कश्मीर का लोक नाटक “बांड पाsत्थर”
A hindi lesson by- Chander Uday Singh
प्रश्न अभ्यास
प्रश्न (क)- ‘बांड पात्थर’ किसे कहते हैं?
उत्तर- कश्मीरी लोक नाटकों की एक श्रंखला है, जो ‘बांड-पाsथर’ कहलाती है। ‘बांड पाsथर’ किसी एक नाटक का नाम नहीं बल्कि एक खास ढंग के लोक नाटक ‘बांड-पाsत्थर’ कहलाते हैं। यह नाटक बांडों की टोलियां खेलती हैं। यह टोलियां कश्मीर के गांव में कभी-कभी शहरों में भी घूमती रहती हैं। और खुली जगहों, चौराहों, विद्यालयों के आंगनों या कस्बों शहरों के भवनों, हालों में अपने नाटकों से लोगों का मनोरंजन करती हैं।
प्रश्न (ख)- लोक नाटक कौन रचता है ?
उत्तर- लोक गीत या लोक कहानी की तरह लोक नाटक भी आम लोगों के द्वारा रचा जाता है। आम लोग ही इसे खेल कर प्रस्तुत करते हैं । कई बार खेलने से लोक नाटक खेलने वाले नट अभ्यस्त हो जाते हैं और नाटक खेलने का व्यवसाय अपनाते हैं।
प्रश्न (ग)- लोक नाटकों में क्या बताया या पेश किया जाता है ?
उत्तर- ज्यादातर लोक नाटक ऐसे हैं जिनकी विषय वस्तु पहले से ही प्रचलित होती है। प्राया इन नाटकों में समाज के शोषक-वर्ग के लोगों की हरकतों की नकल उतारी जाती है। सामाजिक दोषों और बुराइयों पर व्यंग किया जाता है। लोक नाटक लिखे नहीं जाते अपितु पात्र ही लोक नाटक की वेशभूषा, मंच-सज्जा, विषय वस्तु खुद ही तय करते हैं।
प्रश्न (घ) ‘बांड’ तथा ‘पाsत्थर’ इन दो कश्मीरी शब्दों के अर्थ बताइए।
उत्तर. संस्कृत का ‘भांड’ शब्द बदलकर कश्मीरी में ‘बांड’ हो गया है। ‘भांड’ हास्य नाटक के चरित्र को कहते थे, हिंदी में संस्कृत का यह शब्द उसी प्रकार प्रयुक्त होता है इसी प्रकार कश्मीरी के ‘बांड’ का अर्थ भी हंसाने वाला व्यक्ति या हंसी वाले नाटक का नट या अभिनेता होता है।
संस्कृत का ‘पात्र’ शब्द बदलकर कश्मीरी में ‘पाsत्थर’ हो गया है। ‘पात्र’ अभिनेता को कहते हैं परंतु ‘पाsत्थर’ का अर्थ है स्वांग या नाटक इस प्रकार ‘बांड-पाsथर’ का अर्थ है ‘बांड’ चरित्रों के द्वारा रचा हुआ हास्य नाटक। इस शब्द की व्याख्या से स्पष्ट है कि कश्मीर की यह लोक नाटक परंपरा संस्कृत से सीधी जुड़ी हुई है।
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