Tuesday, June 29, 2021

Viram chinh (Punctuation mark) part-2

व्याकरण

कक्षा-10 

 विराम-चिह्न। (भाग-2) 

(Punctuation)

A hindi lesson by - Chander Uday Singh



(1)  अल्प विराम (Comma)(,) - वाक्य में जहाँ थोड़ा रुकना हो या अधिक वस्तुओं, व्यक्तियों आदि को अलग करना हो वहाँ अल्प विराम ( , ) चिह्न का प्रयोग किया जाता है।


अल्प का अर्थ होता है- थोड़ा। अल्पविराम का अर्थ हुआ- थोड़ा विश्राम अथवा थोड़ा रुकना। बातचीत करते समय अथवा लिखते समय जब हम बहुत-सी वस्तुओं का वर्णन एक साथ करते हैं, तो उनके बीच-बीच में अल्पविराम का प्रयोग करते है; जैसे-


(a) भारत में गेहूँ, चना, बाजरा, मक्का आदि बहुत-सी फसलें उगाई जाती हैं।


(b) जब हम संवाद-लेखन करते हैं तब भी अल्पविराम-चिह्न का प्रयोग किया जाता है;

जैसे- नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने कहा, ''तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा।''


(c) संवाद के दौरान 'हाँ' अथवा 'नहीं' के पश्चात भी इस चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे-

रमेश : केशव, क्या तुम कल जा रहे हो ?

केशव : नहीं, मैं परसों जा रहा हूँ।


हिंदी में इस विरामचिह्न का प्रयोग सबसे अधिक होता है। इसके प्रयोग की अनेक स्थितियाँ हैं।



इसके कुछ मुख्य नियम इस प्रकार हैं-


(i) वाक्य में जब दो से अधिक समान पदों और वाक्यों में संयोजक अव्यय 'और' आये, वहाँ अल्पविराम का प्रयोग होता है। जैसे-

पदों में- राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न राजमहल में पधारे।

वाक्यों में- वह जो रोज आता है, काम करता है और चला जाता है।


(ii) जहाँ शब्दों को दो या तीन बार दुहराया जाय, वहाँ अल्पविराम का प्रयोग होता है।

जैसे- वह दूर से, बहुत दूर से आ रहा है।

सुनो, सुनो, वह क्या कह रही है।

नहीं, नहीं, ऐसा कभी नहीं हो सकता।


(iii) जहाँ किसी व्यक्ति को संबोधित किया जाय, वहाँ अल्पविराम का चिह्न लगता है।

जैसे- भाइयो, समय आ गया है, सावधान हो जायँ।

प्रिय महराज, मैं आपका आभारी हूँ।

सुरेश, कल तुम कहाँ गये थे ?

देवियो, आप हमारे देश की आशाएँ है।


(iv)जिस वाक्य में 'वह', 'तो', 'या', 'अब', इत्यादि लुप्त हों, वहाँ अल्पविराम का प्रयोग होता है।

जैसे- मैं जो कहता हूँ, कान लगाकर सुनो। ('वह' लुप्त है।)

वह कब लौटेगा, कह नहीं सकता। ('यह' लुप्त है। )

वह जहाँ जाता है, बैठ जाता है। ('वहाँ' लुप्त है। )

कहना था सो कह दिया, तुम जानो। ('अब' लुप्त है।)


(v)यदि वाक्य में प्रयुक्त किसी व्यक्ति या वस्तु की विशिष्टता किसी सम्बन्धवाचक सर्वनाम के माध्यम से बतानी हो, तो वहाँ अल्पविराम का प्रयोग निम्रलिखित रीति से किया जा सकता है-

मेरा भाई, जो एक इंजीनियर है, इंगलैण्ड गया है

दो यात्री, जो रेल-दुर्घटना के शिकार हुए थे, अब अच्छे है।

यह कहानी, जो किसी मजदूर के जीवन से सम्बद्ध है, बड़ी मार्मिक है।


(vi) अँगरेजी में दो समान वैकल्पिक वस्तुओं तथा स्थानों की 'अथवा', 'या' आदि से सम्बद्ध करने पर उनके पहले अल्पविराम लगाया जाता है।

जैसे- Constantinople, or Istanbul, was the former capital of Turkey.

