाली, फुटबॉल की उछल-कूद, बॉलीबॉल की तेज़ी और फुरती उसे अज्ञात और अनिवार्य रूप से खींच ले जाती और वहाँ जाते ही वह सब कुछ भूल जाता।

प्रश्न 2.

एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई ?

उत्तर-

छोटा भाई दिनभर गुल्ली-डंडा खेलकर बड़े भाई के सामने पहुँचा तो बड़े भाई ने गुस्से में उसे खूब लताड़ा। उसे घमंडी कहा और सर्वनाश होने का डर दिखाया। उसने उसकी सफलता को भी तुक्का बताया और आगे की पढ़ाई का भय दिखलाया।

प्रश्न 3.

बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं?


उत्तर-

बड़े भाई साहब बड़े होने के नाते यही चाहते और कोशिश करते थे कि वे जो कुछ भी करें, वह छोटे भाई के लिए एक उदाहरण का काम करे। उन्हें अपने नैतिक कर्तव्य का वोध था कि स्वयं अनुशासित रह कर ही वे भाई को अनुशासन में रख पाएँगे। इस आदर्श तथा गरिमामयी स्थिति को बनाए रखने के लिए उन्हें अपने मन की इच्छाएँ दबानी पड़ती थीं।

प्रश्न 4.

बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों ?


उत्तर-

बड़े भाई साहब छोटे भाई को दिन-रात पढ़ने तथा खेल-कूद में समय न गॅवाने की सलाह देते थे। वे बड़ा होने के कारण उसे राह पर चलाना अपना कर्तव्य समझते थे।

प्रश्न 5.

छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फ़ायदा उठाया?


उत्तर-



छोटे भाई (लेखक) ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का अनुचित फ़ायदा उठाया, जिससे उसकी स्वच्छंदता बढ़ गई और उसने पढ़ना-लिखना बंद कर दिया। उसके मन में यह भावना बलवती हो गई कि वह पढ़े या न पढ़े परीक्षा में पास अवश्य हो जाएगा। इतना ही नहीं, उसने अपना सारा समय पतंगबाज़ी को ही भेंट कर दिया।




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Monday, July 27, 2020

BADE BHAI SAHAB

नव भारती

कक्षा-10 


A hindi lesson by - Chander Uday Singh


पाठ-बड़े भाई साहब


मुंशी प्रेम चंद का जीवन परिचय 

बड़े भाई साहब

पाठ का सार


“बड़े भाई साहब' कहानी प्रेमचंद द्वारा आत्मकथात्मक शैली में लिखी एक श्रेष्ठ कहानी है। इस कहानी में उन्होंने बड़े भाई साहब के माध्यम से घर में बड़े भाई की आदर्शवादिता के कारण उसके बचपन के तिरोहित होने की बात कही है। बड़ा भाई सदा छोटे भाई के सामने अपना आदर्श रूप दिखाने के कारण कई बार अपने ही बचपन को खो देता है। 

बड़े भाई साहब और उनके छोटे भाई में पाँच वर्ष का अंतर है किंतु वे अपने छोटे भाई से केवल तीन कक्षाएं ही आगे हैं। बड़े भाई साहब सदा पढ़ाई में डूबे रहते हैं, लेकिन उनका छोटा भाई खेलकूद में अधिक मन लगाता है। दोनों भाई होस्टल में रहते हैं। बड़े भाई साहब प्राय: छोटे भाई को उसकी खेलकूद में अधिक रुचि के कारण डॉटते रहते हैं। वे उसे उनसे सीख लेने की बात कहते हैं। उनका कहना है कि वे बहुत मेहनत करते हैं। वे खेलकूद और खेलतमाशों से दूर रहते हैं। अत: उसे उनसे सबक लेना चाहिए। वे छोटे भाई से कहते हैं कि यदि वह मेहनत नहीं कर सकता तो उसे घर वापिस लौट जाना चाहिए। उनकी ऐसी बातें सुनकर छोटा भाई निराश हो जाता है। कुछ देर बाद वह जी लगाकर पढ़ने का निश्चय करता है और एक टाइम-टेबिल बना लेता है। वह अपने इस टाइम-टेबिल में खेलकूद को कोई स्थान नहीं देता लेकिन शीघ्र ही उसका टाइम-टेबिल खेलकूद की भेंट चढ़ जाता है और छोटा भाई खेलकूद में फिर से मस्त हो जाता है और बड़े भाई साहब की डाँट और तिरस्कार में भी वह अपने खेलकूद को नहीं छोड़ पाता है। 

