मधुर मधुर मेरे दीपक जल (कविता)
-महादेवी वर्मा
A hindi lesson by- Chander Uday Singh
प्रश्न—अभ्यास
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
Question 1:− प्रस्तुत कविता में ‘दीपक’ और ‘प्रियतम’ किसके प्रतीक हैं?
Answer:- प्रस्तुत कविता में ‘दीपक‘ ईश्वर के प्रति आस्था एवं आत्मा का और प्रियतम उसके आराध्य ईश्वर का प्रतीक है। कवयित्री दीपक से जीवन की प्रत्येक विषम परिस्थिति से जूँझ कर प्रसन्नतापूर्वक ज्योति फैलाने का आग्रह करती है। वह प्रियतम का पथ आलोकित करना चाहती है।
Question 2:-दीपक से किस बात का आग्रह किया जा रहा है और क्यों?
Answer:- महादेवी वर्मा ने दीपक से यह प्रार्थना की है कि वह निरंतर जलता रहे। अर्थात इसकी आस्था बनी रहे। वह आग्रह इसलिए करती हैं क्योंकि वे अपने जीवन में ईश्वर का स्थान सबसे बड़ा मानती हैं। ईश्वर को पाना ही उनका लक्ष्य है।
Question 3:- ‘विश्व—शलभ’ दीपक के साथ क्यों जल जाना चाहता है?
Answer:- ‘विश्व–शलभ‘ अर्थात पतंगा दीपक के साथ जल जाना चाहता है। जिस प्रकार पतंगा दीये के प्रति प्रेम के कारण उसकी लौ के आस–पास घूमकर अपना जीवन समाप्त कर देता है, इसी प्रकार संसार के लोग भी अपने अहंकार को समाप्त करके आस्था रुपी दीये की लौ के समक्ष अपना समर्पण करना चाहते हैं ताकि प्रभु को पा सके।
Question 4:- आपकी दृष्टि में ट्टमधुर मधुर मेरे दीपक जल’ कविता का सौंदर्य इनमें से किस पर निर्भर है -
(क) शब्दों की आवृत्ति पर।
(ख) सफल बिंब अंकन पर।
Answer:- इस कविता की सुंदरता दोनों पर निर्भर है। पुनरुक्ति रुप में शब्द का प्रयोग है − मधुर–मधुर, युग–युग, सिहर–सिहर, विहँस–विहँस आदि कविता को लयबद्ध बनाते हुए प्रभावी बनाने में सक्षम हैं। दूसरी ओर बिंब योजना भी सफल है। ‘विश्व–शलभ सिर धुन कहता‘, ‘मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन‘ जैसे बिंब हैं।
Question 5:- कवयित्री किसका पथ आलोकित करना चाह रही हैं?
Answer:- कवयित्री अपने मन के आस्था रुपी दीपक से अपने प्रियतम का पथ आलोकित करना चाहती हैं। उनका प्रियतम ईश्वर है।
Question 6:- कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से क्यों प्रतीत हो रहे हैं?
Answer:- कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन नज़र आते हैं। अर्थात मनुष्य में एक दूसरे से प्रेम और सौहार्द की भावना समाप्त हो गई है। उनमें आपस में कोई स्नेह नहीं है। इसलिए उसे आकाश के तारे स्नेहहीन लगते हैं।
Question 7:- पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है?
Answer:- जिस प्रकार पतंगा दीये की लौ में अपना सब कुछ समाप्त करना चाहता है पर कर नहीं पाता, उसी तरह मनुष्य अपना सर्वस्व समर्पित करके ईश्वर को पाना चाहता है परन्तु अपने अहंकार को नहीं छोड़ पाता। इसलिए पछतावा करता है।
Question 8:- कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग—अलग तरह से ‘मधुर मधुर, पुलक—पुलक, सिहर—सिहर और विहँस—विहँस’ जलने को क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।
Answer:- कवयित्री अपने आत्मदीपक को तरह–तरह से जलने के लिए कहती हैं मीठी, प्रेममयी, खुशी के साथ, काँपते हुए, उत्साह और प्रसन्नता से। कवयित्री चाहती है कि हर परिस्थितियों में यह दीपक जलता रहे और प्रभु का पथ आलोकित करता रहे। इसलिए कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग–अलग तरह से जलने को कहा है।
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