Nitre,or salt petre,is dug from the earth.


(vii)इसके ठीक विपरीत, दो भित्र वैकल्पिक वस्तुओं तथा स्थानों को 'अथवा', 'या' आदि से जोड़ने की स्थिति में 'अथवा', 'या' आदि के पहले अल्पविराम नहीं लगाया जाता है।

जैसे- I should like to live in Devon or Cornwall .

He came from kent or sussex.


(viii)हिन्दी में उक्त नियमों का पालन, खेद है, कड़ाई से नहीं होता। हिन्दी भाषा में सामान्यतः 'अथवा', 'या' आदि के पहले अल्पविराम का चिह्न नहीं लगता।

जैसे - पाटलिपुत्र या कुसुमपुर भारत की पुरानी राजधानी था।

कल मोहन अथवा हरि कलकत्ता जायेगा।


(ix) किसी व्यक्ति की उक्ति के पहले अल्पविराम का प्रयोग होता है।

जैसे- मोहन ने कहा, ''मैं कल पटना जाऊँगा। ''

इस वाक्य को इस प्रकार भी लिखा जा सकता है- 'मोहन ने कहा कि मैं कल पटना जाऊँगा।' कुछ लोग 'कि' के बाद अल्पविराम लगाते है, लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं है। यथा-

राम ने कहा कि, मैं कल पटना जाऊँगा।

ऐसा लिखना भद्दा है। 'कि' स्वयं अल्पविराम है; अतः इसके बाद एक और अल्पविराम लगाना कोई अर्थ नहीं रखता। इसलिए उचित तो यह होगा कि चाहे तो हम लिखें- 'राम ने कहा, 'मैं कल पटना जाऊँगा', अथवा लिखें- 'राम ने कहा कि मैं कल पटना जाऊँगा' ।दोनों शुद्ध होंगे।


(x) बस, हाँ, नहीं, सचमुच, अतः, वस्तुतः, अच्छा-जैसे शब्दों से आरम्भ होनेवाले वाक्यों में इन शब्दों के बाद अल्पविराम लगता है।

जैसे- बस, हो गया, रहने दीजिए।

हाँ, तुम ऐसा कह सकते हो।

नहीं, ऐसा नहीं हो सकता।

सचमुच, तुम बड़े नादान हो।

अतः, तुम्हे ऐसा नहीं कहना चाहिए।

वस्तुतः, वह पागल है।

अच्छा, तो लीजिए, चलिए।


(xi) शब्द युग्मों में अलगाव दिखाने के लिए; जैसे- पाप और पुण्य, सच और झूठ, कल और आज। पत्र में संबोधन के बाद;

जैसे- पूज्य पिताजी, मान्यवर, महोदय आदि। ध्यान रहे कि पत्र के अंत में भवदीय, आज्ञाकारी आदि के बाद अल्पविराम नहीं लगता।


(xii) क्रियाविशेषण वाक्यांशों के बाद भी अल्पविराम आता है। जैसे- महात्मा बुद्ध ने, मायावी जगत के दुःख को देख कर, तप प्रारंभ किया।


(xiii) किन्तु, परन्तु, क्योंकि, इसलिए आदि समुच्च्यबोधक शब्दों से पूर्व भी अल्पविराम लगाया जाता है;



जैसे- आज मैं बहुत थका हूँ, इसलिए विश्राम करना चाहता हूँ।

मैंने बहुत परिश्रम किया, परंतु फल कुछ नहीं मिला।


(xiv) तारीख के साथ महीने का नाम लिखने के बाद तथा सन्, संवत् के पहले अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है।



जैसे- 2 अक्टूबर, सन् 1869 ई० को गाँधीजी का जन्म हुआ।


(xv) उद्धरण से पूर्व 'कि' के बदले में अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है।


जैसे- नेता जी ने कहा, ''दिल्ली चलो''। ('कि' लगने पर- नेताजी ने कहा कि ''दिल्ली चलो'' ।)


(xvi) अंको को लिखते समय भी अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है। 


जैसे- 5, 6, 7, 8, 9, 10, 15, 20, 60, 70, 100 आदि।









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