कुछ समय बाद वार्षिक परीक्षाएं हुईं। बड़े भाई साहब तो कठिन परिश्रम करके फेल हो गए किंतु छोटा भाई प्रथम 

श्रेणी में पास हो गया। धीरे-धीरे छोटा भाई खेलकूद में अधिक मन लगाने लगा। बड़े भाई साहब से यह देखा नहीं गया। वे उसे रावण का उदाहरण देकर समझाते हैं कि घमंड नहीं करना चाहिए। घमंड करने से रावण जैसे चक्रवर्ती राजा का अस्तित्व मिट गया था। शैतान और शाहेख़ान भी अभिमान के कारण ही नष्ट हो गए थे। छोटा भाई उनके इन उपदेशों को चुपचाप सुनता रहा। वे कहते हैं कि उनकी नौंवीं कक्षा की पढ़ाई बहुत कठिन है। अंग्रेज़ी, इतिहास, गणित तथा हिंदी आदि विषयों में पास होने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। उन्होंने अपनी कक्षा की पढ़ाई का ऐसा भयंकर चित्र खींचा कि छोटा भाई बुरी तरह से डर गया। 

दोबारा वार्षिक परीक्षाएँ हुईं। इस बार भी बड़े भाई साहब फेल हो गए और छोटा भाई पास हो गया। बड़े भाई साहब बहुत दुःखी हुए। छोटे भाई की अपने बारे में यह धारणा बन गयी कि वह तो चाहे पढ़े या न पढ़े, वह तो पास हो ही जाएगा। अत: उसने पढ़ाई करना बंद करके खेलकूद में ज़्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया। बड़े भाई साहब भी अब उसे कम डाँटते थे। धीरे-धीरे छोटे भाई की स्वच्छंदता बढ़ती गई। उसे पतंगबाज़ी का नया शौक लग गया। अब वह सारा समय पतंगबाज्ी में नष्ट करने लगा किंतु वह अपने इस शौक को बड़े भाई साहब से छिपकर पूरा करता था। 

एक दिन वह एक पतंग लूटने के लिए पतंग के पीछे-पीछे दौड़ रहा था कि अचानक बाज़ार से लौट रहे बड़े भाई साहब से टकरा गया। उन्होंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे डाँटते हुए कहा कि अब वह आठवीं कक्षा में है। अतः उसे अपनी पोज़ीशन का ख्याल करना चाहिए। पहले ज़माने में तो आठवीं पास नायब तहसीलदार तक बन जाया करते थे। बड़े भाई साहब उसे समझाते हुए कहते हैं कि जीवन में किताबी ज्ञान से अधिक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति का अनुभव होता है और उन्हें उससे कहीं ज़्यादा अनुभव है। वे अपने माँ-दादा और अपने स्कूल के हेडमास्टर साहब और उनकी माँ का उदाहरण देकर बताते हैं कि ज़िंदगी में केवल किताबी ज्ञान से ही काम नहीं चलता अपितु ज़िंदगी की समझ भी ज़रूरी होती है जो केवल अनुभव से आती है। 

बड़े भाई साहब के ऐसा समझाने पर छोटा भाई उनके आगे नतमस्तक होकर कहा कि वे जो कुछ कह रहे हैं, वह बिल्कुल सच है। बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई को गले लगा लेते हैं। वे कहते हैं कि उनका भी मन खेलने-कूदने का करता है लेकिन यदि वे ही खेलने-कूदने लगेंगे तो उसे क्या शिक्षा दे पाएँगे ? तभी उनके ऊपर से एक कटी हुईं पतंग गुज़रती है जिसकी डोर नीचे लटक रही थी। बड़े भाई साहब ने लंबे होने के कारण उसकी डोर पकड़ ली और तेज़ी से होस्टल की ओर दौड़ पड़े। उनका छोटा भाई भी उनके पीछे-पीछे दौड़ रहा था। 
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