Tuesday, May 19, 2020

KASHMIR KA LOK NATAK " BAAND PAATHER" PART2

कश्मीर का लोक नाटक- 'बांड पात्थर' 


Bhand Pather On verge of death


प्रश्न अभ्यास

प्रश्न() कुल कितने 'बांड पाSत्थर' की परंपरा आज तक चल रही है?

उत्तर'बांड पाSत्थरो' के नाम उनकी विषय वस्तुओं पर रखे गए हैं। आज तक आठ 'पाSत्थरो' की परंपरा जीवित है-

1. वातल (मेहतर का) पाSत्थर

2. बुहुर्य (पंसारी का )पाSत्थर

3. राजु (राजा) का पाSत्थर

4. दरजु (दरद जाति की स्त्री का) पाSत्थर

5. गवाSसन्य (गोसाईं साधु का) पाSत्थर

6. बकरवाल (बकर वाल का ) पाSत्थर

7. अंगरेज (अंग्रेज का ) पाSत्थर

8. शिकारगाह (शिकारी तथा वन्य पशुओं का) पाSत्थर

 

प्रश्न ( ) गवाSसन्य पाSथर की विषय-वस्तु लिखिए।

उत्तर- गवाSसन्य पाSथर में अमरनाथ के एक युवक साधु यात्री पर मोहित होने वाली एक ग्वालिन गुपाली की कथा पेश की जाती है। साधु उसे टाल देने की इच्छा से उसके सामने कड़ी शर्तें रखता है , जैसे संसार का त्याग , शरीर पर भस्म मलना , जेवरओं का मोह छोड़ना आदि। वह सब मान जाती है तो साधु धर्म संकट में पड़ जाता है। अंत में वह उसे लल्लेश्वरी के वाख गाकर मन को शांत करने का उपदेश देता है और अंतर्ध्यान हो जाता है। अन्य साधु गुपाली से पूछते हैं कि तूने हमारे गोसाई को कहां देखा है? हमें उसका कोई अवशेष दो, कोई चिन्ह बताओ, दुखी गुपाली यह सुनकर और दुखी होती है और वह  वाख पढ़ती हुई स्वयं में लीन हो जाती है।

 प्रश्न (छ). अंग्रेज पाSथर की विषय-वस्तु लिखिए।

 उत्तर- अंग्रेज पाSथर में एक अंग्रेज एक गांव में आकर रोब झाड़ता फिरता है। वह नंबरदार और चौकीदार को पेश होने की आज्ञा सुनाता है। दोनों सरकारी नौकर भीगी- बिल्ली बनकर अफसर की "डैम फैट लैट" वाली गालियां सुनते हैं। वह बेसिर पैर की अंग्रेजी और उर्दू ही बोलता है, यद्यपि कश्मीरी समझता है। दूसरे ग्रामीण लोग अंग्रेज की अटपटी बोली और विदेशी आदतों की नकल उतार कर उसका मजाक उड़ाते हैं। कुर्सी के बदले हांडी पेश करते हैं, जो उसके बैठते ही टूट जाती है। सबसे ज्यादा काम बेगार का आदी व्यक्ति करता है जबकि दूसरे लोग काम से जी चुराते हैं।

 

प्रश्न (ज.)  'बांड पाSत्थर' खेलने वाली टोलियां किन अवसरों पर नाटक खेल कर गुजारा करती हैं?

 उत्तर- बांडों का मुख्य पेशा पाSत्थर खेलना होता है। इसके अलावा सामाजिक धार्मिक या व्यक्तिगत उत्सवों जैसे शादी व्याह, शिवरात्रि, यज्ञोपवित  या फिर किसी पीर फकीर के उर्स पर बांड गा बजाकर, नाच कर या स्वांग रचा कर लोगों का मनोरंजन करते हैं। शरद ऋतु में जब धान कटता है तो गांव के दूसरे पेशेवरों जैसे नाई, बढ़ाई, राजमिस्त्री आदि की तरह बांड भी गृहस्तों से धन-धान्य बटोरते हैं।

 प्रश्न () बांडों पर किस राजा ने कर माफ किया था?

उत्तर  - राजा महाराजाओं के शासनकाल में दूसरे पेशेवरों की तरह बांडों पर भी कर लगता था। जम्मू कश्मीर के महाराजा प्रताप सिंह ने पहली बार घोड़ा-कर, मवेशी-कर, सड़क-कर आदि माफ कर दिए बांडों को अनिवार्य बेगार से छूट दी गईउन्हें सरकारी अन्न भंडार से राशन दिया जाने लगा, जिसके बदले गांव-गांव जाकर लोगों का मनोरंजन करना उनके लिए अनिवार्य कर दिया गया। इस तरह हम कह सकते हैं कि जम्मू कश्मीर के महाराजा प्रताप सिंह ने बांडों पर कर माफ किया था।



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